सैंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (कैट) की चंडीगढ़ बेंच ने पीजीआई (पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च) के जूनियर अकाउंट ऑफिसर (जे.ए.ओ.) पद पर पदोन्नति से जुड़ी चयन प्रक्रिया को रद्द कर दिया है। ट्रिब्यूनल ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया के दौरान बिना कॉरिजेंडम या नोटिफिकेशन जारी किए परीक्षा मानदंडों में बदलाव नहीं किया जा सकता।
कैट ने पीजीआई के उस आदेश को भी निरस्त कर दिया है, जिसमें दो कर्मचारियों ऑडिटर-सह-स्टॉक वेरिफायर आशीष सहगल और जूनियर ऑडिटर मनविंदर कौर के पदोन्नति के दावे खारिज कर दिए गए थे। दोनों कर्मचारियों ने वकील रोहित सेठ के माध्यम से कैट में याचिका दायर की थी और 19 दिसंबर 2018 के आदेश को चुनौती दी थी।
जानिए क्या है पूरा मामला
दोनों कर्मचारियों ने कहा कि वे 1998 में विभाग में शामिल हुए थे और प्रचलित भर्ती नियमों के अनुसार सीमित विभागीय प्रतियोगी परीक्षा (एल.डी.सी.ई.) के माध्यम से जूनियर अकाउंट ऑफिसर के पद पर पदोन्नति के पात्र थे।नियमों के मुताबिक, परीक्षा में होने वाले दो टेस्टों में कुल मिलाकर 40 प्रतिशत अंक प्राप्त करने पर उम्मीदवार पास माना जाता था। लेकिन पी.जी.आई. प्रशासन ने परीक्षा के बाद मानदंड बदलते हुए यह शर्त लगा दी कि प्रत्येक पेपर में 40 प्रतिशत अंक प्राप्त करना जरूरी होगा।
उम्मीदवारों को नहीं दी गई जानकारी
आवेदनकर्ताओं ने बताया कि परीक्षा के नियमों में बदलाव की जानकारी किसी भी उम्मीदवार को नहीं दी गई। इसी वजह से उनके नाम पदोन्नति सूची में शामिल नहीं किए गए। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई नियमों के खिलाफ है, इसलिए उन्होंने इसे ट्रिब्यूनल में चुनौती दी।
ट्रिब्यूनल की पीजीआई को फटकार
सुनवाई के दौरान ट्रिब्यूनल ने कहा कि पी.जी.आई. यह साबित नहीं कर पाया कि सभी उम्मीदवारों को परीक्षा के नियमों में किए गए बदलाव की जानकारी दी गई थी। ट्रिब्यूनल ने माना कि ऐसा करना पारदर्शिता के नियमों का उल्लंघन है।
कैट का आदेश
ट्रिब्यूनल ने स्पष्ट किया कि यह एक स्थापित कानूनी सिद्धांत है कि भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के बाद मानदंडों में कोई भी बदलाव केवल कोरिजंडम या नोटिफिकेशन जारी करके ही किया जा सकता है।इसलिए कैट ने पी.जी.आई. प्रशासन को निर्देश दिया कि वह आवेदकों के मामलों पर उस अधिसूचना के समय लागू मानदंडों के आधार पर पुनर्विचार करे और यदि वे योग्य पाए जाएं तो उन्हें पदोन्नति के लिए विचार किया जाए।