भारत के हर घर की रसोई में कई तरह के खाद्य तेल पाए जाते हैं। देश के लगभग अधिकतर हिस्सों में बनने वाले स्वादिष्ट एवं चटपटे व्यंजनों में इन खाद्य तेलों का बहुत योगदान होता है। लेकिन पिछले एक साल में रसोई गैस में प्रमुखता से उपयोग में आने वाले तेल के भाव में लगातार तेजी से देश का मीडिल क्लास और निम्न मध्यमवर्गीय परिवार काफी परेशान है। हालांकि, आम लोगों के लिए राहत भरी खबर है। केंद्र सरकार ने खाद्य तेलों के खुदरा दाम में जल्द नरमी की उम्मीद जताई है। सरकार का कहना है कि आयातित खाद्य तेलों की बड़ी खेप कई बंदरगाहों पर विभिन्न स्वीकृतियों के इंतजार में अटकी पड़ी है। बंदरगाहों से इस खेप के बाजार में आ जाने के बाद खाद्य तेलों के दाम में नरमी आएगी।
पिछले एक साल में 55.55% तक बढ़े Edible Oil के रेट
सरकारी आंकड़ों में कहा गया है कि पिछले एक वर्ष के दौरान खाद्य तेलों का दाम 55.55 फीसद तक बढ़ गया है। कोरोना संकट की दूसरी लहर के चलते पहले से ही संकट में पड़े उपभोक्ताओं को खाद्य तेलों के दाम में यह बढ़ोतरी ज्यादा चिंतित कर रही है। आंकड़े बताते हैं कि इस वर्ष आठ मई को वनस्पति तेल का खुदरा मूल्य 140 रुपये प्रति किलो पर जा पहुंचा, जो पिछले वर्ष इसी समय 90 रुपये प्रति किलो के स्तर पर था।
वहीं, पाम ऑयल का भाव पिछले एक वर्ष में 87.5 रुपये प्रति किलो से करीब 52 फीसद बढ़कर 132.6 रुपये प्रति किलो पर जा पहुंचा है। सोयाबीन तेल एक वर्ष पहले 105 रुपये प्रति किलो का मिल रहा था जो अब 158 रुपये प्रति किलो का मिल रहा है।
जानें खाद्य सचिव ने क्या कहा
खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने कहा कि सरकार खाद्य तेलों के दाम पर हमेशा पैनी नजर रखती है। इस जरूरी आइटम के दाम में बढ़ोतरी पर काबू पाने के लिए सरकार सभी जरूरी कदम उठा रही है। उन्होंने बताया कि इस उद्योग द्वारा दी जानकारी के अनुसार खाद्य तेलों की बड़ी खेप कांडला और मुंद्रा बंदरगाहों (दोनों गुजरात में) पर अटकी पड़ी है। इसकी मुख्य वजह यह है कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए बंदरगाहों पर क्लियरेंस देने पहले इनके कई जरूरी परीक्षण होने हैं, जो खाद्य वस्तुओं के लिए जरूरी मानकों में शामिल हैं।
खाद्य सचिव का कहना था कि सीमा शुल्क अधिकारियों और फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआइ) के अधिकारियों के साथ इस बारे में बात हुई है और बंदरगाहों पर पड़ी खेप को जल्द से जल्द बाजार तक पहुंचाने की प्रक्रिया चल रही है। उनके मुताबिक खाद्य तेलों के मामले में देश काफी हद तक आयात पर निर्भर करता है। भारत सालाना लगभग 75,000 करोड़ रुपये मूल्य के खाद्य तेलों का आयात कर रहा है।