सुप्रीम कोर्ट में आज यानी शुक्रवार को विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) में कथित गड़बड़ियों को लेकर याचिकाकर्ता ठोस आधार और दलील देंगे। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश ठोस आधार पर सुनवाई होगी।
पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा था कि 8 अगस्त तक अपनी याचिका में लगाए गए आरोपों का ठोस आधार और दलील दें। वहीं, चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि वो SIR प्रक्रिया के दौरान हटाए गए 65 लाख मतदाताओं के नामों की लिस्ट अदालत में पेश करें।
कोर्ट ने कहा था, हम प्रभावित होने वाले हर मतदाता से संपर्क करेंगे और उनकी जानकारी लेंगे। वहीं, निर्वाचन आयोग को अपना ब्योरा 9 अगस्त तक दाखिल करने का निर्देश दिया है।
NGO ने दायर की थी याचिका
निर्वाचन आयोग के 24 जून को वोटर लिस्ट रिवीजन को लेकर दिए गए आदेश के बाद NGO ने याचिका दायर कर कई गंभीर सवाल खड़े किए थे।
पिछले दिनों एनजीओ की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में एक और आवेदन दिया गया, जिसमें कहा गया कि 65 लाख हटाए गए मतदाताओं के नाम सार्वजनिक किए जाए।
याचिकाकर्ता के वकील ने क्या दी दलील
कोर्ट में एनजीओ की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कहा था, 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाने के कारण बताए जाएं। क्योंकि अभी एक ड्राफ्ट के रूप में सूची है।
प्रशांत भूषण ने कोर्ट को यह भी बताया था कि कुछ राजनीतिक दलों को हटाए गए मतदाताओं की सूची दी गई है, जिसमें यह नहीं बताया गया कि जिसका नाम हटाया गया है वो मतदाता मर गया है या पलायन कर गया है।
जानिए क्या है मामला
बिहार में मतदाता सूची को ठीक करने के लिए निर्वाचन आयोग ने SIR प्रक्रिया चलाई थी। गहन पुनरीक्षण कर वोटर सूची से उन लोगों के नाम हटाने की बात हुई, जो या तो मृत हो गए है या फिर स्थानांतरित हो गए हैं या फिर जिसके एक से ज्यादा वोटर कार्ड हैं।
कई संगठनों और याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि इस प्रक्रिया में व्यापक स्तर पर अनियमितताएं हुई हैं। वैध मतदाताओं के नाम भी सूची से हटा दिए गए है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि अगर 65 लाख नाम हटाए गए हैं, तो यह एक गंभीर मामला है। निर्वाचन आयोग को इस पर पारदर्शिता दिखानी होगी।
हम देखना चाहते हैं कि किन मानकों के आधार पर ये नाम हटाए गए हैं। साथ ही याचिकाकर्ता और निर्वाचन दोनों को अपने-अपने साक्ष्य दें।
ड्राफ्ट सूची पर सियासत जारी
ड्राफ्ट सूची पर सभी लोगों को दावा आपत्ति के लिए निर्वाचन आयोग ने 8 अगस्त तक की तारीख तय की थी। इतने दिनों के बाद भी कई राजनीतिक दल ने आधिकारिक रूप से निर्वाचन आयोग के पास कोई भी आपत्ति दर्ज नहीं की गई।
राजनीतिक दलों का लगातार बयानबाजी चल रहा है। राजनीतिक दलों के लगाए गए आरोप और अभी की जारी जानकारी ने राजनीतिक दलों की गंभीरता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
आयोग के अनुसार, राजनीतिक दल सिर्फ आरोप लगा रहे हैं, लेकिन औपचारिक रूप से कोई कदम नहीं उठा रहे। जबकि उनके पास नियमानुसार आपत्ति दर्ज कराने की पूरी प्रक्रिया और अवसर उपलब्ध है।
ड्राफ्ट सूची पर सियासत जारी
ड्राफ्ट सूची पर सभी लोगों को दावा आपत्ति के लिए निर्वाचन आयोग ने 8 अगस्त तक की तारीख तय की थी। इतने दिनों के बाद भी कई राजनीतिक दल ने आधिकारिक रूप से निर्वाचन आयोग के पास कोई भी आपत्ति दर्ज नहीं की गई।
राजनीतिक दलों का लगातार बयानबाजी चल रहा है। राजनीतिक दलों के लगाए गए आरोप और अभी की जारी जानकारी ने राजनीतिक दलों की गंभीरता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
आयोग के अनुसार, राजनीतिक दल सिर्फ आरोप लगा रहे हैं, लेकिन औपचारिक रूप से कोई कदम नहीं उठा रहे। जबकि उनके पास नियमानुसार आपत्ति दर्ज कराने की पूरी प्रक्रिया और अवसर उपलब्ध है।
निर्वाचन आयोग के जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार आरजेडी के 47506 BLO है, लेकिन आपत्ति अब तक शून्य है। ठीक इसी तरह कांग्रेस के 17549 BLO पर आपत्ति एक भी, माले के 1496 BLO है,लेकिन आपत्ति एक भी नहीं है। वहीं, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के 899 BLO हैं लेकिन इसने भी अब तक एक भी आपत्ति दर्ज नहीं की है।