पंजाब सरकार के “जीवनज्योत 2.0” अभियान के तहत अमृतसर से बीते सप्ताह पकड़े गए 6 नाबालिग भिखारी बच्चों में से तीन पिंगलवाड़ा के केयर सेंटर से फरार हो गए। ये सभी बच्चे जिला बाल संरक्षण इकाई (DCPU) द्वारा एक हफ्ते पहले शहर की सड़कों से उठाए गए थे और फिलहाल ऑल इंडिया पिंगलवाड़ा चैरिटेबल सोसाइटी के देखरेख में रखे गए थे।
बताया गया है कि तीनों बच्चे, जिनकी उम्र 10 से 15 वर्ष के बीच थी, अपने परिवारों के साथ अमृतसर आए थे। यहां आकर इन्होंने भीख मांगना शुरू कर दिया। इन्हें पकड़े जाने के बाद पिंलगवाड़ा में रखा गया था। यहां से ये बच्चे बस स्टैंड के पास से एक दीवार पर सीढ़ी लगाकर भाग निकले।
प्लानिंग से भागे बच्चे, पहले बनाया प्लान
हैरानी की बात यह है कि उन्हें पहले से जानकारी थी कि उस हिस्से में सीसीटीवी नहीं है। स्पष्ट है कि इन्होंने भागने से पहले पूरे केंद्र की रेकी की और प्लान बनाया। जिसके बाद वे पिंगलवाड़ा केयर सेंटर से भागने में सफल रहे।
DCPU की ओर से इस मामले में रामबाग पुलिस थाने में डेली डायरी रिपोर्ट (DDR) दर्ज करवा दी गई है। पुलिस का कहना है कि बच्चों ने बुधवार-वीरवार की रात रात 1:30 बजे से 2:00 बजे के बीच फरारी को अंजाम दिया। सुरक्षा के लिए दो महिला कांस्टेबलों को तैनात किया गया था, लेकिन इसके बावजूद बच्चे भागने में सफल हो गए।
DCPU विभाग ने जांच की शुरू
जिला बाल संरक्षण अधिकारी तरणजीत सिंह ने कहा, “हम हर पहलू से जांच कर रहे हैं कि ये बच्चे सुरक्षा को चकमा देकर कैसे भागे। यह बहुत संदेहास्पद है कि बच्चों को उस क्षेत्र की जानकारी थी, जहां सीसीटीवी नहीं था। यह भी सवाल है कि सिर्फ वही तीन बच्चे ही क्यों भागे?”
पिंगलवाड़ा ने पहले ही कम सुरक्षा की दी थी जानकारी
पिंगलवाड़ा के मुख्य प्रशासक योगेश सूरी ने बताया कि वे भी इस मामले की जांच कर रहे हैं। संस्था की निदेशक डॉ. इंदरजीत कौर ने जानकारी दी कि जब ये बच्चे लाए गए थे, तब उन्होंने पहले ही DCPU को सूचित कर दिया था कि रात निगरानी के लिए पर्याप्त स्टाफ नहीं है।
उन्होंने कहा कि ज्यादातर बच्चे जो सड़कों से उठाए जाते हैं, वे या तो लावारिस होते हैं या अपने परिवारों द्वारा भीख मांगने के लिए मजबूर किए जाते हैं। ऐसे में बिना ट्रैकिंग सिस्टम और सुरक्षा के यह काम बहुत चुनौतीपूर्ण बन जाता है।