कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आए बिहार के बाहुबली नेता और राष्ट्रीय जनता दल के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन के निधन की खबर अफवाह निकली। इससे पहले शनिवार सुबह से समाचार एजेंसी एएनआइ के ट्वीट के बाद इंटरनेट मीडिया पर यह अफवाह तेजी से फैली कि बिहार के दबंद नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन का दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में निधन हो गया। वहीं, कुछ देर बाद तिहाड़ जेल प्रशासन ने मोहम्मद शहाबुद्दीन की कोरोना संक्रमण से मौत की खबरों को अफवाह करार दिया। जेल प्रशासन ने सोशल मीडिया पर चल रही खबरों को अफवाह बताया गया। जेल प्रशासन की ओर से कहा गया है कि पूर्व सांसद दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल (Deendayal Upadhyay Hospital) में भर्ती हैं। मरीज की हालत गंभीर है और इलाज जारी है। इस बीच समाचार एजेंसी ने मोहम्मद शहाबुद्दीन की मौत की खबर ट्वीट करने पर माफी मांगी है।
ऐसे फैली अफवाह
इससे पहले शुक्रवार शाम को भी बिहार के इस नेता के निधन की अफवाह उड़ी थी। वहीं, शनिवार सुबह समाचार एजेंसी एएनआइ ने ट्वीट कर मोहम्मद शहाबुद्दीन के निधन की जानकारी दी, लेकिन कुछ ही देर बाद ही तिहाड़ जेल के डीजी संदीप गोयल ने निधन की पुष्टि से इनकार किया। वहीं, दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल प्रशासन का कहना है कि मोहम्मद शहाबुद्दीन की हालत बेहद गंभीर बनी हुई है।
वहीं, शनिवार सुबह समाचार एजेंसी एएनआइ ने ट्वीट के जरिये जानकारी दी कि तिहाड़ जेल नंबर 2 में बंद बिहार का दंबग नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन पिछले दिनों कोरोना वायरस से संक्रमित हो गया था। इसके बाद शहाबुद्दीन दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इस बीच हालत ज्यादा बिगड़ने पर उसकी मौत हो गई। बाद में यह खबर अफवाह साबित हुई।
यहां पर बता दें कि 10 मई 1967 को बिहार में जन्में मोहम्मद शहाबुद्दीन का अपराध से बेहद गहरा नाता रहा। बावजूद वह राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख नेताओं में से एक रहे। इतना ही नहीं, राष्ट्रीय जनता दल के मुखिया लालू प्रसाद यादव के करीबी माने जाते थे। यहां पर यह बताना जरूरी है कि 30 अगस्त 2017 को पटना उच्च न्यायालय ने सिवान हत्या के मामले में मोहम्मद शहाबुद्दीन की मौत की सजा को बरकरार रखा था। इसके बाद वह लगातार जेल की सलाखों के पीछे रहे।
उधर, तिहाड़ जेल से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, मोहम्मद शहाबुद्दीन जेल संख्या दो के हाई सिक्याेरिटी सेल में कड़ी सुरक्षा के बीच थे। नियमानुसार भी इनके पास किसी भी बाहरी व्यक्ति को बिना समुचित जांच के जाने नहीं दिया जाता है। जेल के चुनिंदा कर्मी ही इनसे मुलाकत करते हैं। इनसे मिलने वालों को समय समय पर कोरोना जांच की प्रक्रिया से भी गुजरना पड़ता है, बावजूद पूर्व सांसद कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आ गए थे। इस जानकारी के बाद अब जेल संख्या दो परिसर में बंद अन्य कैदियों की कोरोना जांच बड़े पैमाने पर की जा रही है।
इस दौरान तिहाड़ जेल में जिसके भी लक्षण नजर आ रहे हैं उसे तत्काल दूसरे कैदियों से अलग किया जा रहा है। भले ही जांच के नतीजे बाद में आएं लेकिन उसे अलग करने की प्रक्रिया लक्षण नजर आते ही शुरू कर दिया जाता है। यहां की डिस्पेंसरी में चिकित्सकों को कोरोना के बढ़ रहे मामलों के कारण अधिक से अधिक जांच करने को कहा गया है।