हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) और हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड (एचएसआइआइडीसी) के अलाटियों को बड़ी राहत दी है। उन्होंने राज्य सरकार ने मार्केटिंग बोर्ड के दुकानों और एचएसआइआइडीसी के अलाटियों को लगा दंड ब्याज (पीनल इंटरेस्ट) माफ करने का फैसला किया है। इसके साथ ही उनको ब्याज पर भी छूट मिलेगी।
इन अलाटियों पर बकाया हजारों करोड़ रुपये के झगड़े खत्म करने के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विवादों का समाधान योजना लांच की है। मार्केटिंग बोर्ड की दुकानों के अलाटियों का 150 करोड़ रुपये का दंड ब्याज (पीनल इंटरेस्ट) और करीब 40 फीसद ब्याज माफ कर आढ़तियों को करीब 400 करोड़ रुपये की राहत दी गई है। एक्सटेंशन फीस जहां पहले निश्चित अवधि के बाद हर साल दोगुनी हो जाती थी, वहीं अब इसे सरल कर दिया गया है।
मार्केटिंग बोर्ड की दुकानों के अलाटियों का 150 करोड़ का पीनल इंटरेस्ट और 40 फीसद ब्याज माफ
वित्तीय वर्ष के समापन अवसर पर बुधवार को हरियाणा निवास में पत्रकारों से रू-ब-रू मुख्यमंत्री ने विवादों को खत्म करने के लिए अभी तक किए कामों को गिनाते हुए नई रियायतों की घोषणा की। सीएम ने कहा कि मार्केटिंग बोर्ड में जो दुकानें अलाट की हुई हैं, उनमें निर्धारित राशि का पूरा भुगतान नहीं करने के कारण कहीं अलाटियों के पैसे रुक गए तो कहीं ब्याज और पेनल्टी और एक्सटेंशन फीस लग गई।
उन्होंने कहा कि फिलहाल प्रदेश में 2421 दुकानों के मालिक डिफाल्टर घोषित हैं जिन पर 1131 करोड़ रुपये की राशि बकाया है। सारा पीनल इंटरेस्ट माफ करने और ब्याज में 40 फीसद की छूट से अलाटियों को 370 करोड़ रुपये का फायदा हुआ है। बाकी बचे 764 करोड़ रुपये 15 जून तक जमा करा देंगे तो योजना का लाभ उठाया जा सकता है।
एचएसआइआइडीसी के अलाटियों का पूरा पीनल ब्याज माफ, बाकी ब्याज में 25 फीसद की छूट मिली
इसी तरह एचएसआइआइडीसी के अलाटियों का पूरा पीनल ब्याज माफ करके और बाकी ब्याज में 25 फीसद की छूट देकर सरकार ने 225 करोड़ रुपये की राहत दी है। बाकी बचे 1275 करोड़ रुपये 30 जून तक जमा किए जा सकते हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि एक्सटेंशन फीस का रेशनेलाइजेशन किया गया है। छह साल में यदि कोई अलाटी निर्माण नहीं करता तो उसका वह प्लाट नीलाम कर रिकवरी की जाएगी।
तीन तरीके से होगी प्लाटों की नीलामी
प्लाटों की नीलामी तीन तरह की होगी। अगर कोई अलाटी प्लाट को सरेंडर कर देता है तो उसकी पहले जमा कराई गई 10 फीसद प्रतिभूति राशि जब्त हो जाएगी या फिर कुल जमा राशि में से 50 फीसद हिस्सा लिया जाएगा। दूसरी शर्त में अलाटी की मांग पर नीलामी की जाएगी और लाभ का 50-50 फीसद हिस्सा दोनों पक्षों को मिल जाएगा। नुकसान हुआ तो सारा भार अलाटी पर पड़ेगा।
तीसरी शर्त में सरेंडर नहीं किया तो छह साल की अवधि पूरा होने पर नोटिस दिया जाएगा। फिर नीलामी होगी ताकि कोर्ट में केस न जाए। पांच-साढ़े पांच साल पहले प्लाट लेने के बावजूद अभी तक निर्माण नहीं करने वाले अलाटियों को एक साल का समय दिया गया है। ऐसे लोगों से आक्यूपेशन सर्टिफिकेट के लिए एप्लाई करने के दिन से छह महीने की एक्सटेंशन फीस ली जाएगी।
प्लाट के एकमुश्त भुगतान पर दस फीसद राशि माफ
एचएसवीपी से नया प्लाट लेने पर 45 दिन में एकमुश्त भुगतान या नीलामी के 60 दिन में पूरा भुगतान करने पर दस फीसद राशि की छूट मिलेगी। इसके लिए प्रदेश सरकार ने सिडबी बैंक से समझौता किया है। इसी तरह एचएसआइआइडीसी के लिए भी स्कीम बनाई गई है। अलाटी से एनपीए (बैंकों का फंसा कर्ज) के दिन तक ही मूल राशि और ब्याज वसूला जाएगा। प्रेस्टिजियस प्लाट के मामलों में जितने प्रतिशत भुगतान किया गया होगा, उसी हिसाब से जुर्माना तय किया जाएगा।