भारत में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियों में अप्रैल में मार्च की तुलना में मामूली सुधार देखने को मिला। कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच नए ऑर्डर और आउटपुट की रफ्तार आठ माह के निचले स्तर पर आ गई। एक मासिक सर्वेक्षण में यह बात कही गई है। IHS Markit का मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) अप्रैल में 55.5 पर रहा। मार्च में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का PMI 55.4 पर रहा था। पीएमआई पर 50 से अधिक का आंकड़ा वृद्धि जबकि उससे नीचे का आंकड़ा संकुचन को दिखाता है। IHS Markit में एसोसिएट डायरेक्टर (इकोनॉमिक्स) पॉलियाना डि लीमा ने कहा, ”कोविड-19 संकट के और गहरा जाने से नए ऑर्डर और आउटपुट के ग्रोथ में और नरमी देखने को मिली।”
लिमा ने कहा कि कोविड-19 से जुड़े मामलों में बढ़ोत्तरी से मांग में और कमी देखने को मिल सकती है।
हालांकि, भारत में कोविड-19 के दैनिक मामलों में मामूली कमी देखने को मिली। देश में एक दिन में कोरोना वायरस के 3,68,147 नए मामले सामने आए। इससे कुल मामलों की संख्या 1,99,25,604 पर पहुंच गई।
लिमा ने कहा कि मैन्युफैक्चरर्स जिन परेशानियों का सामना कर रहे हैं, उन्हें नजरंदाज नहीं किया जा सकता है। जहां तक लागत का सवाल है तो सर्वे में शामिल प्रतिभागियों ने लागत व्यय में तेज वृद्धि का संकेत दिया है।
लिमा ने कहा, ”अप्रैल में लागत व्यय में पिछले सात साल में सबसे तेज वृद्धि देखने को मिली। इससे आउटपुट चार्ज में अक्टूबर, 2013 के बाद सबसे तेज दर से वृद्धि देखने को मिली। आने वाले महीनों के आंकड़े इस लिहाज से अहम होंगे कि इन चुनौतियों के बावजूद क्लाइंट्स की मांग में में लचीलता रहती है या विनिर्माताओं को नया काम लेने के लिए लागत को खुद वहन करना पड़ेगा।”
अप्रैल में भी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में छंटनी जारी रही। हालांकि छंटनी की दर पिछले 13 माह में सबसे धीमी रही।