इंदौर का 77 साल पुराना एमवाय अस्पताल अब खुद बीमार और जर्जर होता जा रहा है। यह अस्पताल अंदर और बाहर दोनों ही ओर से कई समस्याओं से घिरा हुआ है। 1948 में महाराजा यशवंतराव होल्कर प्रथम द्वारा स्थापित इस गौरवशाली अस्पताल की हालत अब इतनी खराब हो गई है कि इसे ‘इलाज’ की जरूरत है। सरकार को इसके सुधार के लिए भारी रकम खर्च करनी पड़ेगी, वरना स्थिति और भी चिंताजनक हो सकती है।
यह खुलासा लोक निर्माण विभाग (PWD) की 300 पेज की रिपोर्ट में हुआ है। यह रिपोर्ट चूहा कांड के बाद सामने आई है, जिसमें हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया था। फिलहाल इस मामले में सुनवाई चल रही है।
डीन और स्टाफ ने कोर्ट में पेश की रिपोर्ट
राज्य शासन ने कोर्ट में रिपोर्ट पेश की है, जिसमें एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन और सुपरिटेंडेंट सहित स्टाफ व एग्जाइल कंपनी की लापरवाही की जानकारी दी गई है। डीन ने अपने प्रतिवेदन में 31 अगस्त और 1 सितंबर को अस्पताल में चूहे द्वारा काटे जाने की घटनाओं का विवरण दिया है।
डीन की रिपोर्ट में PWD के मेंटेनेंस पर जताई चिंता
- नवजात शिशुओं की मौत चूहे के काटने से नहीं, बल्कि जन्मजात विकृतियों (मल्टिपल कॉन्जेनिटल मॉलफॉर्मेशन्स) से हुई।
- अस्पताल में कर्मचारियों की भारी कमी है।
- PWD द्वारा भवन का रखरखाव बेहद खराब है।
- पेस्ट कंट्रोल का अनुबंध HLL Infra Tech Services Ltd (HITES) के साथ समाप्त कर दिया गया है।
- नर्सिंग स्टाफ पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है।
हाई कोर्ट ने PWD से मांगी विस्तृत जानकारी
हाई कोर्ट ने भवन की जर्जर स्थिति को गंभीरता से लिया और 15 सितंबर को राज्य शासन को निर्देश दिए कि PWD इन बिंदुओं पर रिपोर्ट दे,
- एमवाय अस्पताल और एमजीएम कॉलेज की आंतरिक और बाहरी स्थिति
- दोनों भवनों की अनुमानित शेष उम्र
- ड्रेनेज सिस्टम और बिजली आपूर्ति की स्थिति
- मरम्मत और सुधार के लिए अनुमानित लागत
- स्टाफ क्वार्टर्स और परिसर के नवीनीकरण का विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR)
PWD ने कोर्ट में पेश की 300 पेज की रिपोर्ट
PWD के कार्यपालन यंत्री जे.जे. गौतम ने 7 अक्टूबर को रिपोर्ट कोर्ट में पेश की। रिपोर्ट में अस्पताल से जुड़ी कई गंभीर समस्याओं का जिक्र किया गया।
रिपोर्ट में सामने आई प्रमुख समस्याएं
- अस्पताल की उम्र 25 साल से अधिक नहीं बची, यानी करीब 2050 तक।
- ड्रेनेज सिस्टम बहुत खराब और असंतोषजनक।
- छतों से पानी टपकता है, पाइपलाइन में लीकेज हैं।
- सीवरेज लाइन में भी लीकेज हैं।
- बारिश में बेसमेंट में पानी भर जाता है।
- अधिकांश टॉयलेट और बाथरूम खराब स्थिति में हैं। कई जगह ब्लॉकेज हैं।
- दीवारों और बालकनी में छेद हैं। पानी रिसाव से नमी फैली हुई है।
- ड्रेनेज में कपड़े और कचरा फंसने से चोक रहता है।
PWD ने दिए ये सुझाव
- पूरे ड्रेनेज सिस्टम को दोबारा डिजाइन किया जाए।
- पानी भराव की स्थायी समस्या का हल निकाला जाए।
- सभी टॉयलेट्स को फिर से प्लान किया जाए।
- कचरे की मात्रा बहुत अधिक है, इसके प्रबंधन के लिए ठोस उपाय हों।
- अस्पताल के सभी दरवाजे लकड़ी के हैं, जिनका रंग उतर चुका है।
- बाहर बगीचों के ब्लॉक्स उखड़े हुए हैं।
- परिसर की सड़कें टूटी हुई हैं और कई जगह गड्ढे हैं।