आज गुरुवार यानी बृहस्पतिवार है। आज का दिन विष्णु जी भी समर्पित है। विष्णु जी की पूजा के चलते यह विशेष वार माना जाता है। मान्यता है कि अगर इस दिन विष्णु जी की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा की जाए तो व्यक्ति का जीवन धन-धान्य से भर जाता है। उसे किसी भी तरह का दुख या कठिनाइयां उठानी नहीं पड़ती हैं। विष्णु जी को परमेश्वर के तीन मुख्य रूपों में से एक रूप माना गया है। जहां ब्रह्मा जी को विश्व का सृजन कर्ता माना जाता है। वहीं, शिव जी को संहारक माना गया है। विष्णु जी को जगत का पालनहार माना गया है। गुरुवार को पूजा करते समय विष्णु जी के कुछ मंत्रों का जाप करना चाहिए। मान्यता है कि इन मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति की मनोकामना विष्णु जी पूरा करते हैं। आइए पढ़ते हैं विष्णु जी के मंत्र।
विष्णु जी के मुख्य मंत्र:
विष्णु रूपं पूजन मंत्र-शांता कारम भुजङ्ग शयनम पद्म नाभं सुरेशम। विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम। लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म।
ॐ नमोः नारायणाय.
ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय।
विष्णु गायत्री महामंत्र- ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
वन्दे विष्णुम भवभयहरं सर्व लोकेकनाथम।
विष्णु कृष्ण अवतार मंत्र- श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
विष्णु जी के बीज मंत्र-
ॐ बृं बृहस्पतये नम:।
ॐ क्लीं बृहस्पतये नम:।
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:।
ॐ ऐं श्रीं बृहस्पतये नम:।
ॐ गुं गुरवे नम:।
बृहस्पति शांतिपाठ के मंत्र-
ॐ अस्य बृहस्पति नम: (शिरसि)
ॐ अनुष्टुप छन्दसे नम: (मुखे)
ॐ सुराचार्यो देवतायै नम: (हृदि)
ॐ बृं बीजाय नम: (गुहये)
ॐ शक्तये नम: (पादयो:)
ॐ विनियोगाय नम: (सर्वांगे)
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