Doctors Retirement: हरियाणा में डाक्टरों की सेवानिवृति की आयु को लेकर विवाद शुरू हो गया है। राज्य में 58 वर्ष के डाक्टरों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति का विरोध शुरू हो गया है। हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विस एसोसिएशन का आरोप है कि जब वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर केंद्र सहित विभिन्न राज्यों में डाक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष कर दी गई थी तो फिर से इसमें बदलाव क्यों किया जा रहा है।
हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विस एसोसिएशन ने उठाई आवाज, रविवार को बुलाई बैठक
स्वास्थ्य विभाग ने हाल ही में आदेश जारी किया है कि सरकारी अस्पतालों में तैनात डाक्टरों को 58 साल की उम्र में रिटायर कर दिया जाए। इसके बाद बेहतरीन सर्विस रिकार्ड वाले सेवानिवृत्त डाक्टरों को 65 साल का होने तक अनुबंध पर रखा जाएगा। इनसे अस्पतालों में बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में सेवाएं ली जाएंगी।
इन डाक्टरों को सीनियर कंसल्टेंट और कंसल्टेंट का पदनाम दिया जाएगा। हालांकि इसके लिए उन्हें आवेदन करना होगा। पहले से एक्सटेंशन पर चल रहे 116 डाक्टरों का अनुबंध भी 30 सितंबर को खत्म कर दिया जाएगा और उन्हें नई पालिसी के तहत 15 अक्टूबर तक आवेदन करना पड़ेगा।
हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विस एसोसिएशन के प्रधान जसबीर सिंह पंवार और महासचिव राजेश श्योकंद ने फैसले का विरोध करते हुए कहा कि पहले सभी डाक्टरों को 58 साल में रिटायरमेंट के बावजूद अगले चार साल के लिए एक्सटेंशन दी जाती थी। इस दौरान उन्हें पूरी तनख्वाह और भत्ते दिए जाते थे। नए नियमों के अनुसार सरकार अपनी मर्जी से डाक्टरों को अनुबंध पर रखेगी। वेतन भी फिक्स होगा। इस निर्णय से डाक्टरों का मनोबल टूटेगा और कोरोना से जंग भी प्रभावित होगी।
एसीपी तथा विशेषज्ञ चिकित्सकों का अलग कैडर बनाने के नीतिगत फैसले के बावजूद फाइल लटकी
परमार ने कहा कि डाक्टरों की एसीपी (एरियर करियर प्रमोशन) को चार, नौ, 13 और 20 साल करने तथा विशेषज्ञ चिकित्सकों का अलग कैडर बनाने का नीतिगत फैसला हो चुका है। इसके बावजूद सरकार आदेश जारी नहीं कर रही। इसके उलट डाक्टरों का मनोबल तोड़ने के लिए तुगलकी फरमान जारी किए जा रहे हैं। उन्हाेंने कहा कि मामले को लेकर रविवार को एसोसिएशन पदाधिकारियों की बैठक बुलाई है जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी।