कानपुर में कालिंदी एक्सप्रेस को सिलेंडर से उड़ाने की साजिश की जांच चल रही है। लेकिन 17 दिन बीत जाने के बाद यह जांच मोबाइल नंबरों पर अटक गई। जिस वक्त सिलेंडर ट्रैक पर रखा गया, उस एरिया में करीब 48 हजार मोबाइल नंबर एक्टिव थे।
जिनकी आखिरी लोकेशन दिल्ली, आगरा और अलीगढ़ में मिली। इनमें 5 हजार नंबर फेक ID पर लिए गए थे। ये नंबर किन लोगों के थे, वारदात के वक्त ये नंबर इस एरिया में कैसे मूव कर रहे थे। क्या इनमें से किसी नंबर का इस वारदात से कोई ताल्लुक है। अब जांच एजेंसियां इस पहलू पर जांच कर रही हैं।
ट्रैक पर बरामद हुआ था पेट्रोल बम, बारूद कानपुर में 8 सितंबर की रात अनवरगंज-कासगंज रूट पर कालिंदी एक्सप्रेस से सिलेंडर टकराया था। रेलवे ट्रैक से पेट्रोल बम और बारूद भी बरामद हुआ। पुलिस और एजेंसियां ट्रेन को सिलेंडर से उड़ाने की साजिश मानकर जांच कर रही हैं। कालिंदी एक्सप्रेस को उड़ाने की साजिश से जुड़ी जांच ATS, NIA और IB कर रही हैं।
DCP वेस्ट राजेश कुमार सिंह ने कहा- एक टीम को सर्विलांस जांच पर लगाया गया था। वारदात जहां हुई, उसके ठीक बगल से कानपुर अलीगढ़ हाईवे गुजरता है। जब टावर लोकेशन से एक्टिव मोबाइल नंबर देखे गए, तो वारदात से 1 घंटे पहले और 1 घंटे बाद तक मूवमेंट में करीब 48 हजार मोबाइल नंबर सामने आए। इसमें उन लोगों के नंबर भी शामिल हैं, जो ट्रेन में यात्रा कर रहे थे।
उन्होंने बताया- जब इन नंबरों को ट्रेस किया गया तो सभी 3 शहरों तक गए। दिल्ली, आगरा और अलीगढ़। इनमें वे लोग भी शामिल हैं, जिन्होंने ट्रैक पर सिलेंडर रखा था। जब इन नंबरों का एनालिसिस शुरू हुआ, तो करीब 5 हजार मोबाइल नंबर फेक ID पर मिले।
सॉफ्टवेयर से जांच नहीं हो सकती, अब मैनुअली देख रहे DCP वेस्ट राजेश कुमार सिंह ने कहा- वो मोबाइल नंबर जिन्हें फर्जी दस्तावेज पर जारी करा लिया जाता है। उनकी ट्रेसिंग मुश्किल हो जाती है। ऐसे नंबरों को सॉफ्टवेयर से एनालिसिस नहीं किया जा सकता। इसलिए इन नंबरों का मैनुअली एनालिसिस देखा जा रहा है। जो भी नंबर संदिग्ध लग रहे हैं, उन्हें होल्ड करने वालों से पूछताछ की जा रही है।
लोको पायलट का बयान- इमरजेंसी ब्रेक लगाते तो बड़ा हादसा होता कानपुर में 8 सितंबर की रात शिवराजपुर के पास कालिंदी एक्सप्रेस को सिलेंडर रखकर उड़ाने की साजिश रची गई। लेकिन ड्राइवर के ट्रेन धीमी कर रोकने से हादसा टल गया था। इस केस में मंगलवार को ट्रेन के लोको पायलट और असिस्टेंट लोको पायलट ने अपने बयान दर्ज करा दिए हैं। पढ़िए उनके बयान में क्या-कुछ सामने आया…
सीटी फाटक पार करने के बाद अचानक पटरी पर सिलेंडर दिखाई दिया। अगर इमरजेंसी ब्रेक लगा दिया जाता तो ट्रेन डिरेल होने और बड़ा हादसा होने का खतरा था। लिहाजा धीरे-धीरे ट्रेन रोकने के लिए ब्रेक लगाना शुरू किया। लेकिन ट्रेन रुक नहीं पाई और सिलेंडर को स्किड करती हुई आगे चली गई।
लोको पायलट ने 2 बार नोटिस देने के बाद भी बयान दर्ज कराने नहीं आने की वजह भी बताई। उन्होंने कहा कि मेरा शेड्यूल ट्रेन पर था। पहले रेलवे की रिपोर्ट आने का वेट किया जा रहा था। अब रिपोर्ट आ गई है, इसलिए वह बयान दर्ज करा रहे हैं।
270 लोगों से पूछताछ, 18 गांव की जांच इस केस का खुलासा करने के लिए ATS, NIA, IB और पुलिस समेत 5 जांच एजेंसियां काम कर रही हैं। इन सभी ने अब तक 270 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की। 18 गांव के एक-एक व्यक्ति का कच्चा-चिट्ठा खंगाला। जमातियों की भी जांच की लेकिन अभी तक हाथ खाली हैं। सिर्फ जांच चल रही है। सर्विलांस की मदद से मोबाइल नंबरों की जांच, 125 से ज्यादा CCTV फुटेज, लोगों से पूछताछ का सिलसिला जारी है। लेकिन एजेंसियों के हाथ कुछ भी ठोस नहीं लगा है, जिससे कि साजिश करने वालों तक पहुंचा जा सके।कानपुर में एक बार फिर ट्रेन को डिरेल करने की कोशिश की गई। अनवर-कासगंज रूट पर रविवार देर शाम कालिंदी एक्सप्रेस ट्रैक पर रखे सिलेंडर से टकरा गई। सिलेंडर फटा नहीं और ट्रेन से टकराकर ट्रैक के किनारे गिर गया। ट्रेन के लोको पायलट ने तुरंत सीनियर अफसर को सूचना दी। घटना के बाद RPF, GRP और रेलवे के सीनियर अफसरों ने जांच की। सोमवार को भी IB, STF, ATS और NIA ने मौके पर पहुंचकर जांच की।