चीन ने चेक रिपब्लिक के राष्ट्रपति से संबंध तोड़े:दलाई लामा से भारत आकर मिले थे राष्ट्रपति; चीन को इसपर आपत्ति थी

चीन ने मंगलवार को चेक रिपब्लिक के राष्ट्रपति पेट्र पावेल के साथ सभी संबंध खत्म करने का फैसला किया है। यह फैसला पावेल की हाल ही में तिब्बती आध्यात्मिक गुरू दलाई लामा से मुलाकात के बाद लिया गया।

चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि बीजिंग ने चेक रिपब्लिक के खिलाफ इस मुलाकात पर कूटनीतिक विरोध दर्ज किया है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने पावेल की मुलाकात पर कहा

चेक राष्ट्रपति पेट्र पावेल ने चीन की बार-बार की आपत्तियों और कड़े विरोध को नजरअंदाज करते हुए भारत जाकर दलाई लामा से मुलाकात की।

चीन ने चेक सरकार का विरोध किया

प्रवक्ता ने मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर पोस्ट कर कहा, ‘यह चेक सरकार के चीनी सरकार से किए गए राजनीतिक वादे का गंभीर उल्लंघन है और चीन की संप्रभुता तथा क्षेत्रीय अखंडता को नुकसान पहुंचाता है।’

प्रवक्ता ने कहा, ‘चीन इसकी कड़ी निंदा करता है और इसका विरोध करता है। हमने चेक पक्ष के साथ गंभीर विरोध दर्ज किया है। पावेल के इस उकसावे वाले कदम की गंभीरता को देखते हुए, चीन ने उनके साथ सभी संपर्क खत्म करने का फैसला किया है।’

27 जुलाई को लद्दाख में दलाई लामा से मिले थे पावेल

चीन हमेशा दलाई लामा से मिलने वाले नेताओं और अधिकारियों का विरोध करता है, जिन्हें वह अलगाववादी मानता है।

पावेल ने 27 जुलाई को लद्दाख में दलाई लामा से मुलाकात की। यह पहली बार था जब किसी मौजूदा राष्ट्राध्यक्ष ने भारत जाकर दलाई लामा से मुलाकात की।

दलाई लामा 12 जुलाई को केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के एक महीने के दौरे पर लेह पहुंचे थे। दलाई लामा के कार्यालय ने एक्स पर पोस्ट किया, “मुलाकात के दौरान राष्ट्रपति ने उनकी 90वीं जन्मदिन की बधाई दी।”

दलाई लामा ने पावेल को न्योता दिया था

पावेल के कार्यालय ने कहा कि यह यात्रा दलाई लामा के निमंत्रण पर थी। पावेल के साथ उनके कार्यालय से कोई नहीं था।

राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा, ‘राष्ट्रपति ने जापान की यात्रा से लौटते समय प्रतिनिधिमंडल से अलग होकर दलाई लामा को व्यक्तिगत रूप से बधाई दी।’

चीन ने चेक से अच्छे संबंध बनाए रखने को कहा

पावेल के 27 जुलाई को दलाई लामा से मुलाकात पर चीन ने कहा था कि वह चेक रिपब्लिक के राष्ट्रपति पावेल की भारत में तिब्बती आध्यात्मिक गुरू दलाई लामा के साथ मुलाकात का दृढ़ता से विरोध करता है।

चीन ने चेक रिपब्लिक से चीन राजनीतिक प्रतिबद्धता का पालन करने और अच्छे संबंध बनाए रखने को कहा था।

हाल के वर्षों में चीन के साथ चेक रिपब्लिक के संबंधों में नरमी आई है। चेक रिपब्लिक ने मई, 2025 में चीन पर विदेश मंत्रालय पर साइबर हमले का आरोप लगाया था।

चीन और चेक के बीच तनावपूर्ण संबंध

चीन और चेक रिपब्लिक के बीच राजनयिक संबंध 1949 में स्थापित हुए थे, जब चेकोस्लोवाकिया (जिसका हिस्सा चेक रिपब्लिक तब था) ने नवगठित पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना को मान्यता दी।

1993 में चेकोस्लोवाकिया के विभाजन के बाद चेक रिपब्लिक ने चीन के साथ स्वतंत्र रूप से संबंध बनाए रखे। दोनों देशों के बीच राजनीतिक संबंध कई बार तनावपूर्ण रहे हैं, खासकर मानवाधिकार और तिब्बत जैसे मुद्दों पर।

चेक गणराज्य, यूरोपीय संघ (EU) के सदस्य के रूप में, अक्सर मानवाधिकार और लोकतंत्र के मुद्दों पर यूरोप के रुख का समर्थन करता है, जो चीन के साथ मतभेद का कारण बनता है।

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