कोरोना के बढ़ते मामलों के सामने अस्पतालों व दूसरे स्वास्थ्य ढांचे की कमी को देखते हुए केंद्र सरकार ने निजी क्षेत्र से आग्रह किया है कि वह अस्थायी अस्पताल या दूसरे स्वास्थ्य केंद्र खोलने के लिए आगे आए। कंपनी मामलों के मंत्रालय (एमसीए) ने गुरुवार को बड़ी कंपनियों को पत्र लिख कर इस बारे में आग्रह किया है। कंपनियों से यह भी कहा गया है कि उनकी तरफ से निर्मित कोविड केयर फैसिलिटी और अस्थायी हॉस्पिटल के निर्माण पर आने वाली लागत को कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) फंड में गिना जाएगा। कंपनियों से कहा गया है कि जिस तरह से डीआरडीओ और सीएसआइआर ने देश के कई हिस्सों में अस्थाई चिकित्सा केंद्र स्थापित किया है, उसी तरह की सुविधा वे भी स्थापित कर सकते हैं।
सीएसआर में गिना जाएगा अस्थायी कोरोना हॉस्पिटल बनाने का खर्च
सरकार ने कंपनियों से कहा है कि वे यह काम राज्य सरकारों या स्थानीय प्रशासन के साथ विमर्श से कर सकते हैं। पत्र में एमसीए सचिव राजेश वर्मा ने लिखा है कि कई कंपनियां वर्क फ्रॉम होम को तरजीह दे रही हैं, ऐसे में उनके पास अतिरिक्त जगह भी खाली हो सकती है। इसका इस्तेमाल भी अस्थायी अस्पताल खोलने में किया जा सकता है। या फिर कोई बि¨ल्डग हो तो उसका भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इन स्थलों पर कोरोना मरीजों के लिए आइसोलेशन बेड या ऑक्सीजन वाले चिकित्सा बिस्तर लगाए जा सकते हैं। सचिव ने कंपनियों से कहा है कि इस घड़ी उन्हें आगे आकर कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सरकार की मदद करनी चाहिए।