सवाल: मेरी उम्र 29 साल है और मेरे पार्टनर की 32 साल। हम पिछले चार साल से रिलेशनशिप में हैं। हमारे परिवार को हमारे रिश्ते के बारे में पता है। पिछले एक साल से हमने शादी के बारे में सोचना शुरू किया और हमारे परिवार भी इस शादी से बहुत खुश थे।
सबकुछ बहुत अच्छा चल रहा था, लेकिन हमारे ऊपर मुसीबतों का ऐसा पहाड़ गिरा है कि समझ नहीं आ रहा कि क्या करूं। एक दिन ऑफिस में अचानक फेंट होने के बाद मेरे पार्टनर को हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया। उन्हें एक क्रॉनिक बीमारी का पता चला है। उन्हें मल्टीपल स्क्लेरोसिस (MS) है। डॉक्टर का कहना है कि अभी ये शुरुआत है, लेकिन उनकी कंडीशन वक्त के साथ और खराब होती जाएगी। इसमें इंसान पूरी तरह बेड रिडेन हो जाता है। स्थिति इतनी खराब हो सकती है कि एक कलम, चम्मच भी अपने हाथों से उठाना मुमकिन नहीं होता। इसके बाद उसे जीवन भर देखभाल की जरूरत होगी। मैं उससे बहुत प्यार करती हूं, लेकिन अपने फ्यूचर को लेकर डर लग रहा है। अब शादी के ख्याल से भी डर लग रहा है। लेकिन मन में एक गिल्ट भी है। यही बीमारी अगर मुझे हुई होती तो?
एक्सपर्ट: अदिति सक्सेना, काउंसलिंग साइकोलॉजिस्ट, भोपाल
जवाब: आपकी बात सुनकर लगता है कि आप एक बहुत ही मुश्किल दौर से गुजर रही हैं। आपके मन में जो उलझन है, प्यार, डर और परिवार का दबाव, वह बिल्कुल स्वाभाविक है। एक तरफ आप अपने पार्टनर से बहुत प्यार करती हैं और उनके साथ जिंदगी बिताना चाहती हैं और दूसरी तरफ भविष्य की जिम्मेदारियों का डर भी आपको परेशान कर रहा है। यह आसान फैसला नहीं है। आपके परिवार की चिंता भी समझ में आती है, लेकिन साथ ही यह गिल्ट भी वाजिब है कि आप अपने पार्टनर को अकेला नहीं छोड़ना चाहती हैं। आप खुद को अकेला महसूस न करें, आप अकेली नहीं हैं। कई लोग ऐसी स्थिति से गुजरते हैं। आपको बेहद स्पष्ट सोच और समझ के साथ इससे डील करना चाहिए। आइए एक-एक करके समझते हैं और देखते हैं कि आप क्या कर सकती हैं।
आप ऐसा क्यों महसूस कर रही हैं?जब किसी अपने को मल्टीपल स्क्लेरोसिस (MS) जैसी गंभीर बीमारी का पता चलता है, तो मन में कई सवाल उठते हैं। खासकर तब, जब आप उस शख्स के साथ शादी जैसे बड़े कदम की तैयारी में हैं। आप सोच रही होंगी कि क्या आप उनके लिए हर वक्त मौजूद रह पाएंगी? क्या आप ठीक तरह से उनकी देखभाल कर पाएंगी? यह सवाल भी हो सकता है कि कहीं यह निर्णय आपकी जिंदगी पर बोझ तो नहीं बन जाएगा? दूसरी ओर यह भी सोचती होंगी कि अगर आप उनके साथ आगे की जिंदगी न बिताने का फैसला लेंगी, तो यह कितना सही या गलत होगा? लोग इसके बारे में क्या कहेंगे? ये सारे सवाल और आपका डर बिल्कुल स्वाभाविक है। आप इस तरह सोचकर देखें-
अपने बारे में सोचना सेल्फिश होना नहीं है
सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि अपने बारे में सोचना स्वार्थी होना नहीं है। अगर आपको खुद यह बीमारी हुई होती, तो आप अपने पार्टनर से क्या कहतीं? क्या आप चाहतीं कि आपका पार्टनर अपनी पूरी जिंदगी आपकी देखभाल में लगा दे? क्या आप चाहतीं कि उनकी जिंदगी में कोई मैरिटल प्लेजर न हो, कोई सेक्स न हो, बच्चे न हों, और कोई साझा जिंदगी न हो? इस बात के 100% चांस हैं कि आप नहीं कहतीं। आप शायद अपने पार्टनर से कहतीं कि वे अपनी जिंदगी जिएं और खुश रहें। तो फिर जब स्थिति इसके उलट है, तो आपको भी अपने बारे में सोचने का पूरा हक है। यह स्वार्थ नहीं, बल्कि एक जिम्मेदार और समझदार इंसान की सोच है। भावनाओं के साथ तर्क का हमेशा ध्यान रखें-
पीढ़ियों से चली आ रही सोच और केयरगिविंग का बोझ
पीढ़ियों से यह धारणा चली आ रही है कि महिलाओं का काम है घर में सबकी केयर करना, पति की, बच्चों की, सास-ससुर की सबकी केयर करना। इसलिए आप शादी से पहले ही पूरी जिंदगी सिर्फ केयरगिविंग के बारे में सोच रही हैं। शायद इस जगह कोई पुरुष होता, तो वह इस बारे में इतना नहीं सोचता और उसके लिए फैसला लेना आसान होता। लेकिन सच यह है कि केयरगिविंग का बोझ बहुत भारी होता है और इसका सीधा असर केयरगिवर की सेहत पर भी पड़ता है।
प्रसिद्ध अमेरिकन डॉक्टर और लेखक गाबोर माते की किताब ‘व्हेन द बॉडी सेज नो’ में उन्होंने बताया है कि केयरगिवर किस तरह बीमार पड़ जाते हैं। लगातार दूसरों की देखभाल करने से केयरगिवर को अपनी सेहत पर ध्यान देने का समय नहीं मिलता और वे तनाव, थकान और डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। एक स्टडी के मुताबिक, केयरगिवरों को डिप्रेशन का खतरा आम लोगों से 6 गुना ज्यादा होता है। इसलिए यह सिर्फ आपके पार्टनर की सेहत का सवाल नहीं है, बल्कि आपकी अपनी सेहत का भी सवाल है।
जेन वाइल्ड की कहानी से समझें क्या होती है स्थिति
जेन वाइल्ड, जो प्रसिद्ध वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग की पहली पत्नी थीं। उन्होंने अपनी जिंदगी का बड़ा हिस्सा उनकी देखभाल में बिताया। स्टीफन हॉकिंग का 90% शरीर डिसेबल्ड था और उन्हें हर वक्त केयर की जरूरत थी। जेन ने उनकी देखभाल की, लेकिन इस प्रक्रिया में उनकी अपनी जिंदगी पर बहुत प्रभाव पड़ा। उन्होंने अपनी किताब में लिखा है कि यह कितना कठिन था, और कैसे उनकी अपनी पहचान और खुशियां खो गईं। यह उदाहरण दर्शाता है कि किसी की केयर में पूरी जिंदगी बिता देना कितना मुश्किल होता है और इससे खुद की जिंदगी खत्म हो सकती है।
शादी के अलावा भी मदद के तरीके हैं
यह समझना जरूरी है कि शादी किए बिना भी आप अपने पार्टनर की मदद कर सकती हैं। आप दोस्त के रूप में उनका साथ दे सकती हैं, उनकी देखभाल में सहयोग कर सकती हैं और खुद को फाइनेंशियली इतना मजबूत कर सकती हैं कि उन्हें अच्छा इलाज और केयर मिल सके। शादी का मतलब यह नहीं कि आप ही उनकी पूरी जिंदगी की जिम्मेदारी लें। आप अन्य तरीकों से अपनी जिंदगी को पूरी तरह त्यागे बिना भी उनकी मदद कर सकती हैं।
डॉक्टर से बात करके भविष्य के लिए तैयारी करें
हम यह बिल्कुल नहीं कह रहे हैं कि आप अपने पार्टनर को तुरंत छोड़कर अलग हो जाइए। बेहतर ये होगा कि पहले डॉक्टर से इस बारे में अच्छे से बात करें। उनसे समझें कि कितने समय में किस तरह से स्थितियां बिगड़ सकती हैं। उस हिसाब से भविष्य के लिए तैयारियां करें। अभी जब तक वह अपने आप सारे काम खुद कर पा रहा है, उसके साथ मिलकर उसके भविष्य के लिए और इलाज के लिए जरूरी इंतजाम करने में मदद करें।
शादी नहीं करना होगा बेहतर फैसला
अगर आपका पार्टनर आपसे सच्चा प्यार करता है और अगर वह मानसिक रूप से बीमार नहीं है तो वह भी यही कहेगा कि आप अपनी जिंदगी जिएं और खुश रहें। वह नहीं चाहेगा कि आप अपनी जिंदगी को इस तरह त्याग दें। इसलिए मेरी सलाह भी यही है कि ऐसी कंडीशन में आपको अपने पार्टनर से शादी नहीं करनी चाहिए। आप उससे शादी किए बिना भी उसकी मदद कर सकती हैं, चाहे दोस्त के रूप में या फिर उनके इलाज और देखभाल के लिए आर्थिक और भावनात्मक सपोर्ट देकर। यह फैसला न सिर्फ आपके लिए, बल्कि आपके पार्टनर के लिए भी बेहतर होगा।