इंडोनेशिया में सांसदों की सैलरी बढ़ने पर प्रदर्शन, संसद जलाई:डिलीवरी बॅाय की मौत से और बिगड़े हालात, राष्ट्रपति प्रबोवो का चीन दौरा रद्द

इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता समेत देश के कई हिस्सों में सांसदों की तनख्वाह बढ़ाने के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन तेज हो गए हैं। प्रदर्शनकारियों ने शुक्रवार रात मकासर शहर की क्षेत्रीय संसद में आग लगा दी।

हाल ही में इंडोनेशियाई पुलिस के वाहन ने मोटरसाइकिल से जा रहे डिलीवरी बॉय को कुचल दिया था, जिससे उसकी मौत हो गई थी। इसके बाद हालात और ज्यादा बिगड़ गए।

उग्र प्रदर्शनों को देखते हुए इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो ने शनिवार को अपनी चीन यात्रा रद्द कर दी। उन्हें 3 सितंबर को चीन में विक्ट्री डे समारोह में जाना था, जो सेकेंड वर्ल्ड वॉर खत्म होने की 80वीं सालगिरह पर आयोजित होता है।

प्रबोवो के प्रवक्ता ने कहा कि राष्ट्रपति देश की हालात पर खुद नजर रखना चाहते हैं और इन हालातों को बेहतर तरीके से मैनेज करना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने चीन सरकार से माफी मांगी कि वे उनके बुलावे पर नहीं जा पाएंगे।

ड्राइवर की मौत के मामले में 7 लोग हिरासत में

इन हिंसक विरोध-प्रदर्शन में अब तक 3 लोगों की मौत हो गई और 5 लोग घायल हो गए। लोगों ने सरकारी अधिकारियों और उन्हें मिलने वाली सुविधाओं के खिलाफ प्रदर्शन तेज कर दिया है।

ड्राइवर की मौत के मामले में 7 अधिकारियों को हिरासत में लिया गया है। इन प्रदर्शनों में 200 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने मामले की जांच के आदेश दिए और मृत ड्राइवर के परिवार से मुलाकात की।

प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांग…

  • आर्थिक मदद- लोग चाहते हैं कि सरकार आउटसोर्सिंग बंद करे, सैलरी बढ़ाए, नौकरियों में कटौती रोके और टैक्स नियमों में सुधार करे। इंडोनेशिया में महंगाई और बेरोजगारी बढ़ रही है, जिससे आम लोगों का जीवन मुश्किल हो गया है।
  • सांसदों का भत्ता- सांसदों के लिए 3,057 डॉलर (2.69 लाख रुपए) का मासिक भत्ता तय किया गया था। यह जकार्ता के न्यूनतम वेतन से 10 गुना ज्यादा है। इससे लोगों का गुस्सा भड़क गया।
  • पुलिस पर कार्रवाई- डिलीवरी बॉय की मौत के बाद लोग में पुलिस के खिलाफ गुस्सा है। वे पुलिस डिपार्टमेंट के हेड को हटाने और पुलिस में सुधार की मांग कर रहे हैं।

पुलिस पर मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप

इंडोनेशिया की कानूनी सहायता संस्था (YLBHI) ने पुलिस की कार्रवाई की कड़ी निंदा की है। YLBHI के मुताबिक, जकार्ता में 600 से ज्यादा छात्रों को हिरासत में लिया गया, जिनमें से कई को बिना किसी आरोप के थानों में रखा गया।

संगठन ने पुलिस पर क्रूरता और मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाया है। कुछ प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि पुलिस ने न सिर्फ रबर की गोलियां चलाईं, बल्कि कुछ जगह गोला-बारूद का भी इस्तेमाल किया।

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