चीन अपनी नेवी को अत्याधुनिक बनाने के लिए तेजी से कदम आगे बढ़ा रहा है। बीते कुछ वर्षों में वो एक एयरक्राफ्ट कैरियर और सबमरीन को समुद्र में उतार चुका है। इसके अलावा स्वदेशी तकनीक से बना फाइटर जेट भी वो वायु सेना को सौंप चुका है। पीएलए नेवी की ही बात करें तो मौजूदा समय में चीन के पास में दो एयरक्राफ्ट कैरियर मौजूद हैं, जबकि एक पर तेजी से काम चल रहा है। ये का ये एयरक्राफ्ट कैरियर शुरुआती दोनों से अधिक बड़ा और ज्यादा आधुनिक है। फ्रांस की नेवल न्यूज के मुताबिक हाई रिजोल्यूशन इमेज में पता लगा है कि इसका काम आधे से अधिक हो चुका है।
खबर के मुताबिक ये एयरक्राफ्ट कैरियर टाइप 003 क्लास का है, जिसका निर्माण बेहद तेज गति से शंघाई के झिआंगनान शिपयार्ड में हो रहा है। ये अब तक का चीन का सबसे बड़ा एयरक्राफ्ट कैरियर है। खबर के मुताबिक CATOBAR कंफीगिरेशन वाला ये एयरक्राफ्ट अधिक वजनी और बड़े विमानों के उतरने में भी मददगार साबित होगा। इससे केटापुल की मदद विमानों को गति दी जा सकेगी और अरेस्टर गियर से उन्हें रोका जा सकेगा। इस लिहाज से ये एयरक्राफ्ट कैरियर पहले से कहीं अधिक बेहतर होगा।
टाइप 003 एयरक्राफ्ट की बात करें तो ये अमेरिकी नेवी के सुपर कैरियर की ही बराबर बड़ा होगा। इसका फ्लाइट डेक पहले से अधिक बड़ा होगा। नेवल न्यूज ने लिखा है कि इसमें और अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर में काफी कुछ चीजें समान होंगी। हालांकि सबसे बड़े एयरक्राफ्ट कैरियर के रूप में अमेरिका का राज कायम रहेगा लेकिन ये उस खिताब से अधिक दूर भी नहीं होगा। खबर में यहां तक कहा गया हैं कम से कम पांग कैरियर के बन जाने तक तो ऐसी ही स्थिति कायम रहेगी। आपको बता दें कि फ्रांस भी अपनी नेवी को अत्याधुनिक रूप देने के लिए पांग प्रोजेक्टी की शुरुआत कर चुका है। हाल ही में इसको फ्रांस के राष्ट्रपति ने ग्रीन सिग्नल दिया है। 2038 तक फ्रांस के चार्ल्स डे गुले को इस प्रोजेक्ट के तहत बनने वाले एयरक्राफ्ट कैरियर से बदल दिया जाएगा। ये एयरक्राफ्ट कैरियर न्यूक्लियर पावर से संचालित होगा।
सेटेलाइट इमेज से मिली जानकारी के मुताबिक चीन का एयरक्राफ्ट कैरियर करीब 300 मीटर (985 फीट) लंबा होगा। इसकी ये लंबाई फोर्ड क्लास कैरियर से कुछ ही छोटी है। फोर्ड क्लास के कैरियर की लंबाई करीब 317 मीटर है। लेकिन ये चीन फ के 001 लियाओनिंग और 002 शानडॉन्ग, जो कि 270 मीटर लंबे हैं, से अधिक होगी। आपको बता दें के केटापुल की मदद से किसी भी फाइटर जेट को शॉर्ट टेक-ऑफ और उतरने में मदद मिलती है। तकनीकी भाषा में इसको स्टोबार (STOBAR) कहा जाता है। बिना इस तकनीक के केजे-600 विमानों को एयरक्राफ्ट कैरियर से संचालित नहीं किया जा सकता है। इस कैरियर पर एयरबॉर्न अर्ली वार्निंग सिस्टम एंड कंट्रोल भी होगा।
खबर में बताया गया है कि चीन के इस एयरक्राफ्ट कैरियर और फ्रांस के कैरियर में यही फर्क होगा कि ये न्यूक्यिल पावर नहीं होगा। इसमें सोवियत जमाने के प्रपल्शन सिस्टम से अधिक बेहद सिस्टम लगा होगा। इसमें इंटीग्रेटेड इलेक्ट्रिक प्रपल्शन सिस्टम भी हो सकता है। हालांकि न्यूक्यिल पावर न होने की वजह से इसकी अपनी सीमाएं होंगी।