प्रशांत किशोर की पार्टी गुरुवार यानी आज अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी करेगी। जानकारी के मुताबिक, पार्टी पहली लिस्ट में 40 सुरक्षित सीटों पर कैंडिडेट्स के नाम अनाउंस करेगी।
बताया जा रहा है कि जन सुराज की लिस्ट में प्रशांत किशोर के पदयात्रा में शामिल कई लोगों के नाम हो सकते हैं। इन उम्मीदवारों में शिक्षित युवा, सामाजिक कार्यकर्ता, किसान संगठनों से जुड़े लोग और कुछ ऐसे चेहरे शामिल होंगे।
नजर, पीके के चुनाव लड़ने पर भी होगी कि पहली लिस्ट में उनका नाम होगा या नहीं। हालांकि, उन्होंने अब तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि वे किस विधानसभा क्षेत्र से मैदान में उतरेंगे, लेकिन माना जा रहा है कि करगहर से चुनाव लड़ सकते हैं।
पिछले ही दिनों एक इंटरव्यू में प्रशांत किशोर ने चुनाव लड़ने और संभावित सीट को लेकर यह संकेत किया था कि अगर चुनाव लड़ेंगे, तो अपनी जन्म भूमि से लड़ेंगे या फिर अपनी कर्म भूमि से।
एक माह पहले पीके ने कहा था- 2 जगह से लड़ेंगे चुनाव
करीब एक माह पहले उन्होंने एक चैनल से इंटरव्यू में कहा था, ‘मैं लोगों से कहता आया हूं, चुनाव दो ही जगहों से लड़नी चाहिए। पहला जन्मभूमि और दूसरा कर्मभूमि से। जन्मभूमि के हिसाब से मुझे सासाराम के करगहर विधानसभा से चुनाव लड़ना चाहिए। कर्मभूमि के हिसाब से राघोपुर से लड़ना चाहिए। बाकी जगह से चुनाव लड़ने का कोई मतलब नहीं है।’
ऐसे में पीके अगर करगहर से चुनाव लड़ते हैं, तो इस सीट पर दूसरे चरण में 11 नवंबर को मतदान होने हैं। करगहर ब्राह्मण बाहुल्य सीट है, इसलिए समीकरणों को देखते हुए भी प्रशांत किशोर के इस सीट से मैदान में उतरने की संभावना अधिक है।
पीके ने नीतीश के खिलाफ भी चुनाव लड़ने के संकेत दिए
करीब एक महीने पहले तेजस्वी के विधानसभा सीट राघोपुर से भी चुनाव लड़ने के संकेत दिए थे। उन्होंने कहा, ‘अगर चुनाव लड़ेंगे तो तेजस्वी के खिलाफ ही लड़ेंगे। दूसरी जगह से चुनाव लड़ने का क्या फायदा है।’
इंटरव्यू में जब प्रशांत किशोर से जब पूछा गया कि क्या नीतीश कुमार के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ेंगे?
इस सवाल पर उन्होंने कहा, ‘नीतीश कुमार चुनाव लड़ेंगे तो डेफिनेटली उनके खिलाफ मैं चुनाव लड़ूंगा। पार्टी से लड़कर वहां से टिकट लूंगा। हालांकि 20 वर्षों से नीतीश कुमार चुनाव नहीं लड़े हैं। वे पीछे के दरवाजे से पॉलिटिक्स कर रहे हैं।’
अब दोनों सीटों का समीकरण समझिए
करगहर में ब्राह्मण निर्णायक फैक्टर
सीनियर जर्नलिस्ट गोविंदा मिश्रा बताते हैं, ‘करगहर से चुनाव लड़कर प्रशांत किशोर ये मैसेज दे सकते हैं कि वे बिहार में बदलाव की राजनीति करने आए हैं और वो इसकी शुरुआत अपने घर से चुनाव लड़कर कर सकते हैं।’
गोविंदा बताते हैं, ‘करगहर एक कुर्मी बहुल विधानसभा क्षेत्र है। यहां 50-60 हजार से ज्यादा कुर्मी-कोइरी की आबादी है। लेकिन यहां ब्राह्मण निर्णायक भूमिका में हैं।’
‘इस इलाके में 30-35 हजार वोटर्स ब्राह्मण हैं। पिछले 10 साल से यहां की पॉलिटिक्स एंटी कुर्मी की रही है। यही कारण है कि पिछले चुनाव में कुर्मी जाति से आने वाले वशिष्ठ सिंह को ब्राह्मण जाति से आने वाले संतोष मिश्रा ने हरा दिया था।’
राघोपुर लालू परिवार का गढ़
राघोपुर को लालू परिवार का गढ़ माना जाता है। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, पूर्व सीएम राबड़ी देवी और अब तेजस्वी यादव राजद के तीनों टॉप लीडर्स यहां से चुनाव लड़ चुके हैं। फिलहाल तेजस्वी यादव यहां के विधायक हैं। उनका यहां से चुनाव लड़ना तय है।
इस स्थिति में प्रशांत किशोर यहां से चुनाव लड़ेंगे तो ये सीधा मैसेज जाएगा कि वे लालू परिवार से टकरा रहे हैं। दिल्ली में अरविंद केजरीवाल तत्कालीन सीएम शीला दीक्षित के खिलाफ चुनाव लड़कर ठीक यही काम किए थे।
अगर यहां के सामाजिक समीकरण की बात करें तो राघोपुर विधानसभा सीट पर करीब 30% यादव वोटर हैं। भूमिहार वोटर भी यहां बड़ी संख्या में हैं। पासवान वोटर्स की आबादी यहां का जीत-हार तय करती है।