पंजाब पुलिस के डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर ने अपनी गिरफ्तारी के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इस पर आज सुनवाई होगी। इसमें उन्होंने गिरफ्तारी को लेकर सीबीआई के अधिकार क्षेत्र को चुनौती दी है। याचिका में दी दलील में कहा गया है कि वह पंजाब में काम कर रहे थे। सीबीआई ने गिरफ्तारी के लिए नियमों को पालन नहीं किया
ऐसे में उन पर केस दर्ज करने से पहले CBI को दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टेब्लिशमेंट (DSPE) एक्ट, 1946 के सेक्शन 6 के तहत पंजाब सरकार से अनुमति लेनी चाहिए थी। वहीं, उन्होंने दलील दी है कि CBI से पहले पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने उसी अपराध के लिए पहले ही एक FIR दर्ज कर ली थी। दोनों के समय में आधे घंटे का अंतर है।
अब याचिका के चार पॉइंट में जाने
1. अधिकार क्षेत्र पर सवाल
भुल्लर ने दो याचिकाएं अदालत में दायर की हैं। पहली याचिका में भुल्लर ने CBI के अधिकार क्षेत्र पर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि वह पंजाब में तैनात हैं। ऐसे में केस दर्ज करने के लिए पंजाब सरकार से अनुमति ली जानी जरूरी है।
2. सरकार से अनुमति बिना अरेस्ट नहीं
उन पर FIR CBI चंडीगढ़ द्वारा दर्ज नहीं की जा सकती थी क्योंकि कथित अपराध पंजाब में हुआ था। पंजाब सरकार की अनुमति बिना उन्हें गिरफ्तार भी नहीं किया जा सकता था। जबकि जिस 2023 से जुड़े केस में arrest किया गया है, वह पंजाब के सरहिंद थाने से जुड़ा है।
3. सामान रिकवर नहीं हुआ
चंडीगढ़ में जो सामान recover हुआ है, वह सामान उनसे बरामद नहीं हुआ।
4. एक अपराध की दो FIR
दूसरी FIR को लेकर भी सवाल खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि एक अपराध की दो FIR दर्ज नहीं की जा सकतीं। CBI से पहले पंजाब विजिलेंस FIR दर्ज कर चुकी थी।
ऐसे हुआ सारे मामले में
हरचरण सिंह भुल्लर को 16 अक्टूबर 2025 को CBI ने 8 लाख रुपए की रिश्वत मांगने के आरोप में मोहाली से गिरफ्तार किया, जिसके बाद उनके ठिकानों पर छापेमारी में करोड़ों की नकदी, सोना और संपत्तियों के दस्तावेज बरामद हुए। 19 अक्टूबर को पंजाब सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया।
इसके बाद 29 अक्टूबर 2025 को CBI ने उनकी आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोप में दूसरी FIR दर्ज की। वहीं, इससे पहले विजिलेंस ब्यूरो पंजाब ने भी उन पर केस दर्ज किया था। नवंबर 2025 में अदालत ने उन्हें CBI की हिरासत में भेज दिया और मामला आगे जांच में है।