PU पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ में देर रात चंडीगढ़ पुलिस गो बैक और हमें चाहिए आजादी के नारे लगे हैं। दरअसल चंडीगढ़ पुलिस यहां यूनिवर्सिटी की तरफ से जारी किए गए एफिडेविट देने के ऐलान के खिलाफ पंजाब यूनिवर्सिटी के यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल स्ट्डीज विभाग के स्टूडेंट अभिषेक डागर पिछले चार दिन से मरण व्रत पर बैठे हुए हैं। पुलिस उक्त स्टूडेंट नेता को वहां से हटाकर अस्पताल में दाखिल करवाना चाहती थी। इस दौरान छात्रों ने आरोप लगाया कि पुलिस मुलाजिमों ने शराब पी हुई थी और उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया है।
वह स्टूडेंट आर्गेनाइजेशन आफ पंजाब यूनिवर्सिटी के नेता है और कौंसल के महा सचिव भी हैं। वाइस चांसलर कार्यालय के समक्ष चल रहे धरने प्रदर्शन को हटाने का प्रयास पुलिस की तरफ से किया गया है। पुलिस के अधिकारी मौके पर पहुंचे थे और स्टूडेंट्स से पहले बातचीत के जरिए और बाद में हलके बल का प्रयोग करने का प्रयास हुआ है।
स्टूडेंट से मिलने वाले नेताओं का आना जारी
दूसरी तरफ पंजाब यूनिवर्सिटी की तरफ से सैनेट और सिंडिकेट को भी भंग कर दिया है। इस पर भी विवाद शुरू हो गया है और स्टूडेंट नेता लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच यहां नेताओं का आना भी लगातार जारी है। चंडीगढ़ से सांसद मुनीष तिवाड़ी, फतेहगढ़ साहिब से सांसद मालविंदर सिंह कंग समेत कई पुराने स्टूडेंट नेता लगातार यहां पहुंच रहे हैं और अपनाए जा रहे रवैये के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
समझें क्या है पूरा विवाद…
- छात्रों को हल्फनामा देने का आदेशः पंजाब यूनिवर्सिटी ने जून 2025 में आदेश दिया था कि यहां पर दाखिला लेने वाले छात्रों को एक हल्फिया बयान देना होगा। जिसमें 11 तरह की शर्तें दी गई हैं। इसमें यूनिवर्सिटी में किसी भी तरह के प्रदर्शन में हिस्सा नहीं लेने के साथ साथ क्रिमिनल केस नहीं होने की बात कही गई है। अलग-अलग छात्र संघ के सदस्य इसके खिलाफ पहले से ही प्रदर्शन करते आ रहे हैं।
- छात्र बोले- हमारे अधिकार छीने जा रहेः छात्रों का आरोप है कि यह उनके असहमति के लोकतांत्रिक अधिकार को कुचलने का जानबूझकर प्रयास किया जा रहा है। नेताओं ने कहा कि व्यापक आलोचना और पिछले कुछ महीनों में कई छात्र प्रदर्शनों के बावजूद, विश्वविद्यालय प्रशासन हलफनामे को वापिस लेने या छात्र समुदाय के साथ पारदर्शी बातचीत नहीं की जा रही है।
- यूनिवर्सिटी पर लगाए ये आरोपः छात्रों ने याद दिलाया कि हलफनामे को चुनौती देने वाली एक याचिका पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में भी दायर की गई थी, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्र विरोधी रुख अपनाया, जो लोकतांत्रिक जवाबदेही निभाने की उसकी अनिच्छा को दर्शाता है।
पंजाब यूनिवर्सिटी में एफिडेविट के खिलाफ नारेबाजी करते छात्र।
एफिडेविट में यह है रखी गई शर्तें
- रिहायशी इलाकों और यूनिवर्सिटी परिसर कॉलेज में प्रदर्शन नहीं किया जाएगा
- तय की गई डेसीबल से ज्यादा आवाज में नारेबाजी पर रोक रहेगी
- छात्रों को हमेशा आइडेंटी कार्ड पहनना होगा
- हथियार या हानिकारक वस्तुएं लाने पर रोक रहेगी
- उल्लंघन करने वाले छात्र को यूनिवर्सिटी कैंपस में एंट्री पर पाबंदी लगाई जाएगी
- नियमों को ना मानने वाले छात्र को परीक्षाओं में बैठने नहीं दिया जाएगा
- नियमों का उल्लंघन करने वाले छात्रों का दाखिला रद्द किया जाएगा
- यूनिवर्सिटी की दीवारों पर पोस्ट या स्टिकर नहीं लगाने दिए जाएंगे
- अगर कोई पोस्ट या इश्तेहार संबंधी पोस्ट लगता है तो उसे हटाने का खर्च खुद देना होगा.
- कैंपस में वाहन चलाना और पार्किंग पर पाबंदी रहेगी
- प्रदर्शन करने के लिए आउटसोर्स लोगों को बुलाने की अनुमति नहीं होगी
- सभी स्टूडेंट फेडरेशन भी कर चुकी हैं प्रदर्शन का ऐलान