देश में घर, गाड़ी या अन्य उपभोक्ता जरूरतों के लिए कर्ज के रुझानों में अप्रैल-सितंबर के बीच बड़ा बदलाव आया है। जेएम फाइनेंशियल्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले वित्त वर्ष की सुस्ती के बाद कंजप्शन बेस्ड बैंक लोन बढ़े हैं।
क्रेडिट कार्ड को छोड़कर लगभग सभी सेगमेंट्स में लोन ज्यादा दिए गए हैं। ये अगले वित्त वर्ष के लिए सकारात्मक संकेत है। अप्रैल से सितंबर तक 6 महीनों में क्रेडिट कार्ड को छोड़कर अन्य सभी कंज्यूमर लोन में सालाना 6% से लेकर 23% तक बढ़ोतरी हुई। वहीं, 2024-25 में ये ग्रोथ -3% से 11% के बीच रही थी।
जुलाई-सितंबर में पर्सनल लोन 35% बढ़ा
अनसिक्योर्ड लोन कैटेगरी में, पर्सनल लोन सबसे ज्यादा बढ़े हैं। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में पर्सनल लोन का डिस्ट्रीब्यूशन करीब 23% बढ़ा, वहीं जुलाई-सितंबर तिमाही में ये सालाना 35% बढ़ गया।
टीवी, फ्रिज, मोबाइल और अन्य कंज्यूमर गुड्स से जुड़े कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन वितरण बीते वित्त वर्ष के 3% से बढ़कर जुलाई-सितंबर तिमाही में 19% हो गई।
इस कैटेगरी में प्राइवेट बैंकों का मार्केट शेयर भी बढ़ा। वहीं, क्रेडिट कार्ड सेगमेंट में सुस्ती जारी रही। अप्रैल-सितंबर में नए कार्ड एक साल पहले से 28% कम जारी हुए।
उधार वही ले रहे, जिनकी स्थिति मजबूत
पर्सनल लोन बढ़ने का सीधा मतलब ये नहीं है कि लोगों के पास खर्च करने के लिए पैसे नहीं हैं। ये इस बात का ज्यादा संकेत है कि खपत बढ़ रही है, लेकिन खर्च का तरीका बदल रहा है।
पहली बात, यह कर्ज छोटे और इमरजेंसी खर्च के लिए नहीं लिया जा रहा। बैंक और वित्तीय संस्थाएं बड़ी राशि के पर्सनल लोन ज्यादा दे रही हैं। यानी उधार वही लोग ले रहे हैं जिनकी इनकम स्टेबल है, नौकरी सेफ है और क्रेडिट हिस्ट्री मजबूत है।