MP में चार दिन तेज बारिश का अलर्ट नहीं:उज्जैन में मंदिरों में घुसा शिप्रा का पानी; टीकमगढ़ में बिजली गिरने से बच्चे की मौत

मध्यप्रदेश में इस मानसूनी सीजन में औसत 43.2 इंच बारिश हो चुकी है, जो सामान्य बारिश से 7.4 इंच ज्यादा है। गुना में सबसे ज्यादा 65 इंच जबकि खरगोन में सबसे कम 26.2 इंच बारिश हुई है। पिछले 24 घंटे के दौरान 25 से ज्यादा जिलों में बारिश हुई। वहीं, शुक्रवार से अगले 4 दिन तक हल्की बरसात का दौर जारी रहने की संभावना है। भोपाल में सुबह से तेज धूप निकली है।

इससे पहले गुरुवार को छतरपुर के खजुराहो में 1 इंच से ज्यादा बारिश हो गई जबकि ग्वालियर में आधा इंच से ज्यादा पानी गिरा। भोपाल, जबलपुर, दतिया, इंदौर, श्योपुर, उज्जैन, मंडला, रीवा, टीकमगढ़, उमरिया, बालाघाट, राजगढ़ में भी हल्की बारिश हुई।

उज्जैन में शिप्रा में बाढ़ से रामघाट के मंदिरों में पानी घुस गया। बैतूल के मुलताई में लोगों के घरों में पानी भर गया। पांढुर्णा में बारिश की वजह से जाम नदी में बाढ़ आ गई।

टीकमगढ़ जिले की खरगापुर तहसील में गुरुवार शाम को बिजली गिरने से 12 वर्षीय बच्चे की मौत हो गई, जबकि एक अन्य किशोरी गंभीर रूप से घायल हो गई। इस घटना में 36 बकरियों ने भी दम तोड़ दिया। घटना खरगापुर तहसील के हीरापुर पंचायत के पट्टी बलवंत गांव में शाम करीब 6 बजे की है। मृत बच्चे का नाम आशीष यादव था, वहीं शिमला रैकवार (15) को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

तेज बारिश का दौर थमा

मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि मानसून की विदाई के दौरान भी पूरे प्रदेश में तेज बारिश का एक और दौर शुरू हो सकता है। फिलहाल 4 दिन तक तेज बारिश का अलर्ट नहीं है। हालांकि, गुरुवार को दो टर्फ और एक साइक्लोनिक सर्कुलेशन की एक्टिविटी प्रदेश में रही। इस वजह से कुछ जिलों में बारिश का दौर चला।

शुक्रवार को सिस्टम कमजोर पड़ सकता है। जिससे तेज बारिश का दौर थम सकता है।

राजस्थान, गुजरात से लौट रहा मानसून

मौसम विभाग के अनुसार, अब मानसून की वापसी भी होने लगी है। आधे राजस्थान से मानसून लौट चुका है। वहीं, गुजरात, पंजाब और हरियाणा के कई जिलों से भी मानसून लौटा है। गुरुवार को भी कई जिलों से मानसून लौट गया। यदि वापसी ही यही रफ्तार रही तो एमपी के भी कई जिलों में ऐसी स्थिति बन सकती है।

बता दें कि मध्यप्रदेश में 16 जून को मानसून ने आमद दी थी। तब से अब तक औसत 43.2 इंच बारिश हो चुकी है। अब तक 35.8 इंच पानी गिरना था। इस हिसाब से 7.4 इंच पानी ज्यादा गिर चुका है। प्रदेश की सामान्य बारिश औसत 37 इंच है। यह कोटा पिछले सप्ताह ही पूरा हो गया है।

इंदौर-उज्जैन संभाग की तस्वीर बेहतर नहीं

इस मानसूनी सीजन में इंदौर और उज्जैन संभाग की स्थिति ठीक नहीं है। यहां सबसे कम पानी गिरा है। सबसे कम बारिश वाले टॉप-5 जिलों में बुरहानपुर, बड़वानी, खंडवा, खरगोन और शाजापुर शामिल हैं।

ग्वालियर, चंबल-सागर सबसे बेहतर

एमपी में जब से मानसून एंटर हुआ, तब से पूर्वी हिस्से यानी जबलपुर, रीवा, सागर और शहडोल संभाग में तेज बारिश हुई है। छतरपुर, मंडला, टीकमगढ़, उमरिया समेत कई जिलों में बाढ़ आ गई। ग्वालियर-चंबल में भी मानसून जमकर बरसा है। यहां के सभी 8 जिलों में कोटे से ज्यादा पानी गिर चुका है। इनमें ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, भिंड, मुरैना, दतिया और श्योपुर शामिल हैं।

भोपाल में 4 साल से कोटे से ज्यादा बारिश

भोपाल में सितंबर महीने की औसत बारिश 7 इंच है, लेकिन पिछले 4 साल से कोटे से ज्यादा पानी बरस रहा है। ओवरऑल रिकॉर्ड की बात करें तो साल 1961 में पूरे सितंबर माह में 30 इंच से ज्यादा पानी गिरा था। वहीं, 24 घंटे में सर्वाधिक 9.2 इंच बारिश का रिकॉर्ड 2 सितंबर 1947 को बना था।

इस महीने औसत 8 से 10 दिन बारिश होती है। वहीं, दिन में तापमान 31.3 डिग्री और न्यूनतम तापमान 22.2 डिग्री सेल्सियस तक रहता है।

इंदौर में सितंबर में रिकॉर्ड 30 इंच बारिश

इंदौर में सितंबर महीने में रिकॉर्ड 30 इंच बारिश हो चुकी है। यह ओवरऑल रिकॉर्ड है, जो साल 1954 में बना था। वहीं, 20 सितंबर 1987 को 24 घंटे में पौने 7 इंच पानी गिर चुका है।

इस महीने इंदौर में औसत 8 दिन बारिश होती है, लेकिन इस बार 15 या इससे अधिक दिन तक बारिश हो सकती है। सितंबर के आखिरी सप्ताह में मानसून की वापसी होने लगेगी।

ग्वालियर में 1990 में गिरा था 25 इंच पानी

ग्वालियर में सितंबर 1990 में 647 मिमी यानी साढ़े 25 इंच बारिश हुई थी। यह सितंबर में मासिक बारिश का ओवरऑल रिकॉर्ड है। वहीं, 24 घंटे में 7 सितंबर 1988 को साढ़े 12 इंच बारिश हुई थी। सितंबर में ग्वालियर की औसत बारिश करीब 6 इंच है, लेकिन पिछले तीन साल से इससे अधिक बारिश हो रही है।

ग्वालियर में इस बार अगस्त में ही बारिश का कोटा पूरा हो गया। ऐसे में सितंबर में जितनी भी बारिश होगी, वह बोनस की तरह ही रहेगी।

जबलपुर में 24 घंटे में साढ़े 8 इंच बारिश का रिकॉर्ड

सितंबर महीने में जबलपुर में भी मानसून जमकर बरसता है। 20 सितंबर 1926 को जबलपुर में 24 घंटे के अंदर साढ़े 8 इंच बारिश का रिकॉर्ड है। वहीं, पूरे महीने में 32 इंच बारिश साल 1926 में हो चुकी है।

यहां महीने में औसत 10 दिन बारिश होती है। वहीं, सामान्य बारिश साढ़े 8 इंच है। पिछले 3 साल से सामान्य से ज्यादा पानी गिर रहा है।

उज्जैन में 1961 में पूरे मानसून का कोटा हो गया था फुल

उज्जैन की सामान्य बारिश 34.81 इंच है, लेकिन वर्ष 1961 में सितंबर की बारिश ने ही पूरे सीजन की बारिश का कोटा फुल कर दिया था। इस महीने 1089 मिमी यानी करीब 43 इंच पानी गिरा था। वहीं, 24 घंटे में सर्वाधिक साढ़े 5 इंच बारिश का रिकॉर्ड 27 सितंबर 1961 को बना था।

सितंबर महीने में उज्जैन की सामान्य बारिश पौने 7 इंच है, लेकिन पिछले दो साल से 12 इंच से ज्यादा बारिश हो रही है। इस महीने औसत 7 दिन बारिश होती है।

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