कॉन्स्टिट्यूशन क्लब के सचिव पद के चुनाव में एक बार फिर भाजपा नेता और सांसद राजीव प्रताप रूडी ने जीत दर्ज करते हुए अपने रिकॉर्ड को बरकरार रखा।
इस मुकाबले में रूडी ने अपनी ही पार्टी के पूर्व सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान को हराया। इस जीत के साथ उन्होंने ढाई दशक से जारी अपना कब्जा एक बार फिर पक्का कर लिया। वह करीब 25 साल से इस पद पर बने हुए हैं।
हाई प्रोफाइल बना चुनाव, भाजपा बनाम भाजपा
इस बार मुकाबला और भी दिलचस्प इसलिए हो गया क्योंकि दोनों ही उम्मीदवार भाजपा से थे। सचिव पद के लिए नामांकन दाखिल होने के बाद पार्टी लाइन से ऊपर उठकर नेताओं में खेमेबंदी शुरू हो गई। रूडी के समर्थन में न सिर्फ भाजपा के कई सांसद, बल्कि कांग्रेस और विपक्षी दलों के बड़े नेता भी सामने आए। वहीं बालियान के पक्ष में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने मोर्चा संभाला, जिन्हें गृह मंत्री अमित शाह का करीबी माना जाता है।
दुबे ने चुनाव से पहले क्लब में “दलालों के कब्जे” का आरोप लगाकर माहौल गर्मा दिया था। दूसरी ओर, रूडी के पक्ष में उत्तर प्रदेश के एक वरिष्ठ नेता ने मोर्चा संभाला और राजपूत लॉबी भी सक्रिय हो गई। कई सदस्यों ने अपने-अपने करीबियों को फोन कर अपने पसंदीदा उम्मीदवार के लिए वोट डालने को मनाया।
पहली बार शाह, नड्डा, सोनिया समेत दिग्गजों ने डाला वोट
चुनाव को लेकर एक ऐतिहासिक पहलू यह भी रहा कि पहली बार भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कई अन्य सियासी दिग्गजों ने वोट डाला। अब तक सचिव पद के तीन चुनावों में औसतन सौ के करीब ही मत पड़े थे, लेकिन इस बार रिकॉर्ड 707 वोट पड़े। इनमें से 38 डाक मत थे, जबकि 669 सांसदों ने व्यक्तिगत रूप से आकर मतदान किया। मोदी सरकार के लगभग सभी मंत्री और विपक्ष के प्रमुख चेहरे मतदान करने पहुंचे। गौरतलब है कि इस चुनाव में सिर्फ वर्तमान और पूर्व सांसद ही वोट डाल सकते हैं, जिनकी कुल संख्या लगभग 1300 है।
अन्य पदों पर निर्विरोध जीत
इस चुनाव में सिर्फ सचिव पद पर मतदान हुआ। खेल सचिव पद के लिए राजीव शुक्ला, संस्कृति सचिव के लिए तिरुचि शिवा और कोषाध्यक्ष के लिए जितेंद्र रेड्डी निर्विरोध चुने गए।
रामनाथ कोविंद को भी हरा चुके है रूडी
रूडी का इस पद पर लंबा अनुभव है। वह 1999 में कॉन्स्टिट्यूशन क्लब के पदेन सचिव बने और 2009 में चुनावी प्रक्रिया शुरू होने के बाद से लगातार जीतते आ रहे हैं। 2009 में भी भाजपा बनाम भाजपा की लड़ाई हुई थी, जब उनके सामने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद थे, लेकिन तब भी जीत रूडी के हिस्से आई थी।