हरियाणा में टीकाकरण की तेज रफ्तार के बीच बर्बादी भी कम नहीं, करीब 9.74 फीसद वैक्‍सीन बर्बाद

कोरोनाा महामारी से लड़ने के लिए जिस टीके का लंबे समय से इंतजार किया जा रहा था, उस टीके की अगर बर्बादी होते देखी जाए तो यह पूरी व्यवस्था पर बड़ा सवाल है। हरियाणा देश के उन पांच बड़े राज्यों में शामिल है, जहां कोरोना वैक्सीन की सबसे ज्यादा बर्बादी हो रही है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा के अस्पतालों में हालांकि बेड भी खाली हैं और इलाज की समुचित व्यवस्था भी, लेकिन वैक्सीन की बर्बादी के मामले में हरियाणा देश में दूसरे नंबर पर आ गया है।

वैक्सीन की बर्बादी में देश के राज्यों में दूसरे नंबर पर हरियाणा

इलाज के लिहाज से हरियाणा के सोनीपत, गुरुग्राम और फरीदाबाद जिले के अस्पतालों में दिल्ली के उन लोगों को भर्ती करने से इन्कार नहीं किया जा रहा, जो वहां इलाज या बेड के अभाव में हरियाणा पहुंचे हैं, लेकिन सात प्रतिशत से त्यादा वैक्सीन बर्बाद करने वाले पहले पांच राज्यों में हरियाणा के शामिल होने से संदेश जा रहा है कि यहां वैक्सीनेशन तो बड़ी तेजी के साथ हो रहा है, लेकिन उतनी ही लापरवाही से टीके की डोज भी बर्बाद की जा रही हैं।

तमिलनाडु के बाद हरियाणा में 9.74 फीसदी इंजेक्शन हो चुके बर्बाद

देश के अधिकतर राज्य वैक्सीन की कमी का दावा कर रहे हैं। हरियाणा ने यह दावा कभी नहीं किया। अभी तक 35 लाख से ज्यादा लोगों को टीके लगाए जा चुके हैं। 30 अप्रैल तक 45 लाख तथा 31 मई तक 45 साल से ऊपर के सभी लोगों का टीकाकरण पूरा कर लिया जाएगा। राज्य के पास स्टाक में अभी 10 लाख वैक्सीन रखी हैं, जबकि 15 लाख वैक्सीन के आर्डर पाइप लाइन में हैं। वैक्सीन की कीमत उन राज्यों से पूछी जानी चाहिए, जहां इसकी कमी बन रही है। हरियाणा में तमिलनाडु के बाद सबसे अधिक 9.74 प्रतिशत वैक्सीन की बर्बादी की रिपोर्ट है, जबकि तमिलनाडु में सबसे अधिक 12 फीसदी डोज बर्बाद हो रही हैं।

पहले लोग टीकाकरण से बचते थे, अब नहीं

पंजाब में यह प्रतिशत 8.12 है, जबकि मणिपुर में 7.8 प्रतिशत और तेलंगाना में 7.55 प्रतिशत है। सबसे कम वैक्सीन खराब करने वाले राज्यों में केरल, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, मिजोरम, गोवा, दमन और दीव, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप हैं। इन राज्यों में वैक्सीन का वेस्टेज शून्य है। दरअसल, एक पूरी डोज में 10 लोगों को इंजेक्शन लगते हैं।

यदि 10 लोग एक बार में इकट्ठा नहीं हो पाते तो जितने लोग मौके पर मौजूद मिले, उन्हें ही इंजेक्शन लगा दिया गया। बाकी बची हुई डोज को रखा नहीं जा सकता। इसलिए वह बर्बाद हो जाती हैं। हालांकि आरंभ में टीकाकरण कराने वाले लोगों की संख्या कम थी और अब इनकी संख्या में बढ़ोतरी हो रही है, इसलिए भविष्य में न केवल डोज की वेस्टेज कम होने की संभावना है, बल्कि सरकार ने भी सख्त रवैया अपनाने का संकेत दे दिया है।

विज बोले- डोज वेस्ट हुई तो अफसरों पर होगा एक्शन

हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज का कहना है कि धीरे-धीरे लोगों में जागृति आ रही है। पहले लोग टीका लगवाने में हिचक महसूस कर रहे थे। अब तो सिफारिशें आती हैं। एक मई से 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को टीके लगेंगे। इसलिए अब टीकों की बर्बादी का सवाल ही पैदा नहीं होता। उन्होंने बताया कि सभी स्वास्थ्य अधिकारियों व डाक्टरों से कहा गया है कि वैक्सीन बेहद कीमती है और इसे किसी सूरत में वेस्ट नहीं होने दिया जाना चाहिए। यदि ऐसे केस भविष्य में उनके सामने आए तो संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध हमें एक्शन लेना पड़ेगा।