NCERT की किताब में जैसलमेर को मराठा-साम्राज्य का हिस्सा बताया:पूर्व राजपरिवार सदस्य चैतन्यराज बोले- पूर्वजों के बलिदान को धूमिल करने का प्रयास, जनभावनाओं को आघात पहुंचा

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की 8वीं कक्षा की सामजिक विज्ञान (सोशल साइंस) की किताब में एक नक्शे को लेकर जैसलमेर के पूर्व राजपरिवार ने आपत्ति जताई है।

जैसलमेर के पूर्व राजपरिवार सदस्य चैतन्यराज सिंह का कहना है कि नक्शे में जैसलमेर को मराठा साम्राज्य का हिस्सा दिखाया गया है। यह गलत है। उन्होंने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से जल्द से जल्द इसमें संशोधन की मांग की है।

ऐतिहासिक रूप से भ्रामक, तथ्यहीन और गम्भीर रूप से आपत्तिजनक

सोमवार शाम 5.26 बजे जैसलमेर के पूर्व राजपरिवार सदस्य चैतन्यराज सिंह ने सोशल मीडिया हैंडल ‘X’ पर पोस्ट किया। उन्होंनें अपना विरोध दर्ज करवाया है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से संशोधन की मांग कर दी।

उन्होंने 8वीं की NCERT की सामाजिक विज्ञान विषय पाठ्यपुस्तक (यूनिट 3, पृष्ठ संख्या 71) में दर्शाए गए मानचित्र को लेकर एतराज किया। इसमें जैसलमेर को तत्कालीन मराठा साम्राज्य का भाग दर्शाया गया है।

उन्होंने लिखा है- यह ऐतिहासिक रूप से भ्रामक, तथ्यहीन और गम्भीर रूप से आपत्तिजनक है।

जैसलमेर रियासत में मराठाओं का कभी दखल नहीं रहा

उन्होंने लिखा है- इस प्रकार की अपुष्ट और ऐतिहासिक साक्ष्य विहीन जानकारी न केवल NCERT जैसी संस्थाओं की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगाती है, बल्कि हमारे गौरवशाली इतिहास और जनभावनाओं को भी आघात पहुंचाती हैं। यह विषय केवल एक पाठ्यपुस्तक की गलती नहीं, बल्कि हमारे पूर्वजों के बलिदान, संप्रभुता और शौर्य गाथा को धूमिल करने का प्रयास प्रतीत होता है।

जैसलमेर रियासत के संदर्भ में उपलब्ध प्रामाणिक ऐतिहासिक स्रोतों में कहीं भी मराठा आधिपत्य, आक्रमण, कराधान या प्रभुत्व का कोई उल्लेख नहीं मिलता। इसके विपरीत, हमारी राजकीय पुस्तकों में भी स्पष्ट लिखा गया है कि जैसलमेर रियासत में मराठाओं का कभी भी, कोई दखल नहीं रहा।

चैतन्यराज सिंह ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पोस्ट टैग कर लिखा-

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान जी, संपूर्ण जैसलमेर परिवार की ओर से मैं आपका ध्यान इस ज्वलंत विषय की ओर आकृष्ट करना चाहता हूं कि NCERT द्वारा की गई इस प्रकार की त्रुटिपूर्ण, दुर्भावनापूर्ण और एजेंडा-प्रेरित प्रस्तुति को गंभीरता से लेते हुए तत्काल संशोधन करवाया जाए। यह केवल एक तथ्य संशोधन नहीं, बल्कि हमारी ऐतिहासिक गरिमा, आत्मसम्मान और राष्ट्रीय पाठ्यक्रम की सत्यनिष्ठा से जुड़ा विषय है। इस विषय पर त्वरित एवं ठोस कार्रवाई की अपेक्षा है।

नक्शे में क्या

किताब में छपे नक्शे में मराठा साम्राज्य का जिक्र है और जैसलमेर रियासत को भी मराठा साम्राज्य का भाग दिखाया गया है। इसी पर आपत्ति है। दावा है कि जैसलमेर मराठा साम्राज्य का हिस्सा नहीं रहा।

जैसलमेर के दर्ज इतिहास के अनुसार- मुगल भी जैसलमेर को नहीं जीत पाए थे। जैसलमेर की स्थापना भारतीय इतिहास के मध्यकाल के प्रारंभ में साल 1178 के लगभग यदुवंशी भाटी के वंशज रावल-जैसल ने की थी।

रावल जैसल के वंशजों ने यहां भारत के गणतंत्र में परिवर्तन होने तक बिना वंश क्रम को भंग किए हुए 770 साल तक सतत शासन किया, जो अपने आप में एक महत्वपूर्ण घटना है। जैसलमेर राज्य ने भारत के इतिहास के कई काल को देखा व सहा है। यह राज्य मुगल साम्राज्य में भी लगभग 300 वर्षों तक अपने अस्तित्व को बनाए रखने में सफल रहा।

जैसलमेर शहर पर खिलजी, राठौर, मुगल, तुगलक आदि ने कई बार आक्रमण किया था। लेकिन वे कभी इसे जीत नहीं पाए। भाटियों के इतिहास का यह संपूर्ण काल सत्ता के लिए संघर्ष का काल नहीं था। वरन अस्तित्व को बनाए रखने के लिए संघर्ष था, जिसमें ये लोग सफल रहे। भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना से लेकर समाप्ति तक भी इस राज्य ने अपने वंश गौरव व महत्व को यथावत रखा।

भारत की स्वतंत्रता के बाद यह भारतीय गणतंत्र में विलीन हो गया। भारतीय गणतंत्र के विलीनीकरण के समय इसका भौगोलिक क्षेत्रफल 16,062 वर्ग मील के विस्तृत भू-भाग पर फैला हुआ था।

सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस

सोशल मीडिया पर इस आपत्ति के बाद बहस छिड़ी है। कई यूजर्स ने इस आपत्ति का समर्थन किया है तो कई ने मराठा के पक्ष में अपनी बात कही है। इस बीच सोशल मीडिया पर एक मैप डालकर दावा किया कि यह ग्वालियर में सिंधिया पूर्व राजपरिवार के म्यूजियम में है।

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