भोपाल का 135 साल पुराना सरकारी सुल्तानिया अस्पताल जल्द हाईटेक और मॉडर्न रूप में बनकर तैयार हो जाएगा। इसकी बिल्डिंग इस तरह बनाई जा रही है, जिसमें दिन में लाइट जलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। कंस्ट्रक्शन कंपनी का दावा है कि इसके तीन फ्लोर में एयर कंडीशनर (AC) की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। हालांकि, आईसीयू और सेंसेटिव एरिया समेत नीचे के दो फ्लोर में जरूरत के लिहाज से एसी लगाए जाएंगे।
अंग्रेजी के आई अक्षर के शेप में बन रही इस बिल्डिंग के ज्यादातर हिस्से में प्राकृतिक रोशनी सीधे जाएगी। छत पर सोलर पैनल लगेंगे। इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए पार्किंग में चार्जिंग स्टेशन बनाए जाएंगे। इस सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल का निर्माण कार्य 136 करोड़ की लागत से अगस्त 2026 तक पूरा हो जाएगा।
स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में ये जिले का पहला ऐसा अस्पताल होगा, जहां ऑपरेशन थिएटर (OT) में रोबोटिक सर्जरी होगी। मिनिमल इनवेसिव प्रोसीजर और स्मार्ट मॉनिटरिंग जैसी सुविधाएं पहली बार किसी सरकारी सेटअप में एक ही छत के नीचे मिलेंगी।
ओपीडी, आईपीडी और इमरजेंसी अलग-अलग ब्लॉक में रहेंगे
अस्पताल में ओपीडी, आईपीडी और इमरजेंसी के अलग-अलग ब्लॉक बनाए गए हैं, जिससे गंभीर मरीज, भर्ती मरीज और सिर्फ ओपीडी में दिखाकर लौट जाने वाले मरीज एक-दूसरे से अलग रहेंगे। गंभीर और भर्ती मरीज ओपीडी की भीड़ से बच सकेंगे। इनकी जांच और बिलिंग भी अलग-अलग होगी।
जिला स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि यह पहला अस्पताल है, जिसके निर्माण के लिए हॉस्पिटल प्लानर नियुक्त किया था। सीएमएचओ डॉ. मनीष शर्मा का कहना है कि पुराने सुल्तानिया की सेवा परंपरा और नए दौर की तकनीक का यह संगम हाेगा, जिससे राजधानी की स्वास्थ्य व्यवस्था को अगले स्तर पर ले जाने वाला है।
अस्पताल का फर्स्ट फेज अगस्त 2026 तक पूरा करने की डेडलाइन रखी है। इसमें अस्पताल में जच्चा-बच्चा से लेकर बुजुर्गों और संक्रामक रोगों के मरीजों को इलाज मिलने लगेगा।
यहां 24×7 इमरजेंसी सेवा मिलेगी। मरीजों को लाने ले जाने के लिए एम्बुलेंस सेवा के साथ मृतकों के लिए शव वाहन मुहैया कराए जाएंगे। अलग से ट्रॉमा केयर यूनिट होगी, जिसमें दुर्घटना की चपेट में आए मरीजों का इलाज किया जाएगा। लेजर मशीनों से लैस एडवांस फिजियोथेरेपी यूनिट बनाई जाएगी।
अस्पताल के फर्स्ट फेज में ये सुविधाएं मिलने लगेंगी
मेटरनिटी विंग : एक सप्ताह पहले भर्ती हो सकेंगी महिलाएं
प्रसूति प्रतीक्षालय बनाया जा रहा है, जहां डिलीवरी डेट से एक सप्ताह पहले महिलाएं भर्ती हो सकेंगी, जिससे एनवक्त पर दौड़-भाग से बच सकेंगी। लेबर रूम, वार्ड, सोनोग्राफी, ब्लड टेस्ट समेत अन्य सुविधाओं के लिए बिल्डिंग में डेडिकेटेड एरिया होगा। एडवांस ओटी में हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं के इलाज की भी व्यवस्था रहेगी।
पीडियाट्रिक विंग : बच्चों के इलाज से खेलने तक की सुविधा
गंभीर स्थिति वाले नवजात शिशु के इलाज की व्यवस्था रहेगी। इसके लिए नियोनेटल आईसीयू तैयार किया जा रहा है। सामान्य बच्चों को भर्ती करने के लिए पीडियाट्रिक वार्ड होगा। पीआईसीयू, टीकाकरण केंद्र और प्ले रूम भी रहेगा। इस विंग में 51 बच्चों को रखने की व्यवस्था की जा रही है।
जिरिएट्रिक यूनिट : बुजुर्गों के लिए डे-केयर वार्ड भी बन रहा
अस्पताल में बुजुर्गों के लिए जिरिएट्रिक वार्ड और डे-केयर वार्ड भी होंगे। यह सुविधा सिर्फ 60 साल से अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए होगी। यहां उनकी जरूरतों के हिसाब से व्यवस्थाएं की जाएंगी। यहां लगाए जाने वाले सभी 10 बेड की हाइट भी एडजस्टेबल होगी, ताकि उन्हें बेड से उठने या बैठने में समस्या न हो।
जिले के किसी अस्पताल में ये सुविधाएं एक साथ नहीं
अस्पताल के सेकेंड फेज में यहां रोबोटिक सर्जरी से लेकर स्पेशलिटी विंग तैयार होंगी। इनके लिए बिल्डिंग में पहले से प्रावधान किए गए हैं। अधिकारियों के अनुसार सेकेंड फेज के प्रस्ताव को मंजूरी भी मिल गई है। यही कारण है कि भवन के प्लान में बदलाव किए गए, जिससे इन यूनिट के लिए पहले से जगह चयनित की जा सके। यही कारण रहा कि इसके निर्माण का बजट 50 करोड़ से अधिक बढ़ाया गया।
सेकेंड फेज में यह सुविधाएं मिलेंगी
- डर्मेटोलॉजी – त्वचा, बाल और नाखून से जुड़ी बीमारियों का इलाज किया जाता है।
- न्यूरोलॉजी और न्यूरोसर्जरी – दिमाग, नसों और रीढ़ की बीमारियों का इलाज और सर्जरी होती है।
- कार्डियोलॉजी – हृदय और ब्लड प्रेशर से जुड़ी बीमारियों का इलाज किया जाता है।
- एंडोक्रिनोलॉजी – डायबिटीज, थायरॉइड, मोटापा और हार्मोन संबंधी बीमारियों का इलाज होता है।
- गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी – पेट, आंत, लिवर और पाचन तंत्र की बीमारियों का इलाज किया जाता है।
- कार्डियक सर्जरी – हृदय की गंभीर बीमारियों और ब्लॉकेज का ऑपरेशन किया जाता है।
- यूरोलॉजी – किडनी, ब्लैडर और पेशाब की नली से जुड़ी बीमारियों का इलाज होता है।
- कैंसर विभाग – कैंसर की पहचान, दवा, किरणों और सर्जरी से इलाज किया जाता है।
CMHO बोले- बड़ी आबादी को राहत मिलेगी
सीएमएचओ डॉ. मनीष शर्मा ने कहा कि पुराने शहर में लंबे समय से एक अतिरिक्त अस्पताल की जरूरत थी। यह अस्पताल का कार्य तेजी से चल रहा है। इसके शुरू होने से पुराने शहर की बड़ी आबादी को राहत मिलेगी।
यहां हर प्रकार की सुपर स्पेशलिटी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। मॉड्यूलर ओटी बनाई जा रही है। इसका एक कारण यह कि इन ओटी में हर मॉडर्न तकनीक को इंस्टॉल किया जा सकता है।
डॉ. मनीष शर्मा ने कहा-
रोबोटिक सर्जरी की प्रक्रिया अभी इनिशियल स्टेज में है। यहां इमरजेंसी के लिए एक सेपरेट सेटअप तैयार किया जा रहा है, जो सी ब्लॉक में होगा। सात मॉड्यूलर ओटी होंगे। मेडिसिन डिपार्टमेंट की पूरा सेंट्रलाइज्ड यूनिट रहेगी। इसके साथ लेबर रूम में आठ टेबल का सेटअप होगा यानी एक समय में आठ प्रसव हो सकें।
भवन है खास… प्राकृतिक रोशनी पर जोर, छत पर लगेंगे सोलर पैनल
अस्पताल परिसर में बनाए जा रहे सर्विस ब्लॉक में मॉडर्न सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। इसमें तीन-तीन डीजी सेट (1000 केवीए), 33 केवी ट्रांसफॉर्मर और 33 केवी वीसीबी लगाए जाएंगे। इसके साथ ही एलटी पैनल रूम और मुख्य एलटी पैनल की व्यवस्था होगी।
कचरे के निपटान के लिए वेस्ट सेरोगेशन और गार्बेज कलेक्शन की सुविधा दी जाएगी, वहीं शव गृह (मॉर्चुरी) भी बनाया जाएगा। पानी की जरूरतों और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कच्चे पानी का टैंक, फायर टैंक और ट्रीटेड वाटर टैंक तैयार होंगे।
बाहरी सुविधाओं में वर्षा जल संचयन और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट शामिल हैं। साथ ही ट्रांसफॉर्मर विद लाइन की व्यवस्था भी होगी। स्टाफ वाहनों के लिए अलग पार्किंग, 180 कारों की क्षमता वाली कार पार्किंग (स्टैक पार्किंग सहित) और टू-व्हीलर पार्किंग बनाई जाएगी।
अस्पताल परिसर में कॉन्क्रीट रोड, ड्रैनेज सुविधा, गार्ड रूम और रैम्प भी होंगे। मरीजों और परिजनों के लिए हरियाली का वातावरण बनाए रखने के लिए गार्डन भी तैयार किया जाएगा।
नहीं बदलेगा हॉस्पिटल का पुराना नाम
खास बात यह है कि हॉस्पिटल का नाम सुल्तानिया ही रहेगा। बस इतना फर्क होगा कि सुल्तानिया जनाना अस्पताल के स्थान पर अब इसे सुल्तानिया मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल से जाना जाएगा।
यह 28 हजार 194 स्क्वायर मीटर की जगह में अंग्रेजी के आई-शेप में बन रहा है। अस्पताल की बिल्डिंग 5 खंड की होगी, जो ऊपर से देखने पर अंग्रेजी के ‘आई’ शब्द के आकार में नजर आएगी।
इस अस्पताल का निर्माण पहले 76 करोड़ से किया जाना था। लेकिन, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने भविष्य की जरूरतों को देखते हुए इसके निर्माण में बदलाव किए। जिससे इसकी लागत बढ़ी है। अस्पताल के निर्माण की जिम्मेदारी एमपी बिल्डिंग डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (बीडीसी) के पास है।
सुल्तानिया अस्पताल का 135 साल पुराना इतिहास
वायसराय लैंसडाउन और उनकी पत्नी 1890 में भोपाल आई थी। तब उन्होंने महिलाओं के लिए अस्पताल बनाने का प्रस्ताव दिया था। इसके एक साल बाद 1891 में सुल्तानिया अस्पताल की नींव रखी गई।
उस समय उसे लेडी लैंसडाउन वुमन हॉस्पिटल नाम दिया गया। करीब 10 साल बाद पुरानी कोतवाली में एक अन्य छोटा सा अस्पताल शुरू हुआ था। उस अस्पताल को बाद में वर्तमान में जहां हमीदिया अस्पताल है, वहां शिफ्ट कर दिया था।