UKSSSC पेपर लीक मामला: CBI का डिजिटल सबूत पर फोकस:परीक्षा केंद्र से सबूत जुटाएगी, इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस और वॉट्सऐप चेन की होगी जांच

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) के पेपर लीक कांड मामले में CBI ने SIT से सभी दस्तावेज और केस फाइलें मिलने के बाद जांच शुरू कर दी है। सूत्रों से जानकारी के मुताबिक, CBI जल्द ही इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस लेकर अधिकारियों और कई संदिग्ध चेहरों से पूछताछ करेगी।

CBI अब सबसे पहले इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस यानी डिजिटल सबूतों को ट्रेस करने का काम करेगी, ताकि यह पता लगाया जा सके कि मुख्य आरोपी खालिद किन-किन लोगों के संपर्क में था और प्रश्नपत्र लीक होने की कड़ी में कौन-कौन शामिल थे।

CBI करेगी वॉट्सऐप नेटवर्क की पड़ताल

सूत्रों के अनुसार, पेपर लीक का सिलसिला वॉट्सऐप नेटवर्क के जरिए हुआ था। CBI इस नेटवर्क की बारीकी से जांच करेगी, ताकि यह स्पष्ट किया जा सके कि प्रश्नपत्र किस चेन से आगे बढ़ा और कौन लोग इसमें सक्रिय थे।

हरिद्वार के आदर्श बल सदन इंटर कॉलेज का दौरा करेगी टीम

CBI की टीम जल्द ही हरिद्वार स्थित आदर्श बल सदन इंटर कॉलेज का भी दौरा करेगी, जहां से परीक्षा के दिन पेपर लीक हुआ था। जांच एजेंसी वहां मौजूद स्टाफ और लोगों से एक बार फिर पूछताछ करेगी। कुछ संदिग्ध नाम भी सामने आ सकते है।

साथ ही यह भी जांच की जाएगी कि 21 सितंबर को परीक्षा वाले दिन दो कमरों में जैमर चल रहे थे या नहीं।

खालिद के पुराने मुकदमों से मिलेंगे सुराग

SIT की पिछली जांच में यह खुलासा हुआ था कि मुख्य आरोपी खालिद के खिलाफ मेरठ के सिविल लाइन थाने में एक पुराना मुकदमा दर्ज है। CBI अब उस केस से जुड़े दस्तावेजों की भी जांच करेगी ताकि यह पता लगाया जा सके कि खालिद किस “नकल सिंडिकेट” से जुड़ा हुआ था और उसके पीछे कौन-सी बड़ी हस्तियां हैं।

STF की कार्रवाई पर भी उठे सवाल

सूत्रों के मुताबिक, CBI इस पहलू की भी जांच कर रही है कि परीक्षा से एक दिन पहले 20 सितंबर को STF द्वारा हाकम सिंह और उसके दो साथियों की गिरफ्तारी के बाद क्या सावधानी बरती गई।

भाजपा नेता धर्मेंद्र चौहान से भी पूछताछ संभव

सूत्रों के मुताबिक, इस पूरे मामले में जिस स्कूल में परीक्षा केन्द्र बना था उसके ट्रस्टीयों से भी पूछताछ की जा सकती है। SIT की रिपोर्ट के अनुसार, हरिद्वार के आदर्श बाल सदन इंटर कॉलेज, जहां से पेपर लीक हुआ था, उसके एक ट्रस्टी भाजपा नेता धर्मेंद्र चौहान भी बताए जा रहे है।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि परीक्षा से एक दिन पहले खालिद स्कूल की दीवार फांदकर अंदर गया और वहां मोबाइल छिपा दिया, जिससे परीक्षा के दिन पेपर लीक किया गया। CBI अब इस एंगल की भी जांच कर रही है।

जानिए अब तक क्या हुआ…

UKSSSC का 21 सितंबर को ग्रेजुएट लेवल भर्ती का पेपर लीक हुआ था, जिसके 20 दिन बाद यानी 11 अक्टूबर को मामले की जांच को लेकर सरकार द्वारा बनाए गए एकल सदस्यीय जांच आयोग ने सीएम धामी को रिपोर्ट सौंपी थी, जिसके कुछ ही घंटों बाद UKSSSC ने एक नोटिफिकेशन जारी कर इस परीक्षा को रद्द कर दिया था।

आयोग की रिपोर्ट के बाद UKSSSC ने ये फैसला सुनाया था। इसकी अध्यक्षता उत्तराखंड हाईकोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति यू.सी. ध्यानी ने की थी। रिपोर्ट मिलने के बाद सीएम ने भी कहा था कि आयोग ने कम समय में ज्यादा से ज्यादा जनसुनवाई कर स्टूडेंट्स और संबंधित पक्षों से सुझाव लिए हैं, जो सराहनीय है। उन्होंने बताया कि रिपोर्ट का परीक्षण कर स्टूडेंट्स के हित में निर्णय लिया जाएगा।

लेकिन इसके बाद मामले की जांच 27 अक्टूबर को केंद्र (CBI) को सौंपी गई थी।

4 पॉइंट में समझिए पेपर लीक का पूरा मामला…

1. 21 सितंबर को UKSSSC ने ग्रेजुएट लेवल की परीक्षा कराई- UKSSSC ने 21 सितंबर को ग्रेजुएट लेवल की भर्ती के लिए 11 बजे एग्जाम शुरू​​​​ किया। एग्जाम 1 बजे तक होना था। लेकिन 11:30 बजे ही पेपर लीक हो गया, जिसके तीन पन्ने वॉट्सऐप से बाहर आ गए थे।

आरोपी खालिद मलिक नाम के व्यक्ति ने असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन को अपने पेपर भेजे दिए थे, जिसमें खालिद की बहन साबिया भी शामिल थी। फिलहाल खालिद और उसकी बहन साबिया न्यायिक हिरासत में हैं।

2. प्रदेश भर में शुरू हुआ आन्दोलन- इसके बाद प्रदेश भर में आंदोलन शुरू हो गया। काफी लंबे समय तक बेरोजगार संगठन के लोग देहरादून के परेड ग्राउंड के बाहर धरने पर बैठे रहे। फिर सीएम पुष्कर सिंह धामी लगभग 8 दिन के बाद छात्रों से मिलने उनके धरना स्थल पर पहुंचे थे और उन्होंने सीबीआई जांच की बात कही।

इसके बाद सीबीआई जांच के लिए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को लिख दिया था। छात्रों ने दूसरी मांग अपनी की थी कि इस परीक्षा को रद्द किया जाए और उसका रोस्टर दोबारा से जारी किया जाए।

3. एकल सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया- छात्रों के बढ़ने प्रदर्शन को देखते हुए सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एकल सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया, जिसकी अध्यक्षता न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) यूसी ध्यानी को सौंपी गई। इस आयोग को परीक्षा में हुई अनियमितताओं, पेपर लीक की प्रक्रिया, शामिल अधिकारियों और बाहरी नेटवर्क की भूमिका की जांच का अधिकार दिया गया था।

आयोग ने प्रदेश के कई जिलों में जाकर छात्रों, अधिकारियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से जनसंवाद किया और उन्हीं बयानों के आधार पर अपनी अंतरिम रिपोर्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपी।

4- सरकार ने आयोग को सौंपी रिपोर्ट, पेपर रद्द- छात्रों की मांग थी कि इस मामले की जांच सीबीआई से करवाई जाए और परीक्षा को रद्द किया जाए। एकल सदस्यीय जांच आयोग की कई बैठकों में भी छात्रों ने इन मांगों को उठाया था। वहीं, जब आयोग ने रिपोर्ट सीएम धामी को सौंपी तो इसके कुछ ही घंटों बाद सरकार ने ये रिपोर्ट यूकेएसएसएसी को सौंपी। और फिर इस रिपोर्ट के आधार पर ही यूकेएसएसएसी ने परीक्षा को रद्द कर दिया था।

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