सवाल– मेरी उम्र 42 साल है। पिछले पांच साल मेरे लिए बहुत मुश्किलों भरे रहे हैं। मेरी 10 साल की शादी टूट गई क्योंकि मेरे हसबैंड का अपने ऑफिस में एक कुलीग के साथ अफेयर हो गया। पहले तो काफी समय तक उसने ये बात मुझसे छिपाए रखी। फिर जब पता चला तो वो मुझे छोड़कर चला गया। पांच साल मैं इस उम्मीद में थी कि शायद एक दिन वो वापस लौट आएगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। फाइनली 5 महीने पहले हमारा डिवोर्स हो गया और इसी के साथ वो आखिरी उम्मीद भी खत्म हो गई। मैं वर्किंग वुमन हूं। फाइनेंशियली इंडिपेंडेंट हूं, लेकिन मुझे भी पता नहीं था कि इमोशनली मैं कितनी डिपेंडेंट हूं। मुझसे अकेले बिल्कुल जिया नहीं जा रहा। लगता है, मेरे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई है, मेरी पूरी दुनिया उजड़ गई है। मैं क्या करूं कि किसी तरह फिर से नॉर्मल महसूस कर सकूं, फिर से जिंदगी जी सकूं।
एक्सपर्ट– डॉ. द्रोण शर्मा, कंसल्टेंट साइकेट्रिस्ट, आयरलैंड, यूके। यूके, आयरिश और जिब्राल्टर मेडिकल काउंसिल के मेंबर।
अपनी कहानी हमसे शेयर करने के लिए आपका शुक्रिया। आपने जो अनुभव किया है, वह काफी तकलीफदेह है। आप जिस धोखा, ट्रॉमा और इमोशनल तकलीफ से गुजरी हैं, उसे देखते हुए आपकी यह भावनात्मक स्थिति बिल्कुल जायज है। अगर मनोवैज्ञानिक नजरिए से देखें तो एक बहुत पर्सनल और इंटीमेट रिलेशनशिप में मिले इस धोखे ने आपको इमोशनल दुख पहुंचाने के साथ आपके आत्म-सम्मान, आइडेंटिटी और सेल्फ वर्थ को भी नुकसान पहुंचाया है।
आइए इसे ढंग से डिकोड करके समझने की कोशिश करते हैं और इस पर बात करते हैं कि इस तकलीफ से बाहर कैसे निकला जाए।
आपके केस का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण
1. शोक के चरण (कुबलर-रॉस मॉडल)
आप इस वक्त संभवतः दुख के इन 5 चरणों से बार-बार गुजर रही हैं:
डिनायल या इनकार: पांच साल तक आप इस उम्मीद में बैठी रहीं कि एक दिन वो वापस लौट आएगा। यह क्लासिक डिनायल का केस है। जब तक दुख बिल्कुल सिर पर न आए, तब तक उससे छिपना और इनकार करते रहना।
क्रोध: हालांकि आपने यह साफ नहीं किया है कि आपका गुस्सा अपने हसबैंड के प्रति है या उस दूसरी महिला के प्रति या खुद के प्रति। यह एक दबा हुआ गुस्सा हो सकता है, जो कई बार उदासी के रूप में दिखाई देता है।
बारगेनिंग या सौदेबाजी: अपने मन में ये सोचना, “अगर मैंने चीजें दूसरी तरह से की होतीं तो शायद वह मुझे छोड़कर नहीं जाता।” जिन रिश्तों में इमोशनल डिपेंडेंसी होती है, वहां ऐसी फीलिंग होना आम है।
डिप्रेशन या अवसाद: आप इस वक्त डिप्रेशन में हैं। दुख, निराशा, खालीपन के एहसास जैसी फीलिंग्स से ये बात बिल्कुल स्पष्ट है।
स्वीकृति: फाइनली तलाक के बाद आप इस सच को स्वीकारने की स्टेज तक पहुंची हैं, लेकिन अभी भी मन में शांति नहीं है, एक खोखली सी जीत की फीलिंग है।
2. ओवर इमोशनल डिपेंडेंस
आपने लिखा है कि आप फाइनेंशियली इंडिपेंडेंट हैं, लेकिन इमोशनली आप इस रिश्ते पर बहुत ज्यादा निर्भर थीं। भले आपको इस बात का एहसास न रहा हो। इसका अर्थ है कि आपकी इमोशनल वेलबीइंग इस शख्स पर बहुत ज्यादा निर्भर थी। आपको उसकी मौजूदगी, साथ, अप्रूवल की जरूरत थी।
3. भरोसे का टूटना और रिजेक्शन का एहसास
उसके अफेयर का पता चलना एक गहरे भरोसे के रिश्ते का टूटना है। खासतौर पर तब, जब लंबे समय तक यह अफेयर छिपा हुआ था और आपको इस बारे में पता नहीं था। यह एक गंभीर बिट्रेअल ट्रॉमा है। इस ट्रॉमा के कारण-
- हमारी भरोसा करने की ताकत को लांग टर्म डैमेज हो सकता है।
- धोखा खाया व्यक्ति रिजेक्शन या ठुकराए जाने को इंटर्नलाइज कर सकता है। उसके मन में यह बात बैठ सकती है कि वो नाकाफी है, नाकाबिल है, कम है।
4. सेल्फ इस्टीम और आइडेंटिटी को नुकसान
जब किसी व्यक्ति की पहचान और उसका सेल्फ वर्थ एक रिश्ते से बंधा होता है तो उस रिश्ते के टूटने के कारण ये नुकसान हो सकते हैं-
आइडेंटिटी कनफ्यूजन: ये सोचना कि “इस रिश्ते के बगैर मैं कौन हूं?”
लो सेल्फ इस्टीम: खुद को कमतर महसूस करना। ये सोचना कि मैं प्यार के काबिल नहीं हूं।
खुद को बेहतर समझने के लिए सेल्फ स्क्रीनिंग टूल
आगे बढ़ने से पहले मैं आपको खुद को बेहतर समझने के लिए एक सेल्फ स्क्रीनिंग टूल दे रहा हूं- इमोशनल रिकवरी स्टेटस स्केल (ERSS) टेस्ट। इस टेस्ट में 10 सवाल हैं। इन सवालों को आपको 1 से 5 के स्केल पर रेट करना है। 1 का अर्थ है- बिल्कुल नहीं और 5 का अर्थ है, हमेशा। हर सवाल का जवाब लिखने के बाद आपको अपना स्कोर चेक करना है।
सवाल नीचे ग्राफिक में हैं। स्कोर का इंटरप्रिटेशन भी ग्राफिक में दिया है। पहले सवालों के जवाब दीजिए और फिर अपने स्कोर के हिसाब से उसका इंटरप्रिटेशन चेक करिए।
चार हफ्ते का सेल्फ हेल्प प्लान
पहला सप्ताह: स्टेबलाइजेशन और ग्राउंडिंग
(मन को स्थिर करना, अपनी जमीन मजबूत करना)
लक्ष्य:
- दुख को स्वीकारना
- इमोशनल बाउंड्रीज बनाना
- जीवन में एक डेली रूटीन स्ट्रक्चर बनाना।
1. ग्रीफ जर्नलिंग
अपनी भावनाओं को रोज एक डायरी में लिखें। कुछ भी छिपाना नहीं है। हर बात व्यक्त करनी है। जैसे:
- मैंने क्या खोया है?
- मुझे किस बात से डर लगता है?
- मेरा वो कौन सा हिस्सा है, जो अतीत को पकड़कर रखना चाहता है।
- वो कौन सी चीज है, जो मुझे आगे बढ़ने से रोक रही है।
2. इमोशनल लेबलिंग और ग्राउंडिंग
जब भी इमोशनली बहुत परेशान हों तो इस टेकनीक की प्रैक्टिस करें, जिसका नाम है- “नेम इट टू टेम इट।” इसका अर्थ है कि अपनी हर फीलिंग को एक शब्द देना। कई बार हमें खुद समझ में नहीं आता कि हम जो महसूस कर रहे हैं, वो क्या है। इसलिए उसे नाम देने से उसे समझने और दूर करने में मदद मिलती है। जैसे:
- मुझे गुस्सा आ रहा है।
- मुझे रिजेक्शन फील हो रहा है।
- मैं ठुकराया हुआ महसूस करती हूं।
- मुझे बहुत अकेलापन लग रहा है।
- मुझे दुख उसके जाने का नहीं, धोखा खाने का है।
- उसके न होने से ज्यादा ये बात परेशान कर रही है कि वो मुझसे झूठ बोल रहा था।
3. नींद और न्यूट्रिशन
- सोने और जागने का एक समय तय करें। रोज उसी समय पर सोएं। (जैसे रात 10:30 से सुबह 6:30)
- शाम को 5 बजे के बाद कैफीन का सेवन न करें।
- संतुलित भोजन करें। भूख न हो तब भी खाना स्किप न करें।
4. अतीत की चीजों से दूर रहना
- उसका सोशल मीडिया चेक न करें।
- हर उस चीज से दूर रहें, जो उसकी याद दिलाती हो, जैसे कॉमन फ्रेंड्स, कॉमन जगहें, जहां आप साथ जाते रहे हैं।
- घर में उसका कोई भी सामान हो तो उसे डिसकार्ड कर दें या पैक करके रख दें।
दूसरा सप्ताह: खुद को फिर से क्लेम करना, सेल्फ इस्टीम को मजबूत करना
लक्ष्य: रिश्ते से बाहर और रिश्ते से इतर अपने सेल्फ वर्थ पर फोकस करना, उसे समझना और बेहतर बनाना।
1. “मैं कौन हूं?” एक्सरसाइज
- अपने बारे में रोज एक पैराग्राफ लिखें। मैं कौन हूं, क्या कहूं, मेरे होने का मकसद क्या है। ऐसा पैरा, जिसमें गुजरे रिश्ते का और उस व्यक्ति का कोई जिक्र न हो।
- जीवन में आपकी और भी भूमिकाएं हैं, जैसे एक दोस्त, एक बहन, एक बेटी, एक प्रोफेशनल और सबसे बढ़कर एक इंसान, एक औरत। इन सारी भूमिकाओं पर फोकस करें।
2. खुद से संवाद
रोज सुबह आईने के सामने खड़ी होकर खुद से ये बातें कहें:
- मैं प्यार के काबिल हूं।
- मैं अपने आप में संपूर्ण हूं।
- उसके मुझे छोड़ देने से मेरा महत्व डिफाइन नहीं होता है।
3. पुरानी रुचियों, हॉबीज को दोबारा शुरू करें
उन रुचियों पर फिर से काम शुरू करें, जो आपने पीछे छोड़ दी थीं।
कोई बुक क्लब, डांस क्लास या आर्ट ग्रुप जॉइन करें। फिजिकली संभव न हो तो ऑनलाइन करें।
4. थैरेपी रीडिंग
ऐसी किताबें पढ़ें, फिल्में देखें, जिसमें आपके जैसे अनुभवों से गुजरने वाली महिलाओं की कहानी हो। उनके अपने जीवन को फिर से गढ़ने की यात्रा हो। जैसे-
- “वुमन हू लव टू मच” – रॉबिन नॉरवुड
- “द जर्नी फ्रॉम एबैनडनमेंट टू हीलिंग”- सूजन एंडरसन
- शेष यात्रा- ऊषा प्रियंवदा
तीसरा सप्ताह: जिंदगी को रीस्ट्रक्चर करना, नई बाउंड्रीज सेट करना
लक्ष्य:
- जिंदगी में नए इमोशनल जुड़ाव बनाना
- नए रिश्ते, नए दोस्त, नई जमीन
- अपने आपको नए सिरे से डिफाइन करना
1. सोशल रीकनेक्शन
उन दो पुराने दोस्तों या रिश्तेदारों से कनेक्ट करें, जिन पर आप भरोसा करती हैं।
अपने अनुभव साझा करें। खुद को आइसोलेट न करें।
2. एक नया डेली रिचुअल बनाना
- रोज म्यूजिक सुनते हुए मॉर्निंग वॉक करूंगी।
- रोज शाम एक कप चाय के साथ डायरी लिखूंगी।
3. बाउंड्री बनाने का अभ्यास
- भविष्य के रिश्तों के लिए 5 बाउंड्रीज तय करें।
- वो कौन सी चीजें होंगी, जो आप स्वीकार नहीं करेंगी। जैसे इमोशनल नेगलेक्ट, सेल्फ रिस्पेक्ट के साथ समझौता।
4. माइंडफुलनेस का अभ्यास
रोज 10 मिनट मेडिटेशन करें। पुरानी चीजों को छोड़ने, जाने देने और वर्तमान में रहने का अभ्यास करें।
चौथा सप्ताह: फिर से भरोसा करना, एक नई शुरुआत की तरफ कदम बढ़ाना
लक्ष्य: फिर से यकीन करना, सिर्फ दूसरों पर नहीं बल्कि खुद पर भी।
1. माफ करना
- दूसरों से मिली तकलीफों के लिए उन्हें माफ करना जरूरी है। उनके लिए नहीं, बल्कि खुद अपने लिए। खुद को उस दुख से मुक्त करने के लिए।
- लेटर राइटिंग टेक्नीक- अपने मन की हर बात एक पत्र में उसे लिख दें। वो पत्र जो भेजना नहीं है।
2. इनर चाइल्ड हीलिंग
- अपने भीतर के बच्चे को हील करें। उससे बात करें, उसे कंफर्ट दें।
- प्यार, भरोसा और सुरक्षा वाले शब्द दोहराएं। खुद से बहुत प्यार और भरोसे की भाषा में बात करें।
3. दूसरे रिश्ते की तैयारी: बेसिक चेकलिस्ट
क्या आप दूसरे रिश्ते के लिए तैयार हैं। यह जानने के लिए खुद से यह सवाल पूछें:
- क्या मैं सचमुच कंपैनियनशिप ढूंढ रही हूं या मुझे उसका इमोशनल रिप्लेसमेंट चाहिए।
- क्या मैं अकेले रहते हुए भी इमोशनली स्टेबल महसूस कर सकती हूं।
4. डेटिंग माइंटसेट रीफ्रेम
- अगर फिर से डेटिंग की शुरुआत करती हैं तो बेचैनी, अकेलेपन, दुख से भागने के कारण न करें।
- इसलिए न करें क्योंकि अपना साथ बर्दाश्त नहीं हो रहा है।
- मन स्थिर हो, भीतर शांति हो, तभी करें। क्यूरिऑसिटी के साथ कदम बढ़ाएं।
- छोटी-छोटी मुलाकात, कॉफी, बातचीत के साथ शुरुआत करें।
जीवन में आगे बढ़ने के 3 स्टेप्स
जीवन में रिश्ते सुंदर और जरूरी हैं, लेकिन कोई भी रिश्ता हमारे जीवन से बड़ा नहीं है और वह हमारे होने के महत्व को तय नहीं करता। रिश्ते इसलिए हैं क्योंकि हम हैं। इसलिए सबकुछ के केंद्र में और सबसे महत्वपूर्ण हम खुद हैं। दुख और धोखे से उबरने और जिंदगी में आगे बढ़ने के ये 3 जरूरी स्टेप्स हैं, जिसे हमेशा याद रखना चाहिए–
प्रोफेशनल हेल्प कब जरूरी
इमोशनल पेन से उबरने में थोड़ा वक्त लगता है, लेकिन आमतौर पर थोड़ी माइंडफुलनेस और सेल्फ हेल्प के साथ कुछ वक्त में यह सामान्य हो जाता है। लेकिन हमें पता होना चाहिए कि कब स्थिति हमारे नियंत्रण से बाहर हो रही है और हमें प्रोफेशनल हेल्प की जरूरत है।
निष्कर्ष
आप पांच साल इन सबसे गुजरकर आई हैं और अब इस बारे में बात कर रही हैं। आपने पहले ही काफी साहस का परिचय दिया है। हीलिंग का मतलब ये नहीं है कि जो कुछ हुआ, हम उसे भूल जाएं। हीलिंग का मतलब है, खुद को नए सिरे से गढ़ना। सब तकलीफों से ऊपर उठकर अपना एक नया वर्जन बनाना। फिर से खुश होकर और खुलकर जीना।