जयराम बोले- PM जगदीप धनखड़ से मन बदलने को कहें:कहा- उपराष्ट्रपति के इस्तीफे की वजह कुछ और; विपक्ष 2024 में महाभियोग लाया था

जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा देने पर विपक्ष सवाल कर रहा है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने X पोस्ट में कहा- इस अप्रत्याशित इस्तीफे में जो दिख रहा है, उससे कहीं ज्यादा है। PM मोदी धनखड़ को मन बदलने के लिए मनाएं। यह राष्ट्रहित में होगा। खासतौर पर कृषक समुदाय को बहुत राहत मिलेगी।

शिवसेना (UBT) नेता आनंद दुबे ने कहा- स्वास्थ्य कारणों से उपराष्ट्रपति के इस्तीफे की खबर चिंताजनक है। हम उनकी कुशलता की कामना करते हैं। मानसून सत्र का पहला दिन था और उसी दिन उनका इस्तीफा हैरान करने वाला है। इस सरकार में क्या चल रहा है? स्वास्थ्य चिंता का विषय होता तो इस्तीफा सत्र से कुछ दिन पहले या बाद में भी दिया जा सकता था।

CPI सांसद पी. संदोष कुमार ने कहा- घटनाक्रम बिल्कुल अप्रत्याशित है और हमें नहीं पता कि इसके क्या कारण हैं। मुझे नहीं लगता कि भारत के राष्ट्रपति इसे स्वीकार करेंगे। धनखड़ की ओर से शुरुआती प्रतिक्रिया हो सकती है। हो सकता है कि वह कुछ घटनाक्रमों से असंतुष्ट हों।

रमेश बोले- धनखड़ को बड़ी घोषणाएं करनी थीं

जयराम रमेश ने कहा- मैं आज शाम (21 जुलाई) लगभग 5 बजे तक कई अन्य सांसदों के साथ उनके साथ था। शाम 7.30 बजे उनसे फोन पर बात की थी। यह साफ है कि उनके इस्तीफे के पीछे जो दिख रहा है, उससे कहीं ज्यादा है। हालांकि, ये अटकलों का समय नहीं है।

रमेश ने कहा कि धनखड़ ने सरकार और विपक्ष, दोनों को समान रूप से आड़े हाथों लिया है। उन्होंने मंगलवार दोपहर 1 बजे कार्य मंत्रणा समिति की बैठक तय की थी। न्यायपालिका से संबंधित कुछ बड़ी घोषणाएं भी करनी थीं।

राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने धनखड़ को देशभक्त बताया। उन्होंने कहा- धनखड़ ने इस्तीफे के पीछे स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है, इसलिए इसे स्वीकार किया जाना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए। इस पर आगे कोई चर्चा नहीं होनी चाहिए।

सिब्बल ने कहा- मैं व्यक्तिगत रूप से उनके इस्तीफे से खुश नहीं हूं, क्योंकि मैं अब जब संसद जाऊंगा तो उनसे नहीं मिलूंगा। निजीतौर पर मुझे अच्छा नहीं लगा। मेरे उनके साथ बहुत अच्छे संबंध थे। वह अपनी बात कहते थे और कोई बात दिल में नहीं रखते थे। जब मैं राज्यसभा में बोलने के लिए ज्यादा समय चाहता था, तो वह मुझे और समय देते थे।

विपक्ष के अन्य नेताओं के बयान

  • सांसद जेबी माथेर, कांग्रेस यह वास्तव में बहुत चौंकाने वाला है। उपराष्ट्रपति ने आज सुबह (21 जुलाई) भी राज्यसभा सत्र की अध्यक्षता की। यह एक बहुत ही अप्रत्याशित घटनाक्रम है। अलग-अलग राजनीतिक विचारधाराओं और प्रत्येक मुद्दे को देखने के हमारे नजरिए के कारण हमारे बीच मतभेद हो सकते हैं। वे जल्द स्वस्थ हों।
  • दानिश अली, कांग्रेस रहस्यमयी चीजें हो रही हैं, जो देश के हित में नहीं हैं। धनखड़ के इस्तीफे का कारण स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं नहीं लगतीं। सुनने में आया था कि भाजपा के कुछ टॉप लीडर्स उनके पद की गरिमा के मुताबिक बयान नहीं दे रहे थे। ऐसा लगता है कि जस्टिस यादव और जस्टिस वर्मा को लेकर सरकार से उनके मतभेद थे। उन्होंने कई बार कहा है कि वह कभी किसी के दबाव में नहीं आएंगे।
  • सुखदेव भगत, कांग्रेस ईश्वर जगदीप धनखड़ को स्वस्थ जीवन प्रदान करे, लेकिन राजनीति में कुछ भी अचानक नहीं होता। पटकथा पहले से ही लिखी जाती है। बिहार चुनाव नजदीक हैं। यह एक पहलू हो सकता है। प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की इच्छा के मुताबिक बहुत सी अप्रत्याशित चीजें होती हैं।

देश के पहले उपराष्ट्रपति जिनके खिलाफ महाभियोग लाया गया था

देश में 72 साल के संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में धनखड़ पहले ऐसे राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति रहे, जिनके खिलाफ दिसंबर 2024 महाभियोग प्रस्ताव लाया था। जो बाद में तकनीकी कारणों से खारिज हो गया था।

विपक्ष धनखड़ पर पक्षपात का आरोप लगाता रहा था। विपक्ष का दावा था कि वह सिर्फ विपक्ष की आवाज व उनके सांसदों द्वारा उठाए गए सवालों को दबाते हैं।

धनखड़ के पिछले कार्यकाल को देखें तो कई अहम पदों पर रहे, लेकिन वे अपना कार्यकाल पूरा होते नहीं देख पाए। एक बार विधायक के तौर पर उनके पांच साल एकमात्र अपवाद है।

उपराष्ट्रपति रहते धनखड़ के चर्चित बयान

  • ममता बनर्जी पर: 2022 में कहा था- ममता सरकार एक खास वर्ग को ही मदद देती है, जबकि संविधान सबके साथ समान व्यवहार की बात करता है। जनवरी 2022 में बंगाल को लोकतंत्र का गैस चैंबर बताया था।
  • कोर्ट पर: संविधान का ‘अनुच्छेद 142’ ऐसा परमाणु मिसाइल बन गया है जो लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ न्यायपालिका के पास 24 घंटे मौजूद रहता है।
  • जज के घर कैश मिलने पर पर: अब समय आ गया है कि ‘कीड़ों से भरे डब्बे’ और ‘कंकालों से भरी अलमारी’ को सार्वजनिक किया जाए।
  • ट्रम्प के दावे पर: दुनिया में ऐसी कोई ताकत नहीं है जो भारत को यह निर्देश दे सके कि उसे अपने मामलों को कैसे संभालना है।
  • धर्मांतरण पर: देश में शुगर-कोटेड फिलॉसफी बेची जा रही है। सनातन विष नहीं फैलाता, सनातन स्व शक्तियों का संचार करता है।
  • संविधान पर: किसी भी संविधान की प्रस्तावना उसकी आत्मा होती है। भारत के अलावा दुनिया के किसी भी देश की संविधान की प्रस्तावना में बदलाव नहीं हुआ। लेकिन भारत की प्रस्तावना को 1976 में 42वें संविधान संशोधन अधिनियम के तहत बदल दिया गया, उसमें ‘समाजवादी’, ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ जैसे शब्द जोड़ दिए गए। ये जोड़े गए शब्द नासूर हैं। ये उथल-पुथल पैदा करेंगे।
  • कोचिंग सेंटर्स पर: कोचिंग सेंटर अब पोचिंग सेंटर बन चुके हैं। देशभर में अनियंत्रित रूप से फैल रहे हैं, जो युवाओं के लिए गंभीर संकट बनते जा रहे हैं। इस बुराई से निपटना ही होगा। हम अपनी शिक्षा को इस तरह कलंकित व दूषित नहीं होने दे सकते।

20 जुलाई पत्नी के जन्मदिन पर पत्रकारों को पार्टी दी

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत संसद भवन के बाद सबसे पहले उप-राष्ट्रपति भवन बना। इसी साल जनवरी में बिना किसी शोर-शराबे के धनखड़ ने वहां गृह प्रवेश किया। इस मौके पर वृंदावन के कथावाचक से भागवत कथा करवाई

कथावाचक के आग्रह पर 11-18 जुलाई के बीच वृंदावन में आने का वादा किया था, पर नहीं गए। पत्नी सुरेश धनखड़ के जन्मदिन पर रविवार (20 जुलाई) को उप-राष्ट्रपति ने अपने आवास पर संसद टीवी के सभी पत्रकारों को एक पार्टी दी।

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