पुतिन बोले- यूक्रेन NATO में शामिल होने की जिद छोड़े:तभी शांति आएगी, संपत्ति जब्त करने पर कहा- यूरोपीय संघ चोरी नहीं, डकैती कर रहे

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शुक्रवार दोपहर सालाना ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं। इस दौरान पुतिन ने यूक्रेन युद्ध पर अपनी पुरानी दलीलें दोहराईं। उन्होंने कहा,

रूस शांति के रास्ते से युद्ध खत्म करने को तैयार है, लेकिन यूक्रेन को नाटो में शामिल होने की जिद छोड़नी होगी। तभी शांति आएगी।

वहीं, यूरोपीय संघ के रूस की संपत्ति जब्त करने के सवाल पर पुतिन ने कहा कि यूरोपीय संघ चोरी नहीं, डकैती कर रहा है। चोरी तो छिपकर होती है, ये सब खुलेआम हो रहा है, लेकिन रूस अपनी संपत्ति वापस लेकर रहेगा।

यह पुतिन का 22वां सालाना संवाद है। इस दौरान वह आम लोगों और मीडिया के सवालों के जवाब दे रहे हैं। साथ ही साल 2025 में सरकार के कामकाज और देश से जुड़े बड़े मुद्दों पर अपनी बात रख रहे हैं।

पुतिन की सालाना प्रेस कॉन्फ्रेंस हर साल आयोजित होती है। बीते दो हफ्तों में इस कार्यक्रम के लिए बनाए गए कॉल सेंटर्स में 24.9 लाख से ज्यादा सवाल पहुंचे हैं।

सवालः रूस और यूक्रेन के बीच शांति कब आएगी?

पुतिनः मैं इस संघर्ष को शांतिपूर्ण तरीकों से खत्म करने के लिए तैयार और इच्छुक हूं। लेकिन कोई भी शांति समझौता उन्हीं शर्तों पर होगा, जिनका मैंने जून 2024 में विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के सामने अपने भाषण में जिक्र किया था।

उस समय मैंने साफ कहा था कि यूक्रेन को डोनेट्स्क और लुहांस्क क्षेत्रों से अपनी पूरी सेना हटानी होगी और नाटो में शामिल होने की योजना छोड़नी होगी।

मैंने यह भी कहा कि इस समय रूसी सेना पूरी अग्रिम पंक्ति पर आगे बढ़ रही है। कई कस्बे और गांव हमारे नियंत्रण में आने के करीब हैं, जिनमें डोनेट्स्क क्षेत्र का क्रास्नी लिमन भी शामिल है। हालांकि, इन दावों को लेकर यूक्रेन असहमति जता रहा है।

सवाल: EU के रूसी संपत्तियों से यूक्रेन को फंड देने पर आप क्या कहेंगे?

पुतिन: इसे चोरी नहीं डकैती कहना चाहिए। चोरी तो आमतौर पर छुपकर की जाती है, लेकिन यहां सब कुछ खुलेआम हो रहा है। मैं मानता हूं कि यह सीधी सेंधमारी है। जो देश इसमें शामिल हैं, उनके लिए इसके गंभीर नतीजे होंगे। इस कर्ज का बोझ आखिरकार EU देशों के बजट पर पड़ेगा और उनके लिए हालात मुश्किल हो जाएंगे।

(EU में कई बार यह सवाल रखा गया है कि क्या 2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद जो रूसी संपत्तियां फ्रीज की गई थीं, उनका इस्तेमाल किया जाए या नहीं। इन संपत्तियों की कुल कीमत करीब 250 अरब डॉलर बताई जाती है।

लेकिन गुरुवार रात तक चली बातचीत के बाद भी EU के सदस्य देश इस पर सहमति नहीं बना पाए। आखिरकार उन्होंने एक दूसरा रास्ता चुना। जमी हुई रूसी संपत्तियों का इस्तेमाल करने के बजाय, यूरोप ने शुक्रवार तड़के घोषणा की कि वह 2027 तक यूक्रेन की अर्थव्यवस्था और सेना को फंड देने के लिए 90 अरब यूरो यानी करीब 105 अरब डॉलर का कर्ज देगा।)

सवाल: अगर जल्दी शांति समझौता नहीं हुआ, तो अगले साल यूक्रेन और रूस में लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन हैं?

पुतिन: मैं इसे अपनी जिम्मेदारी नहीं मानता, क्योंकि मैंने यह युद्ध शुरू नहीं किया। मुझे लगता है कि ट्रम्प भी सच्चे मन से शांति के लिए प्रयास कर रहे हैं। जब मैं अगस्त में अंकोरेज में उनसे मिला, तो हमने अपने-अपने प्रस्ताव साझा किए और लगभग सहमति बन गई थी।

शांति वार्ता में देरी पूरी तरह दूसरी तरफ यानी यूक्रेन की वजह से हो रही है। मैं हमेशा शांतिपूर्ण तरीके से समझौता करने के लिए तैयार हूं।

सवाल: पश्चिमी देश कह रहे हैं कि रूस यूरोप पर हमला कर सकता है। क्या यह सही है?

पुतिन: रूस के यूरोप पर हमला करने की बातें पूरी तरह बकवास हैं। यह सब पश्चिमी नेताओं द्वारा फैलाया गया डर है। यूक्रेन में जो हालात बने हैं, वे उन्हीं नेताओं की नीतियों का नतीजा हैं। अब वे अपनी आर्थिक और सामाजिक नाकामियों को छिपाने के लिए रूस को दुश्मन के रूप में पेश कर रहे हैं। वे कहते हैं कि वे रूस से युद्ध की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन इसका कोई आधार नहीं है।

पुतिन के टीवी सेट से रूस के नक्शे में क्रीमिया के अलावा यूक्रेन के चार पूर्वी इलाके

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भाषण के लिए बनाए गए टीवी सेट को लेकर एक साफ संदेश दिखता है। पुतिन के पीछे दीवार पर रूस का नक्शा लगाया गया है। अगर इसे ध्यान से देखें तो नक्शे में सिर्फ क्रीमिया ही नहीं, बल्कि यूक्रेन के चार पूर्वी इलाके डोनेट्स्क, लुहांस्क, जापोरिज्जिया और खेरसॉन भी दिखाए गए हैं।

इन इलाकों को रूस ने साल 2022 में अपने साथ जोड़ने का दावा किया था। हालांकि, रूसी सेना अभी तक इन सभी क्षेत्रों पर पूरी तरह कब्जा नहीं कर पाई है। इसके बावजूद पुतिन इन्हें रूस का हिस्सा बताता रहा है।

टीवी सेट पर इन इलाकों को दिखाना यह संकेत देता है कि क्रेमलिन इन क्षेत्रों पर अपना दावा छोड़ने के मूड में नहीं है। शांति समझौते की बातचीत में जमीन का मुद्दा सबसे बड़ा विवाद बना हुआ है और यह संकेत बताता है कि इस पर रूस फिलहाल कोई समझौता करने को तैयार नहीं है।

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