अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कोरोना वायरस की उत्पत्ति की जांच का आदेश कई खुफिया जानकारियों के आधार पर दिया है। अमेरिकी प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक वायरस की उत्पत्ति को लेकर अभी कई ऐसी जानकारियां हैं, जिनके कंप्यूटर विश्लेषषण से रहस्य से पर्दा हट सकता है। अधिकारियों ने नए प्रमाण के बारे में कुछ भी बताने से इन्कार कर दिया। लेकिन उन्होंने नए साक्ष्यों को कंप्यूटर के जरिए विश्लेषषण किए जाने की बात कही है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि अमेरिका के पास कोरोना वायरस के चीन की लैब से लीक होने, चीन लोगों के बीच इसको लेकर हुई बातचीत, लैब के कर्मचारियों की गतिविधियों और वुहान शहर के आसपास वायरस के विस्फोट के पैटर्न को लेकर पर्याप्त डाटा है।
बाइडन यह भी चाहते हैं कि अमेरिका के मित्र देशों के पास अगर वायरस की उत्पत्ति से जुड़ी कोई जानकारी हो तो उसे मुहैया कराएं। वह यह साबित करने के लिए नई खुफिया जानकारी भी जुटाना चाहते हैं कि क्या चीन ने वुहान लैब में किसी हादसे को छिपाने की कोशिश की, जिससे यह वायरस लीक हुआ। हालांकि, खुफिया विभाग के मौजूदा और पूर्व अधिकारियों का मानना है कि वुहान लैब से दुर्घटनावश वायरस के लीक होने के प्रमाण मिलने की संभावना कम ही है, क्योंकि चीन ने शायद ही कोई साक्ष्य छोड़े हों।
विज्ञानियों ने वाइडन का समर्थन किया
कई प्रमुख विज्ञानियों ने कोरोना वायरस की उत्पत्ति की जांच का पता लगाने के लिए राष्ट्रपति वाइडन की ओर से जांच का आदेश दिए जाने का स्वागत किया है। इनके मुताबिक इस महामारी का चीन से संबंध होने से कोरोना वायरस की उत्पत्ति की बात को नकारा नहीं जा सकता। साइंस पत्रिका को लिखे पत्र में 18 विज्ञानियों ने कहा है कि कोरोना वायरस के वुहान लैब से लीक होने के पहलू को खारिज नहीं किया जा सकता। विज्ञानियों का कहना है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन समेत वायरस के मूल का पता लगाने के लिए अब तक जो भी जांच हुई है वह भरोसेमंद नहीं है।
ब्रिटिश एजेंसियों को भी चीनी लैब से वायरस के लीक होने का यकीन
ब्रिटेन की खुफिया एजेंसियों का भी मानना है कि कोरोना वायरस चीन की लैब से ही लीक हुआ है। मीडिया में यह रिपोर्ट आने के बाद ब्रिटेन में वैक्सीन वितरण का काम देख रहे मंत्री नादिम जहावी ने कोरोना वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ([डब्ल्यूएचओ)] को दोबारा जांच करनी चाहिए। सूत्रों के हवाले से संडे टाइम्स की खबर में कहा गया है कि ब्रिटिश समेत पश्चिमी खुफिया एजेंसियों को शुरू में लगता था कि कोरोना वायरस के लैब से लीक होने की संभावना बहुत कम है। लेकिन उसके बाद से सामने आए प्रमाणों से इसके लैब से लीक होने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। अखबार ने अमेरिकी राजनयिक सूत्रों के हवाले से कहा है कि अगर वायरस की उत्पत्ति का पता नहीं लगाया सका तो आगे फिर ऐसा हो सकता है।
वुहान लैब में सैन्य गतिविधियां भी होती थीं
अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने भी शनिवार को कहा कि चीन की वुहान लैब में नागरिक शोध कार्यो के साथ ही सैन्य गतिविधियां भी होती थीं। फाक्स न्यूज के मुताबिक पोंपियो ने कहा, ‘मैं निश्चित रूप से यह कह सकता हूं कि हम जानते हैं कि वे उस प्रयोगशाला के अंदर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी से जु़़डे प्रयासों में लगे हुए थे। इसलिए चीन का यह दावा कि वहां सिर्फ नागरिक शोध होते हैं, पूरी तरह सही नहीं है वहां सैन्य गतिविधियां भी होती थीं।’