ब्रिटेन विदेशी अपराधियों को तुरंत डिपोर्ट करेगा:फैसले के खिलाफ अपील का वक्त नहीं मिलेगा; इन देशों में भारत शामिल, लिस्ट से पाकिस्तान बाहर

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने विदेशी अपराधियों के खिलाफ कड़ा कदम उठाया है। स्टार्मर ने ‘पहले डिपोर्ट, फिर अपील’ नीति का ऐलान किया है।

इसका मतलब यह है कि अब ब्रिटेन में अपराध करने पर प्रवासियों को तुरंत उनके देश वापस भेज दिया जाएगा। पहले इसके लिए अपील करने का वक्त मिलता था अब ऐसा नहीं होगा।

अब वे अपने देश वापस जाने के बाद ही अपील कर सकेंगे। अब नई सूची में भारत, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश शामिल किए गए हैं, लेकिन पाकिस्तान को बाहर रखा गया है। जबकि कुछ माह पहले कुख्यात ग्रूमिंग गैंग मामले में पाक नागरिकों को गिरफ्तार किया गया है।

गृह मंत्री यवेट कूपर का कहना है कि हम अपने कानूनों का दुरुपयोग नहीं होने देंगे। अपराधी महीनों-बरसों अपील के नाम पर यहां नहीं रह सकते।

लिस्ट में कौन-कौन से देश शामिल हैं?

प​हले डिपोर्ट फिर अपील नीति के तहत आने वाले देशों में पहले नाइजीरिया, एस्टोनिया, फिनलैंड, अल्बानिया, बेलीज, मॉरीशस, तंजानिया व कोसोवो थे।

अब नई सूची में भारत, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, कनाडा, बुल्गारिया जैसे अहम देश भी हैं। इसके अलावा गुयाना, केन्या, लातविया को भी शामिल किया गया है।

ब्रिटेन की जेलें इस समय 100% क्षमता पर चल रही हैं। यहां की जेलों में इस समय 10772 विदेशी कैदी हैं। इनमें 320 भारतीय शामिल हैं, जो तीसरे नंबर पर आते हैं। पाकिस्तानियों की संख्या भी 317 है।

यहां की जेलों में एक कैदी पर सालाना 50 लाख रु. का खर्च आता है, जो टैक्सपेयर्स की जेब पर सीधा बोझ है। सरकार का मानना है कि पहले डिपोर्ट, फिर अपील नीति से जेलों में तुरंत जगह खाली होगी और खर्च घटेगा।

विपक्ष का आरोप- स्टार्मर ने राजनीतिक दबाव से पाक को बाहर रखा

विपक्ष का आरोप है कि पाक को लिस्ट से बाहर रखकर सरकार ने राजनीतिक दबाव में झुकने का काम किया है।

विपक्षी पार्टी कंजरवेटिव के नेता क्रिस फिल्प ने इस फैसले को सरकार का ‘यू-टर्न’ बताया है। उन्होंने कहा कि स्टार्मर सरकार सभी विदेशी अपराधियों को डिपोर्ट करने की बजाय कुछ देशों के लोगों को बचा रही है।

सरकार का तर्क है कि लिस्ट में उन्हीं देशों को जोड़ा गया है, जिनके साथ कानूनी और प्रशासनिक डिपोर्टेशन समझौते मौजूद हैं।

विश्लेषकों का मानना है कि 22 देशों की सूची में पाकिस्तान को बाहर रखकर ब्रिटेन ने वहां के साथ सुरक्षा और आतंकवाद निरोधी सहयोग में ‘मोल’ बढ़ाने की रणनीति अपनाई है। वहीं, भारत के मामले में वीसा उल्लंघन, धोखाधड़ी और आप्रवासन नियम तोड़ने के मामले बढ़ने के चले स्टार्मर सरकार ने सख्त नीति अपनाई है।

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