आज आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि शाम को लग रही है, ऐसे में आज बुध प्रदोष व्रत है। बुध प्रदोष व्रत के दिन शुभ मुहूर्त में भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। प्रदोष व्रत में सायंकाल की पूजा का महत्व होता है। जो लोग इस व्रत को करते हैं, उनको आरोग्य, बुद्धि, विवेक, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। आज बुध प्रदोष व्रत के दिन पूजा के समय आपको शिवाष्टक का पाठ करना चाहिए। शिवाष्टक का पाठ करने से व्यक्ति पर भगवान शिव की कृपा होती है और भाग्यहीन भी सौभाग्यशाली हो जाता है।
शिवाष्टक का पाठ करने से पूर्व भगवान शिव का गाय के दूध और गंगाजल से अभिषेक करें। फिर उनको शहद, दही, सफेद चंदन, सफेद फूल, खीर, मौसमी फल, बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी पत्र, अक्षत्, धूप, दीप आदि अर्पित करें। विधिपूर्वक पूजन के बाद पूरे मनोयोग से शिवाष्टक का पाठ करें।
शिवाष्टक पाठ
प्रभुं प्राणनाथं विभुं विश्वनाथं जगन्नाथ नाथं सदानन्द भाजाम्।
भवद्भव्य भूतेश्वरं भूतनाथं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे।।
गले रुण्डमालं तनौ सर्पजालं महाकाल कालं गणेशादि पालम्।
जटाजूट गङ्गोत्तरङ्गै र्विशालं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे।।
मुदामाकरं मण्डनं मण्डयन्तं महा मण्डलं भस्म भूषाधरं तम्।
अनादिं ह्यपारं महा मोहमारं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे।।
वटाधो निवासं महाट्टाट्टहासं महापाप नाशं सदा सुप्रकाशम्।
गिरीशं गणेशं सुरेशं महेशं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे।।
गिरीन्द्रात्मजा सङ्गृहीतार्धदेहं गिरौ संस्थितं सर्वदापन्न गेहम्।
परब्रह्म ब्रह्मादिभिर्-वन्द्यमानं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे।।
कपालं त्रिशूलं कराभ्यां दधानं पदाम्भोज नम्राय कामं ददानम्।
शरच्चन्द्र गात्रं गणानन्दपात्रं त्रिनेत्रं पवित्रं धनेशस्य मित्रम्।
अपर्णा कलत्रं सदा सच्चरित्रं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे।।
हरं सर्पहारं चिता भूविहारं भवं वेदसारं सदा निर्विकारं।
श्मशाने वसन्तं मनोजं दहन्तं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे।।
स्वयं यः प्रभाते नरश्शूल पाणे पठेत् स्तोत्ररत्नं त्विहप्राप्यरत्नम्।
सुपुत्रं सुधान्यं सुमित्रं कलत्रं विचित्रैस्समाराध्य मोक्षं प्रयाति।।
बलीवर्धमानं सुराणां प्रधानं, शिवं शङ्करं शम्भु मीशानमीडे।।