जानिये- कैसे राकेश टिकैत के चंद आंसुओं से 360 डिग्री बदल गया था किसान आंदोलन

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait, National Spokesperson of Bharatiya Kisan Union) के आंसुओं ने 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च के दौरान दिल्ली में हुए उपद्रव के बाद कमजोर पड़े प्रदर्शन में जान फूंकी थी। उपद्रव के बाद प्रदर्शनकारियों ने घर वापसी शुरू कर दी। 28 जनवरी को यूपी गेट पर भारी पुलिस बल तैनात हुआ। चर्चा शुरू हो गईं कि पुलिस-प्रशासन किसी भी समय प्रदर्शनकारियों को यहां से हटा सकती है। इस बीच शाम करीब साढ़े सात बजे राकेश टिकैत ने यहां पंचायत की। उसमें उनकी आंखों से आंसू छलक आए। यहीं से प्रदर्शन ने यू-टर्न लिया। अपने नेता की आंखों में आंसू देखकर प्रदर्शनकारियों का गुस्सा भड़क गया। हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जाट बिरादरी भी उनके साथ खड़ी हो गई। लौट चुके तमाम प्रदर्शनकारियों ने वापसी शुरू कर दी।

प्रदर्शन से परेशान हो चुके लोगों को उतरना पड़ा था सड़क पर

दिल्ली की सीमाओं के आसपास रहने वाले लोग परेशान हैं। कई बार ये लोग सड़क पर भी उतर चुके हैं। इस प्रदर्शन के स्थिगित होने की सूचना से से इंदिरापुरम, वैशाली, खोड़ा और कौशांबी के लोगों में खुशी है। वैशाली के लोगों ने तो 28 जनवरी को विरोध मार्च निकाला था। 13 फरवरी को गाजियाबाद उत्थान समिति के बैनर तले कौशांबी में प्रदर्शन हुआ था। इंदिरापुरम के लोगों ने भी प्रदर्शन किया था।

न सरकार जीती और न किसान हारा: नरेश

भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौ. नरेश टिकैत ने कहा कि आंदोलन में किसी की भी हार-जीत नहीं हुई है। सरकार के नरम रुख के लिए यह अच्छी पहल है। राकेश टिकैत सिसौली कब आएंगे, इसका निर्णय शुक्रवार को होगा। किसान की अनदेखी हो रही थी इसलिए आंदोलन लंबा चला, लेकिन अब सब ठीक हो गया।