पानीपत की Bhatia Sister’s का कोरोना पीड़ितों की मदद के लिए अद्भुत प्रयास, अन्नपूर्णा का हैं रूप

कोरोना संक्रमण के दौर में एक वे लोग हैं, जो ब्‍लैक मार्केटिंग कर रहे हैं। दवाओं, मास्‍क और इंजेक्शन के दाम बढ़ा रहे हैं, दूसरी तरफ पानीपत की तीन बहनें ऐसी हैं जो कोरोना पीडि़तों की मदद के लिए आगे आई हैं। ये हैं भाटिया सिस्टर्स। पानीपत के यमुना एनक्लेव में तीनों को इसी नाम से पुकारते हैं लोग। एक जेठानी और दो बहनें देवी अन्नपूर्णा सी हैं।

कोरोना संक्रमित परिवारों को जब कोई मदद देने के लिए आगे नहीं आता, ऐसे माहौल में इन बहनों ने उन घरों में खाना पहुंचाने की ठानी है। अपने घर की रसोई में खाना बनाती हैं। थाली में पैक करती हैं। बच्चों के साथ घर के द्वार पर ये थाली रखकर आती हैं। खाना बनने के बाद पहला भोग लड्डू गोपाल श्रीकृष्‍ण को लगाती हैं। दीया जलाते हुए प्रार्थना करती हैं, जहां खाना पहुंचे, वो जल्‍द स्‍वस्‍थ हो जाएं।

कोरोना की दूसरी लहर ने झकझोर कर रख दिया है। दो दिन पहले अंसल से रचना भाटिया के पास फोन आया। पूरा परिवार कोरोना की चपेट में था। सब्जी वाला उनके घर के आगे रेहड़ी नहीं रोक रहा था। परिचित मदद नहीं कर रहे थे। खुद खाना बनाने में असहाय थे। तब रचना ने उनके घर खाना पहुंचाया। जैसे ये परिवार मजबूर था, ठीक वैसे ही और परिवार भी होंगे, उनकी भी मदद करने की रचना ने ठान ली। अपनी जेठानी किरण भाटिया और बहन भारती भाटिया से बात की। तीनों ने तय किया कि अपनी रसोई में रोजाना कोरोना पीड़ितों के लिए दोपहर का खाना बनाएंगे। बेटे अंश से कहा कि इंटरनेट मीडिया के माध्यम से लोगों तक सूचना पहुंचाने के लिए एक नोटिस बना दें। इसके सबसे नीचे लिखवाया – भाटिया सिस्टर्स की तरफ से।

कोरोना पीड़ितों का दर्द समझती हैं

भारती भाटिया के पति पिछले वर्ष कोरोना संक्रमित हो गए थे। भारती ने बताया कि उन्हें अनुभव है कि इस बीमारी के कारण आसपड़ोस के लोग दूरी बना लेते हैं। उनका भी दोष नहीं है। इस बीमारी से बचने के लिए दूरी तो जरूरी है लेकिन जिस तरह से मदद नहीं मिल पाती, तब खुद को बेहद असहाय समझते हैं। कोरोना संक्रमितों के इसी दर्द को अनुभव करते हुए उन्होंने खाना पहुंचाने की पहल की है।

दो संस्थाओं से जुड़ी हैं, खुद कर रहीं मदद

किरण भाटिया ने बताया कि वह तीनों देवीवती शिक्षा संस्था और इंटर व्हील क्लब से जुड़ी हैं। इन दिनों क्लब की गतिविधियां नहीं हो रहीं। कोरोना संक्रमितों की सेवा के लिए उन्होंने खाना पहुंचाने की ठानी है। अब दो एरिया का जिम्मा लिया है। वे चाहती हैं कि इसी तरह माडल टाउन, सेक्टरों और अन्य कालोनियों में लोग आगे आएं। इस तरह मदद पहुंचाएंगे। उनकी बेटी डा.अंशिल भाटिया डाक्टर हैं और कोविड ड्यूटी पर हैं। रचना की बेटी डा.कशिश एमबीबीएस कर रही हैं।

लड्डू गोपाल को लगाते हैं पहला भोग

कोविड संक्रमितों तक खाना पहुंचाने से पहले तीनों बहनें पहले लड्डू गोपाल को भोग लगाती हैं। खाना पैक होने के बाद मंदिर में पूजा करती हैं। प्रार्थना करती हैं कि जिन्हें भी खाना पहुंचें, वे जल्द स्वस्थ हो जाएं। रचना भाटिया ने बताया कि पहले दिन छह लोगों के फोन आए। दूसरे दिन 21 ने फोन किया। सभी के घर दोपहर का खाना पहुंचाकर आए हैं।