मराठा आरक्षण आंदोलन- मुंबई पुलिस का जरांगे को नोटिस:आजाद मैदान खाली करने को कहा, 8 प्रदर्शनकारियों पर केस; आज अनशन का 5वां दिन

मुंबई पुलिस ने मंगलवार को मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे और उनके समर्थकों को नोटिस जारी करके आजाद मैदान खाली करने का कहा है। जरांगे यहां मराठा आरक्षण की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं।

पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, आंदोलनकारियों ने प्रदर्शन से पहले तय की गई शर्तों और बॉम्बे हाईकोर्ट के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया है। 7-8 लोगों पर केस भी दर्ज किया गया है। जरांगे का मुंबई के आजाद मैदान पर भूख हड़ताल पांचवां दिन है।

दरअसल, अनशन के चौथे दिन जरांगे के समर्थकों ने छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT) रेलवे स्टेशन कैंपस को खेल के मैदान में बदल दिया था। सड़क पर कबड्डी, खो-खो और कुश्ती खेलते नजर आए थे। कुछ प्रदर्शनकारी क्रिकेट भी खेले थे। इससे ट्रैफिक जाम हो गया था।

आम लोगों के साथ ही बॉम्बे हाईकोर्ट के जज भी ट्रैफिक में फंस गए थे। प्रदर्शनकारियों ने उनकी कार रोकी थी, जिसके चलते जज पैदल ही हाईकोर्ट पहुंचे थे। इसके बाद मराठा आरक्षण से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए उन्होंने प्रशासन को मंगलवार तक सड़कें खाली कराने को कहा था।

मनोज जरांगे 29 अगस्त से आजाद मैदान में भूख हड़ताल कर रहे हैं। वे अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) श्रेणी के तहत सरकारी नौकरियों और शिक्षा में मराठा समुदाय को 10% आरक्षण देने की मांग कर रहे हैं। सोमवार से उन्होंने पानी पीना भी बंद कर दिया है।

कोर्ट ने कहा- सरकार मंगलवार तक बताएं, क्या एक्शन लिया

कोर्ट ने सीएसटी, मरीन ड्राइव, फ्लोरा फाउंटेन और दक्षिण मुंबई के अन्य इलाकों से आंदोलनकारियों को हटाने का आदेश राज्य सरकार को दिया है। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार कल होने वाली सुनवाई में बताए कि क्या एक्शन लिया गया।

सरकारी वकील वीरेंद्र सराफ ने कोर्ट को बताया कि आजाद मैदान में विरोध प्रदर्शन की अनुमति केवल 29 अगस्त तक दी गई थी। जरांगे और उनके समर्थकों ने हर नियम का उल्लंघन किया है।

बेंच ने कहा कि जरांगे का पुलिस को दिया गया यह आश्वासन कि वह जनसभा, आंदोलन और विरोध प्रदर्शन के नियमों में निर्धारित सभी शर्तों का पालन करेंगे, यह केवल ‘दिखावटी’ है।

हैदराबाद गजेटियर पर सरकार की हामी

मराठा आरक्षण उप-समिति के अध्यक्ष और मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने बताया कि सरकार ने हमारी हैदराबाद गजेटियर लागू करने की मुख्य मांग को सैद्धांतिक रूप से स्वीकार कर लिया है।

हैदराबाद गजेटियर को लागू करने के लिए ग्राम स्तर पर समितियां बनाई जाएंगी। इस गजेटियर में प्रत्येक तालुका में कुनबी आबादी का डेटा है। इसके मुताबिक ग्राम-स्तरीय समितियां कुनबी अभिलेखों के आधार पर कुनबियों की पहचान करेंगी।

दर्ज मामले वापस लेने में भी तेजी आई

विखे पाटिल के मुताबिक, आंदोलन के समर्थकों पर दर्ज केस वापस लेने की तेजी आई है। जिन अपराधों में 5 लाख से कम की क्षति हुई है, उनके मामले वापस लिए जाएंगे। अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट शिवकुमार स्वामी ने बीड जिले के सभी उप-विभागीय मजिस्ट्रेट को 8 दिनों के अंदर इस मामले में रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।

सरकार ने राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों में दर्ज मामलों को वापस लेने के लिए उप-विभागीय अधिकारियों के नेतृत्व में समितियों का गठन किया है। ये समितियां सरकार के नियमों, शर्तों और प्रावधानों के अनुसार मामले वापस लेने की सिफारिश करेंगी।

मराठा आरक्षण से संबंधित दर्ज 400 मामले की जांच अभी भी पेंडिंग हैं। इन मामलों की 20 दिनों के भीतर जांच करके तुरंत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्णय लिया गया है।

मराठा समुदाय सामाजिक रूप से सबसे शक्तिशाली

जरांगे ने मांग की है कि मराठा समुदाय को केवल कुनबी मानकर ओबीसी आरक्षण दिया जाए, लेकिन सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि ऐसा आरक्षण नहीं दिया जा सकता। सरकार का कहना है कि यह मांग अदालत में भी नहीं टिकेगी। यह मामला पेचीदा है।

ओबीसी श्रेणी में मराठा समुदाय से कुछ ज्यादा पिछड़ी जातियां हैं। इसलिए आशंका है कि यदि मराठा समुदाय को सामान्य रूप से आरक्षण दिया जाता है तो इसका असर इन जातियों पर पड़ेगा। इसलिए सरकार इस संबंध में विचार कर रही है।

महाराष्ट्र में मराठा समुदाय सामाजिक रूप से सबसे शक्तिशाली है। वे जहां भी हैं, वहां सबसे बड़ा हिस्सा लेने की क्षमता रखते हैं। चाहे वह ओपन कोटा हो या 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस कोटा, वे इसका 6-7 प्रतिशत हिस्सा लेते हैं।

मतलब ये कि उनमें दूसरों की तुलना में एक बड़ा लाभार्थी होने की पर्याप्त क्षमता है। इसलिए आशंका है कि यदि मराठा जाति को ओबीसी श्रेणी में शामिल किया जाता है, तो कुनबी, तेली-तंबोली जैसी शेष जातियों का आरक्षण प्रभावित होगा।

2023 से लेकर अबतक 7वां अनशन

29 अगस्त 2023 को जालना के अपने अंतरवाली साठी गांव में मराठों के लिए आरक्षण की मांग को लेकर पहली बार अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की थी। तब से यह उनका 7वां विरोध प्रदर्शन है।

जरांगे ने 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पहले कई विरोध रैलियां और भूख हड़तालें की हैं। 20 फरवरी 2024 को एकनाथ शिंदे सरकार ने मराठों को 50% की सीमा से ऊपर 10% आरक्षण देने के लिए एक विधेयक पेश किया।

इस साल जनवरी में भी राज्य सरकार की ओर से भाजपा विधायक सुरेश धास के हस्तक्षेप के बाद, जारंगे ने छठे दिन अपनी भूख हड़ताल समाप्त कर दी थी।

हालांकि इससे पहले 5 मई 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण देते समय 50% आरक्षण का उल्लंघन करने का कोई वैध आधार नहीं होने पर कॉलेजों, उच्च शिक्षण संस्थानों और नौकरियों में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण को रद्द कर दिया था।

2024: 10% आरक्षण मंजूर, कुनबी प्रमाणपत्र का प्रावधान

27 जनवरी 2024 को जारी नोटिफिकेशन से फैसला लिया गया कि मराठा समुदाय के वे सदस्य जिनकी पहचान ‘सगेसोयरे’ (कुटुंबिक संबंध) के आधार पर कुनबी जात में हो, उन्हें कुनबी प्रमाणपत्र प्रदान किया जाएगा।

फरवरी 2024 में महाराष्ट्र सरकार ने शैक्षणिक और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय को 10% आरक्षण देने वाला कानून पारित किया। इस आरक्षण को लागू करने के लिए प्रारंभिक विधायी और प्रशासनिक प्रक्रियाएं पूरी की गईं।

26 फरवरी 2024 से यह आरक्षण कानून प्रभाव में आया, जिससे आरक्षण की प्रक्रिया शुरू हुई। 1 मार्च 2024 को इस आरक्षण के तहत लगभग 17 हजार पुलिस पदों की भर्ती में मराठा आरक्षण को शामिल किया गया।

आरक्षण की सटीकता तय करने के लिए 23 जनवरी 2024 को BMC ने मुंबई में 2.65 लाख घरों का सर्वेक्षण करवाया, जिससे यह स्थापित किया जा सके कि मराठा समुदाय वाकई सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़ा है।

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