हरियाणा के सिरसा जिले की ऐलनाबाद विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस को झटका लगा है। इसके साथ इनेलो को पिछले चुनाव की अपेक्षा कम वोटोंं से जीत मिली है, लेकिन उसके वोट प्रतिशत में वृद्धि पार्टी का उत्साह बढ़ाएगी। दूसरी ओर, किसान आंदोलन के असर की बात को खारिज करते हुए भाजपा और जजपा ने अपने वोट बैंक में पांच प्रतिशत की वृद्धि की है।
विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भाजपा-जजपा गठबंधन के वोट बैंक में बढ़ोतरी हुई है, वहीं कांग्रेस के वोट बैंक में 10 फीसद की गिरावट चौंकाने वाला संकेत है। अभय सिंह चौटाला ने अपनी जीत के साथ ही इनेलो के वोट बैंक में छह फीसद की बढ़ोतरी दर्ज कराकर पार्टी कार्यकर्ताओं को उत्साह बढ़ाने का पूरा प्रयास किया है।
कांग्रेस के वोट बैंक में दस फीसद तक हुई कमी पार्टी के रणनीतिकारों के लिए चिंता का कारण
ऐलनाबाद उपचुनाव के नतीजे प्रदेश में भविष्य की चुनावी तस्वीर की तरफ इशारा कर रहे हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में इनेलो उम्मीदवार के रूप में अभय सिंह चौटाला को 37.86 फीसद वोट मिले थे, लेकिन इस बार उन्हें 43.49 फीसद वोट मिले हैं। इनेलो के वोट बैंक में इस बढ़ोतरी के कई कारण माने जा रहे हैं। इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला की जेल से वापसी के बाद कार्यकर्ताओं को एकजुट करने की रणनीति का इसमें बड़ा योगदान है। इसके अलावा भाकियू नेता राकेश टिकैत का अभय सिंह चौटाला को खुला समर्थन, जाटों की अभय के हक में एकजुटता तथा कांग्रेस से नाराज चल रहे नामधारी सिखों की अभय के प्रति नरमी ने इनेलो के वोट बैंक में इजाफा किया है।
इनेलो के वोट बैंक में हुई छह फीसद की बढ़ोतरी, भाजपा-जजपा गठबंधन ने भी जुटाए अधिक वोट
भाजपा प्रत्यशी के रूप में 2019 के विधानसभा चुनाव में पवन बैनीवाल को 29.95 प्रतिशत वोट मिले थे। जब जननायक जनता पार्टी के ओपी सिहाग को 4.36 फीसद वोटों में संतोष करना पड़ा था। कुल मिलाकर यह 34.31 फीसद वोट बनते हैं। इस बार पवन बैनीवाल ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा है। भाजपा-जजपा व हलोपा गठबंधन के प्रत्याशी गोबिंद कांडा को उपचुनाव में 39.5 फीसद वोट मिले हैं, जिसका मतलब साफ है कि पिछली बार भाजपा व जजपा को मिले वोट बैंक को जोड़ लिया जाए, तब भी इसमें पांच फीसद की बढ़ोतरी है। इस बढ़ोतरी में आंदोलन विरोधियों की एकजुटता तथा गैर जाट मतों का गठबंधन खासकर भाजपा के प्रति लामबंद होना बड़ा कारण है।
कांग्रेस के उम्मीदवार भरत सिंह बैनीवाल को 2019 के चुनाव में 23.48 प्रतिशत वोट मिले थे। इस बार कांग्रेस ने भरत सिंह का टिकट काट दिया और भाजपा के टिकट पर दो बार चुनाव लड़ चुके पवन बैनीवाल को टिकट दिया। पवन बैनीवाल को सैलजा का उम्मीदवार माना जाता है। हुड्डा ने अपने समर्थकों पर छोड़ दिया था कि वह कांडा को वोट दें या अभय को जिताएं। हुड्डा समर्थकों ने अपने नेता का इशारा समझा और पवन बैनीवाल यानी कांग्रेस का वोट बैंक खिसकर 13.78 फीसद पर आ गया। अन्य उम्मीदवारों को 3.36 फीसद वोट मिले हैं।
निशाने पर जाकर लगा गठबंधन के कैप्टन का तीर
उपचुनाव में गठबंधन प्रत्याशी गोबिंद कांडा बेशक चुनाव हार गए हैं लेकिन भविष्य की राजनीति के लिहाज से भाजपा के लिए यह फायदेमंद साबित हो सकता है। विपरित परिस्थितियों के बावजूद चौटाला के गढ़ में भाजपा के वोट बढ़ना काफी अहम है। इन नतीजों से सीएम का ‘दिल्ली दरबार’ में कद बढ़ सकता है। अगर अभय चौटाला की जीत का मार्जन 20 हजार या इससे अधिक होता तो इससे किसान आंदोनल को और भी ‘हवा’ मिलती।
सिरसा में ‘कप्तान’ के नाम से मशहूर भाजपा-जेजेपी गठबंधन के सूत्रधार और दोनों पार्टियों में कार्डिनेशन देख रहे मीनू बैनीवाल ने तराकांवाली बेल्ट में अभय को काफी नुकसान पहुंचाया। मूल रूप से ऐलनाबाद हलके के तराकांवाली गांव के ही रहने वाले बैनीवाल ने कागदाना, जमाल, गुड़ियाखेड़ा, नाथूसरी चौपटा, रामपुरा ढिल्लों, हजीरां, जागीआलां, लुदेसर व ढुकड़ा आदि गांवों में गठबंधन प्रत्याशी को काफी फायदा पहुंचाया। ऐलनाबाद शहर से भाजपा को काफी फायदा मिला है।
ऐलनाबाद उपचुनाव में सियासी दलों को मिला वोट प्रतिशत
नोटा – 480 – 0.32
अन्य – 5105 – 3.36
ऐलनाबाद के 2019 के चुनाव में सियासी दलों को मिला वोट प्रतिशत
पार्टी – वोट मिले – वोट प्रतिशत
इनेलो – 57055- 37.86
पार्टी – वोट मिले – वोट प्रतिशत
इनेलो – 65,992 – 43.49
भाजपा-जजपा गठबंधन – 59,253 – 39.05
कांग्रेस – 20,904 – 13.78
भाजपा – 45133 – 29.95
कांग्रेस – 35383 – 23.48