सपा प्रमुख अखिलेश यादव के दावों को तीन जिलों के DM ने गलत ठहराया है। सपा ने 2022 में चुनाव आयोग पर वोट चोरी का आरोप लगाया था। इसके लिए 18 हजार हलफनामे (शपथपत्र) जमा किए थे। अब तीन साल बाद इनमें से 15 हलफनामों की जांच पूरी हुई है।
जौनपुर, कासगंज और बाराबंकी के डीएम ने मंगलवार देर रात सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर बताया कि जो शिकायतें उनके पास आई थीं, उनकी जांच कर ली गई हैं। जांच में पता चला है कि कुछ नाम मतदाता सूची से हटाए गए थे, क्योंकि वे दूसरे स्थान पर पहले से दर्ज थे। कुछ लोगों की पहले ही मौत हो चुकी है, इसलिए उनके नाम डिलीट कर दिए गए।
इस मामले पर अखिलेश ने कहा- यूपी में 2022 के विधानसभा चुनावों में नाम काटने को लेकर हमने जो 18000 शपथपत्र दिये थे, भाजपा सरकार उनमें से एक का भी जवाब सही तरीके से देना नहीं चाहती है। जिलाधिकारी को आगे करके चुनाव आयोग बच नहीं सकता।
इस मामले की गहन जांच-पड़ताल हो। डीएम साहब दिखाएं कि नाम काटते समय जो ‘मृतक प्रमाणपत्र’ लगाए गये थे, वो कहां हैं? अगर ये झूठ नहीं है तो ये सफाई देने में इतने साल क्यों लग गए?
सपा प्रवक्ता ने जौनपुर डीएम से पूछा- गांजा तो नहीं फूंके?
सपा प्रवक्ता अमिक जामेई ने डीएम जौनपुर की पोस्ट पर कमेंट करते हुए लिखा-जब यह शिकायत की गई थी, तब आप डीएम नहीं थे। इलेक्शन कमीशन एफिडेविट की जांच करे और तत्कालीन डीएम एफिडेविट देकर बताए कि डिलीटेड वोटर मृत है। मेरे नेता अखिलेश यादव ने दो साल पहले वोट की चोरी पकड़ी थी। वोट चोरी सामने आई तो 18,000 एफिडेविट का जवाब देने के लिए अब जगे हैं? सरकारी सप्लाई वाला गांजा तो नहीं फूंके हैं?
अखिलेश ने कहा था- एक डीएम सस्पेंड कर दो, सब ठीक हो जाएंगे
समाजवादी पार्टी ने ये हलफनामे 4 नवंबर 2022 को दिए थे। सोमवार को संसद के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए अखिलेश यादव ने कहा था कि एक डीएम के खिलाफ कार्रवाई कर दो, सब ठीक हो जाएंगे। फिर कोई हिम्मत नहीं करेगा किसी का वोट डिलीट करने की। इस पर तीन जिलों के डीएम ने 19 अगस्त को देर रात सोशल मीडिया पोस्ट करके जवाब दिया है।