मुजफ्फरपुर में एसकेएमसीएच के इमरजेंसी वार्ड में मरीज की मौत के बाद जमकर हंगामा हुआ। परिजनों ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाकर ऑन ड्यूटी डॉक्टर की पिटाई कर दी। मारपीट में डॉ. गणेश पासवान का ओंठ फट गया।
नाक से खून निकलने लगा। उन्हें कमरे में बंद कर दिया। एक महिला इंटर्न डॉक्टर के साथ भी बदसलूकी की गई है। हंगामे के चलते समय पर इलाज नहीं मिलने से एक अन्य मरीज की मौत हो गई।
मेडिकल स्टूडेंट्स ने आरोपियों को पीटा
मारपीट की सूचना मिलते ही आक्रोशित एमबीबीएस स्टूडेंट और डॉक्टर इमरजेंसी वार्ड पहुंच गए। अस्पताल परिसर रणक्षेत्र में तब्दील हो गई। मेडिकल स्टूडेंट्स ने आरोपियों को पकड़ लिया। उसकी जमकर पिटाई कर दी। इस दौरान सुरक्षाकर्मियों ने लाठी चला दिया। जिसमें मृतक रघुनाथ सिंह (70) की बहू का सिर फट गया।
डॉक्टरों की सुरक्षा की मांग
बवाल की सूचना पर एसडीपीओ-2 बिनीता सिन्हा, अहियापुर थानेदार रोहन कुमार पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंचे। कुछ देर तक इमरजेंसी वार्ड का बाहरी परिसर रणक्षेत्र में तब्दील रहा। आक्रोशित डॉक्टर्स सुरक्षा की मांग करते हुए इमरजेंसी में इलाज ठप करा दिया। स्वास्थ्य प्रबंधक मो.सोहेल के आवेदन के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। आरोपियों के गिरफ्तारी के लिए छापेमारी चल रही ही है। साथ ही सीसीटीवी भी खंगाला जा रहा है।
इलाज में लापरवाही के कारण हुई मौत
मारपीट में घायल मृतक रघुनाथ सिंह(70) की बहू ने बताया, ‘बुधवार को मेरे ससुर सड़क दुर्घटना में घायल हो गए थे। शाम 7 बजे इलाज के लिए अस्पताल लेकर पहुंचे। पहले डॉक्टरों ने एक्स-रे कराने को कहा। एक्स-रे कराने के बाद एडमिट करने से मना कर दिया।
ऑन ड्यूटी डॉक्टर ने कहा कि मरीज ठीक हैं, इन्हें घर लेकर जाइए। जिसके बाद उन्हें इमरजेंसी के बाहर कुर्सी पर बैठा दिया। रात करीब आठ बजे के करीब उनकी मौत हो गई। पूछने पर डॉक्टर और स्टाफ ने हमलोगों की पिटाई कर दी। गार्ड ने डंडे से मेरे सिर पर मारा।’
कोई लापरवाही नहीं हुई है
वहीं, डॉ. गणेश पासवान ने कहा कि मैं ड्यूटी पर मौजूद था। अचानक एक महिला आकर गाली-गलौज करने लगी। मेरे ऊपर चप्पल फेंक दिया। साथ आए परिजन हंगामा और मारपीट करने लगे। जिसके बाद गार्ड ने सभी को बाहर निकाला। अस्पताल प्रशासन की ओर से कोई लापरवाही नहीं बरती गई है।
इलाज नहीं मिलने पर मरीज की मौत
बवाल के समय सड़क हादसे में घायल खरहर गोसाईपुर के कमल सहनी को लेकर परिजन अस्पताल पहुंचे थे। हंगामा के कारण उनका इलाज नहीं हुआ, जिस कारण उनकी भी मौत हो गई। परिजन ने कहा कि पैसा रहता तो निजी अस्पताल में ले जाते, लेकिन पैसे के अभाव में यहां लाए थे। हंगामे के चलते उनकी मौत हो गई। इस दौरान चार भर्ती मरीजों को परिजन एसकेएमसीएच से निजी अस्पताल लेकर चले गए। अस्पताल प्रशासन के हस्तक्षेप से अन्य मरीजों को रोका गया।