दुनिया में तेजी से पिघल रहे ग्लेशियर, धरती का बढ़ता तापमान है सबसी बड़ी वजह

दुनिया के सभी ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। वे तेजी से अपना आकार खो रहे हैं। इसका बड़ा कारण धरती का बढ़ता हुआ तापमान है। बढ़ते तापमान से हिमालय, अलास्का, आइसलैंड, आल्पस और पामीर का बर्फीला इलाका सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। यह बात अमेरिकी विशेषज्ञों के अध्ययन में कही गई है। इससे संबंधित रिपोर्ट साइंस जर्नल नेचर में प्रकाशित हुई है।

रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के करीब 2,20,000 ग्लेशियर पिघल रहे हैं। इसके कारण समुद्रों का जलस्तर ऊंचा उठ रहा है और लाखों हेक्टेयर जमीन पानी में डूब गई है। इससे समुद्रों के किनारे बसे शहरों, आबादी और जंगलों को खासतौर से खतरा पैदा हो गया है।

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के टेरा सेटेलाइट से वर्ष 2019 और 2020 में ली गई तस्वीरों से ग्लेशियरों का आकार कम होने और समुद्रों का आकार बढ़ने की तस्दीक हुई है। दुनिया में सिर्फ दो इलाकों- ग्रीनलैंड और अंटार्कटिक क्षेत्रों के हिमखंड मोटे हुए हैं, बाकी पूरी दुनिया में बर्फ कम हुई है। प्रति वर्ष जो बर्फ पिघल रही है उसकी मात्रा लाखों टन है। इसके चलते हाल के वर्षो में समुद्र का स्तर 21 प्रतिशत तक बढ़ा है।

ग्लेशियर के पिघलने की यह रफ्तार पर्यावरण में तेजी से हो रहे बदलाव के चलते बढ़ी है। अध्ययन करने वाले मौसम विज्ञानियों ने चेतावनी दी है कि धरती के बढ़ रहे तापमान को अगर नियंत्रित नहीं किया गया तो कुछ ही दशकों में हालात बहुत खराब हो जाएंगे। सन 2100 तक समुद्रों का जलस्तर एक मीटर तक ऊंचा हो जाएगा। पूरा परिस्थितिकी तंत्र बदलने का खतरा पैदा हो जाएगा।