इंदौर चूहा कांड-जांच में देरी पर हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान:5 दिनों में राज्य सरकार से मांगी रिपोर्ट; हॉस्पिटल में पेस्ट कंट्रोल कंपनी से एग्रीमेंट खत्म होगा

एमवाय अस्पताल में हुए चूहा कांड में जांच में देरी और ठोस कार्रवाई नहीं होने पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ बुधवार को स्वयं संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका दर्ज की। कोर्ट ने राज्य शासन से 15 सितंबर तक स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं।

प्रशासनिक न्यायमूर्ति विवेक रूसिया और न्यायमूर्ति जे.के. पिल्लई की युगल पीठ ने इस गंभीर मामले को नवजातों के मौलिक अधिकारों और सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ा मानते हुए स्वतः संज्ञान लिया।

कोर्ट ने यह भी नोट किया कि अस्पताल की सफाई और पेस्ट कंट्रोल की जिम्मेदारी निभा रही निजी कंपनी एजाइल सिक्योरिटी के खिलाफ अभी तक कोई ठोस दंडात्मक कार्रवाई नहीं की गई, जबकि उसी की लापरवाही के कारण यह दर्दनाक हादसा हुआ।

ऐसे में जनहित याचिका दर्ज होने के बाद, प्रमुख सचिव (लोक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा) की ओर से एजाइल कंपनी को हटाने के निर्देश जारी किए गए। साथ ही पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ. बृजेश लाहोटी को पद से हटा दिया गया, जबकि प्रभारी एचओडी डॉ. मनोज जोशी को सस्पेंड कर दिया गया है।

चार सदस्यीय जांच समिति ने सौंपी थी रिपोर्ट

3 सितंबर को गठित चार सदस्यीय जांच समिति ने मेडिकल एजुकेशन कमिश्नर तरुण राठी को रिपोर्ट सौंपी थी, जिसके आधार पर प्रमुख सचिव संदीप यादव ने एचएलएल इंफ्राटेक सर्विसेज (HITES) को एजाइल सिक्योरिटी का अनुबंध रद्द करने के निर्देश दिए। एजाइल को अस्पताल की सफाई, सुरक्षा और पेस्ट कंट्रोल की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

मामले को शुरू से दबाने की कोशिश

मामले में वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा शुरू से ही तथ्यों को दबाने की कोशिश की गई। उन्होंने यह दावा किया कि नवजातों की मौत गंभीर बीमारी के कारण हुई है, न कि चूहों के काटने से। बताया गया कि बच्चों के अंग पूरी तरह विकसित नहीं थे।

धार निवासी एक दंपती के नवजात की मौत को लेकर भी गलत जानकारी दी गई। तत्कालीन कलेक्टर आशीष सिंह और मेडिकल एजुकेशन कमिश्नर तरुण राठी को भी गलत फीडबैक देकर गुमराह किया गया कि पोस्टमॉर्टम हो गया है और रिपोर्ट में चूहे के काटने का जिक्र नहीं है। इसी आधार पर दोनों अधिकारियों ने मीडिया को गलत जानकारी दी।

‘दैनिक भास्कर’ के खुलासे से सामने आया सच

मामले की सच्चाई सामने तब आई जब ‘दैनिक भास्कर’ ने डिजिटल सबूत जुटाकर सीएमओ रूम में वीडियो के जरिए से यह स्पष्ट किया कि नवजात का पोस्टमॉर्टम हुआ ही नहीं था।

इसके बाद 6 सितंबर को परिजनों के आने पर पोस्टमॉर्टम कराया गया। सबसे बड़ा खुलासा तब हुआ जब परिजन देर रात शव लेकर गांव पहुंचे और पैकिंग खोलने पर देखा कि चूहे उसके एक हाथ की चार उंगलियां पूरी तरह खा चुके थे।

एजाइल पर पहले सिर्फ मामूली जुर्माना लगाया

शुरुआत में एजाइल सिक्योरिटी पर केवल 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया और भविष्य में ऐसी पुनरावृत्ति न होने की चेतावनी दी गई। जबकि कंपनी शुरू से ही सवालों के घेरे में थी, इसके बावजूद उसका एमओयू रद्द नहीं किया गया और संवेदनशील जिम्मेदारी के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।

छोटे कर्मचारियों पर गिरी गाज, जिम्मेदार एजेंसी बचाई गई

पूर्व में डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया ने दो नर्सिंग ऑफिसरों को सस्पेंड किया था, जबकि नर्सिंग सुपरिटेंडेंट जोसेफ को हटाया गया और छह अन्य को शोकॉज नोटिस जारी किए गए।

इन कर्मचारियों में नाराजगी थी कि मुख्य जिम्मेदारी एजाइल की थी, लेकिन उसे बचाते हुए निचले स्तर के स्टाफ को निशाना बनाया गया। इसके बाद डॉ. महेश कछारिया को असिस्टेंट नर्सिंग सुपरिंटेंडेंट के रूप में नियुक्त किया गया।

मामले में कांग्रेस और जयस शुरू से ही विरोध कर रहे थे और मांग कर रहे थे कि डीन और सुपरिटेंडेंट को सस्पेंड किया जाए और एजाइल कंपनी पर कठोर कार्रवाई हो।

सुपरिटेंडेंट डॉ. अशोक यादव ने 11 सितंबर को स्वास्थ्य खराब होने का हवाला देकर 15 दिन की छुट्टी मांगी और बुधवार को उन्हें अवकाश पर भेजते हुए डॉ. बसंत निंगवाल को कार्यवाहक सुपरिटेंडेंट नियुक्त किया गया। हालांकि चर्चाएं हैं कि उन्हें छुट्टी के नाम पर हटाया गया है।

इसके साथ ही डॉ. मनोज जोशी (प्रभारी एचओडी, पीडियाट्रिक सर्जरी) को सस्पेंड कर दिया गया है।

अब तक हुई नई कार्रवाई

  • डॉ. बृजेश कुमार लाहोटी को एचओडी, पीडियाट्रिक सर्जरी के पद से हटाया गया।
  • डॉ. अशोक कुमार लाढा को विभाग का प्रभार सौंपा गया।
  • डॉ. बसंत निंगवाल को प्रभारी सुपरिटेंडेंट नियुक्त किया गया।
  • डॉ. सुमित सिंह को सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की देखरेख की जिम्मेदारी दी गई।
  • डॉ. रामू ठाकुर को एचओडी, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग बनाया गया।
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