पूरी दुनिया में अपने तानाशाही रवैये से पहचान बनाने वाले उत्तर कोरिया ने वर्ष 2005 के बाद से पहली बार यूएन के जरिए तख्ता पलट का शिकार हुए म्यांमार को 3 लाख डॉलर की मदद दी है। उत्तर कोरिया ने ये मदद मानवीय आधार पर संयुक्त राष्ट्र को मुहैया करवाई है। संयुक्त राष्ट्र के ऑफिस ऑफ ह्यूमेनिटेरियन अफेयर्स (ओसीएचए) फाइनेंशियल ट्रेकिंग सर्विस का कहना है कि उत्तर कोरिया ने ये मदद 24 मई को म्यांमार ह्यूमेनिटेरियन फंड में जमा करवाई है।
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र ने म्यांमार की मदद के लिए 276 मिलियन डॉलर की आर्थिक मदद का आह्वान किया था, जिसके बाद उत्तर कोरिया ने ये कदम उठाया है। उत्तर कोरिया ने इससे पहले डेढ़ लाख डॉलर की आर्थिक मदद इंडोनेशिया, भारत, थाईलैंड, मलेशिया, मालदीव, और श्रीलंका के लिए वर्ष 2005 में संयुक्त राष्ट्र को दी थी। उस वक्त ये सभी देश वर्ष 2004 में आई सुनामी की वजह से भयंकर रूप से पीडि़त थे।
बता दें कि म्यांमार में 1 फरवरी को सेना द्वारा किए गए तख्तापलट के बाद से अब तक सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं जबकि हजारों की तादाद में लोग बेघर हुए हैं। देश छोड़कर दूसरे देशों में शरण लेने वाले लोगों की भी संख्या हजारों में है। संयुक्त राष्ट्र कार्यकर्ताओं द्वारा कई बार म्यांमार में लोगों के भुखमरी का शिकार होने और मौतों का आंकड़ा बढ़ने की आशंका जताई जा चुकी है।
इन कार्यकर्ताओं की अपील है कि म्यांमार में जल्द से जल्द अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मदद की और कार्रवाई की दरकार है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो यहां पर हालात काफी खराब हो सकते हैं। म्यांमार में सेना द्वारा वहां की आंग सांग सू की के नेतृत्व वाली सरकार को हटाने के बाद से ही जनता और सेना आमने सामने है। सेना लगातार अपने खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों को बेदर्दी से कुचलने में लगी है। विरोध प्रदर्शनों के बीच पहले से आर्थिक मार झेलने वाले म्यांमार में कोरोना महामारी ने स्थिति और अधिक विकट कर दी है।
आपको यहां पर ये भी बताना जरूरी है कि उत्तर कोरिया के म्यांमार से काफी पुराने संबंध है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक उत्तर कोरिया इस दक्षिण पूर्वी देश को हथियारों की सप्लाई करता रहा है। यूएन के मुताबिक इन दोनों देशों के बीच मिसाइल में सहयोग को लेकर भी जांच की जा रही है। म्यांमार के लिए दक्षिण कोरिया ने भी मानवीय आधार पर संयुक्त राष्ट्र को 6 लाख डॉलर की मदद मुहैया करवाई है। हालांकि दक्षिण कोरिया ने म्यांमार को किसी तरह के रक्षात्मक सहयोग और हथियारों की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है।