अफगानिस्तान में तालिबान लड़ाके पाकिस्तान पर जीत का जश्न मना रहे हैं। BBC के पत्रकार दाउद जुनबिश ने सोशल मीडिया पर एक तस्वीर शेयर की जिसमें तालिबान लड़ाके पाक सैनिकों की पैंट और हथियार बीच चौराहे पर दिखाते नजर आए।
जुनबिश ने बताया कि तालिबान के जवाबी हमले के बाद कुछ पाकिस्तानी सैनिक डूरंड रेखा के पास अपनी सैन्य चौकियों को छोड़कर भाग गए थे। तालिबान लड़ाकों ने इन चौकियों से पैंट और हथियार जब्त किए और इन्हें जीत की निशानी के तौर पर पेश किया।
वहीं, पाकिस्तान के हमले के बाद अफगानी लोग लड़ाकों के साथ एकजुट हो गए हैं। कंधार निवासी व्यक्ति ने टोलो न्यूज से कहा, ‘जरूरत पड़ी तो हम भी मुजाहिदीन और इस्लामिक एमिरेट की सेना के साथ मैदान में उतरेंगे। उन्हें मुंहतोड़ जवाब देंगे। सभी लोग पाकिस्तान के खिलाफ उनके साथ खड़े हैं।’
अफगानिस्तान ने बॉर्डर पर टैंक भेजे थे
पाकिस्तानी हवाई हमलों में बुधवार को काबुल और कंधार में 15 अफगान नागरिक मारे गए और 100 से ज्यादा घायल हो गए थे। जिसके बाद अफगानिस्तान ने बॉर्डर पर टैंक भेजे थे।
इससे पहले पाकिस्तान सुरक्षा बलों और अफगान तालिबान के बीच मंगलवार रात को झड़पें हुई थीं। अफगानिस्तान के तालिबान प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने बताया कि आज सुबह पाकिस्तानी सेना ने कंधार के स्पिन बोल्डक इलाके में हमला किया।
पाकिस्तानी सेना के मीडिया विंग (ISPR) ने कहा था कि सुरक्षा बलों ने बलूचिस्तान बॉर्डर पर अफगान तालिबान के हमले को नाकाम कर दिया, जिसमें तालिबान के लगभग 15 से 20 मेंबर मारे गए।
पाकिस्तान और अफगान तालिबान के बीच 8 अक्टूबर से जारी संघर्ष के बाद बुधवार शाम को 48 घंटे के लिए सीजफायर हुआ था।
संघर्ष में 200 से ज्यादा मौतों का दावा
यह संघर्ष पिछले हफ्ते शुरू हुआ जब इस्लामाबाद ने काबुल में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के ठिकानों पर हमला किया। अफगान लोग पाकिस्तान को सीमा विवाद और हवाई क्षेत्र के उल्लंघन के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
दोनों देशों के बीच विवाद की जड़ है डूरंड लाइन, जो ब्रिटिश काल में भारत और अफगानिस्तान के बीच खींची गई थी। यह दोनों देशों की पारंपरिक जमीन को बांटती है और दोनों तरफ के पठान इसे कभी स्वीकार नहीं करते।
डूरंड लाइन पर कम से कम सात जगहों पर दोनों पक्षों के बीच घातक गोलीबारी हुई। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर भारी नुकसान का दावा किया। रॉयटर्स के अनुसार, पाकिस्तान ने कहा कि उसने 200 से ज्यादा अफगान तालिबान और उनके सहयोगियों को मार गिराया, जबकि अफगानिस्तान का दावा है कि उसने 58 पाकिस्तानी सैनिकों को खत्म किया।
पाकिस्तान का दावा- तालिबान चौकियों को भारी नुकसान
पाकिस्तान के सूत्रों ने दावा किया था कि पाकिस्तान के हमले में कई तालिबान चौकियों को भारी नुकसान पहुंचा और उनकी चौकियों से आग की लपटें उठती देखी गई थी।
पाकिस्तानी पीटीवी न्यूज ने बताया, ‘अफगान तालिबान और फितना अल-खवारिज ने कुर्रम में बिना वजह गोलीबारी की। पाकिस्तानी सेना ने पूरी ताकत से जवाब दिया।’
दावा किया गया कि पाकिस्तान की जवाबी गोलीबारी में एक तालिबानी टैंक नष्ट हो गया, जिससे हमलावर अपनी चौकियां छोड़कर इलाके से भागने पर मजबूर हो गए। वहीं, काबुल का दावा है कि वह अपनी हवाई सीमा और संप्रभुता के उल्लंघन का जवाब दे रहा है।
अफगानिस्तान में दो TTP गुट साथ आए
अफगानिस्तान में टीटीपी के दो गुटों ने पाकिस्तान के खिलाफ एक होने की घोषणा कर दी है। रिपोर्ट के मुताबिक तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने घोषणा की है कि इसके दो समूह एक हो रहे हैं।
इनमें से एक का नेतृत्व कुर्रम जिले के मुफ्ती अब्दुर रहमान कर रहे हैं, और दूसरा खैबर जिले की तिराह घाटी के कमांडर शेर खान हैं। इन दोनों कमांडरों ने टीटीपी के तरफ वफादारी की खसम खाई है।
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP): पाकिस्तान का विद्रोही संगठन
- 2001 में अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला किया, तो कई लड़ाके पाकिस्तान के कबाइली इलाकों में छिप गए।
- 2007 में बेतुल्लाह मेहसूद ने 13 विद्रोही गुटों को मिलाकर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) बनाया।
- इसमें बड़ी संख्या में पाकिस्तानी सेना के विरोधी गुट के लोग शामिल थे।
- इनकी लड़ाई पाकिस्तान की सेना और सरकार के खिलाफ है।
- इस संगठन से जुड़े कई समर्थक पाकिस्तानी सेना में मौजूद हैं।
- अमेरिका ने पाकिस्तान को चेताया है कि TTP एटमी हथियारों तक पहुंच सकता है।
पाकिस्तान और TTP में लड़ाई क्यों?
- 2001 में अमेरिका के अफगानिस्तान पर हमले के बाद पाकिस्तान ने अमेरिका का साथ दिया। इससे TTP नाराज हो गया, वह इसे इस्लाम के खिलाफ मानता था।
- TTP का मानना है कि पाकिस्तान सरकार सच्चा इस्लाम नहीं मानती है, इसलिए वो उसके खिलाफ हमला करता है।
- TTP का अफगान तालिबान के साथ गहरा जुड़ाव है। दोनों समूह एक-दूसरे को समर्थन देते हैं।
- 2021 में अफगान तालिबान के सत्ता में आने के बाद पाकिस्तान ने TTP को निशाना बनाकर अफगानिस्तान में हमले किए।
- TTP पश्तून समुदाय की गरीबी, बेरोजगारी और सरकार की अनदेखी जैसी शिकायतों का फायदा उठाता है।
दोनों देशों के बीच पहले भी हुआ है तनाव
अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच डूरंड लाइन को लेकर लंबे समय से विवाद है। दोनों देश एक-दूसरे पर हमले और आतंकियों को छिपाने का आरोप लगाते रहते हैं। 2021 में अफगानिस्तान हुकूमत पर तालिबान के कंट्रोल के बाद से तनाव और बढ़ गया है।