भारत में मॉडर्ना वैक्सीन को क्षतिपूर्ति पर फिलहाल चर्चा जारी, अमेरिका से जल्द आने वाली है टीके की पहली खेप

देश में जल्द ही कोरोना की चौथी वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी। समाचार एजेंसी एएनआइ ने सूत्रों के हवाले से जानकारी दी है कि भारत में मॉडर्ना वैक्सीन(Moderna Vaccine) को क्षतिपूर्ति पर चर्चा अभी भी चल रही है। क्षतिपूर्ति का मामला सुलझने के बाद अमेरिकी सरकार द्वारा दान में दी गई मॉडर्ना की वैक्सीन के भारत आने का रास्ता साफ हो जाएगा।

भारत मॉडर्ना को कानूनी दायित्व के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने के लिए सहमत होने के के लिए चर्चा कर रहा है।ये अमेरिकी कंपनी की मॉडर्ना वैक्सीन की लगभग 70 लाख डोज के तत्काल आयात की अनुमति देगा। इस पर फैसला इसी सप्ताह में होने की संभावना है।

बता दें कि रिपोर्ट्स के मुताबिक, 15 जुलाई तक देश के कुछ अस्पतालों में मॉडर्ना वैक्सीन पहुंच सकती है। मॉडर्ना वैक्सीन को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) द्वारा पिछले महीने ही देश में आपातकालीन उपयोग के लिए हरी झंडी मिल चुकी है। मॉडर्ना की वैक्सीन आने के बाद भारत में उपयोग के लिए कोरोना की चार वैक्सीन उपलब्ध हो जाएंगी। इससे पहले देश में दो स्वदेशी कोरोना वैक्सीन- कोविशील्ड, कोवैक्सिन और रूस की स्पुतनिक-वी वैक्सीन को प्रयोग में लाया जा रहा है।

फाइजर, मॉडर्ना वैक्सीन ने कोरोना के खतरे को 91% कम किया

अमेरिका में किए गए एक अध्ययन के अनुसार जिन लोगों ने फाइजर और माडर्ना के कोरोना टीकों की डोज ली हैं उनमें यह बीमारी होने की संभावना 91 प्रतिशत तक कम होती है। अध्ययन के अनुसार ये टीके लोगों में लक्षणों की गंभीरता और संक्रमण अवधि को भी कम करते हैं। यह अध्ययन 30 जून को ‘न्यू इंग्लैंड जर्नल आफ मेडिसिन’ में प्रकाशित हुआ है।

माडर्ना ने एमआरएनए आधारित फ्लू के टीके का ट्रायल शुरू किया

माडर्ना ने बुधवार को एलान किया कि उसने मानव पर एमआरएनए आधारित फ्लू के टीके का ट्रायल शुरू किया है। कंपनी के सीईओ स्टीफन बैंसेल ने कहा कि एमआरएनए–1010 के पहले और दूसरे चरण के परीक्षण में प्रतिभागियों को डोज दे दी गई हैं। कंपनी ने मेसेंजर आरएनए यानी एमआरएनए आधारित कोरोना वायरस का टीका भी विकसित किया है।