जागरुकता अभियान:झज्जर, बहादुरगढ़ और बेरी निकाय को प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड देगी 75 माइक्रोन पॉलीथिन के सैंपल

  • जिले के 15 बड़े डिस्ट्रीब्यूटर को दिखाए जाएंगे 75 माइक्रोन से ज्यादा के पॉलीथिन सैंपल, इन्हें ही मंगवाकर बेचना होगा

एक जुलाई से पॉलीथिन और डिस्पोजल प्रतिबंधित है। हालांकि, जिले में कई जगह चोरी छुपे पॉलीथिन उपयोग में लाई जा रही है तो कहीं पूरी तरीके से नियम को अपनाया जा रहा है। जिले के कई डिस्ट्रीब्यूटर के पास अभी 75 माइक्रोन से ज्यादा की पॉलीथिन प्लास्टिक के उत्पाद नहीं आए हैं।

ऐसे में कई डिस्ट्रीब्यूटर अभी गफलत में भी हैं कि जो स्टॉक उनके पास आ गया है या फैक्ट्री मालिक भेजने की बात कह रहे हैं वह आइटम प्रतिबंधित है या नहीं। इसी उधेड़बुन से डिस्ट्रीब्यूटर्स को बचाने के लिए अब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड झज्जर के तीनों निकायों झज्जर, बहादुरगढ़ और बेरी को 75 माइक्रोन वाले पॉलिथीन के सैंपल उपलब्ध कराएगा।

इन सैंपल को लेकर नगर परिषद और नगर पालिका की टीम डिस्ट्रीब्यूटर के पास पहुंचेगी और उन को जागरूक किया जाएगा कि अगर उत्पादक की ओर से इस तरीके की पॉलिथीन व प्लास्टिक के उत्पाद जिसमें सील और लोगो लगा होगा अगर वह बेचने के लिए आते हैं तभी उनके ऑर्डर बुक किए जाए। बताया गया कि बहादुरगढ़ में आठ बड़े डिस्ट्रीब्यूटर हैं।

झज्जर में 5 और बेरी में 2 डिस्ट्रीब्यूटर हैं, जिन्हें यह सैंपल दिखाए जाएंगे। फिलहाल, जिला प्रशासन का चालान पर फोकस है। इसलिए पहले सक्षम युवाओं को जिले के तीनों शहरी क्षेत्रों में दुकानदारों और व्यापारियों को जागरूक करने के लिए लगाया है। दुकानदारों से कहा जा रहा कि वे कागज और कपड़े के बैग इस्तेमाल करें। ग्राहकों को भी घर से कपड़े के बैग लाने के लिए प्रेरित करें।

पूरे जिले से निकलता है 120 टन कचरा
जिले के तीनों स्थानीय निकाय की बात करें तो झज्जर, बहादुरगढ़ और बेरी से 120 टन कचरा रोजाना निकलता है। इनमें से सूखे कचरे का 8% प्लास्टिक मटेरियल होता है जो फिर से उपयोग नहीं हो पाता। सबसे ज्यादा 85 टन कचरा बहादुरगढ़ से निकलता है, जिनमें 40 टन सूखा और 45 टन गीला होता है। झज्जर नगर परिषद क्षेत्र से 26 टन कचरा निकलता है, जिनमें 14 टन गिला व 12 टन सूखा कचरा होता है। इसी तरह बेरी नगर पालिका से रोजाना 9 टन कचरा निकलता है। इनमें 5 टन गिला और 4 टन सूखा कचरा होता है।

नांगलोई, बवाना व नरेला से आती है डिस्पोजल व पॉलिथीन

प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने बीते महीनों सर्वे किया था। इसमें पाया गया कि लीगली तौर पर पूरे झज्जर जिले में पॉलिथीन और डिस्पोजल क्रॉकरी बनाने वाले प्लांट नहीं है, जबकि यह समूचा मैटेरियल नागलोई, बवाना और नरेला के जरिए झज्जर जिले में आता है।

जिले में नहीं हो रहे पॉलिथीन के चालान, जागरूकता पर फोकस

जिले के दुकानदारों की गुजारिश पर जिला प्रशासन ने एक जुलाई के बाद से अवैध और प्रतिबंधित पॉलिथीन बेचने व उसका स्टॉक रखने के संबंध में चालान काटने शुरू नहीं किए हैं। इससे पहले प्रशासन ने चेतावनी दी थी कि एक जुलाई के बाद से पॉलिथीन और डिस्पोजल के चालान किए जाएंगे।

स्थानीय निकाय विभाग 25 हजार रुपए तक का चालान कर सकती है, जबकि इससे ज्यादा संचालन प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड करेगा। प्रशासन ने दुकानदारों की गुजारिश मानते हुए फिलहाल जिले में प्रतिबंधित पॉलिथीन और 75 माइक्रोन से ज्यादा की पॉलिथीन और अन्य डिस्पोजल उत्पाद के संबंध में जागरूकता अभियान ही सक्षम के युवा चला रहे हैं।

ब्रांडेड कंपनियों की पैकिंग को मान्यता, अन्य कंपनी पैकिंग की थिकनेस बढ़ाएंगी, खाद्य पदार्थ बेचने में बटर पेपर का होगा उपयोग

प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने ब्रांडेड कंपनियों की पैकिंग को मान्यता दे दी है। मसलन दूध ,पनीर और दही बेचने वाली ब्रांडेड कंपनियों की पॉलिथीन जब तो नहीं होंगी। इसी प्रकार जो खाद्य पदार्थ ब्रेड, रस, बिस्किट और नमकीन के रूप में 75 से कम माइक्रोन की पॉलिथीन में कंपनियां बेचती है।

अब इन कंपनियों ने अपनी पैकिंग की थिकनेस बढ़ाने के लिए समय मांगा है। सूचना यह भी है 40 साल पहले ब्रेड और बिस्किट जिस बटर पेपर पर मिलते थे। अब वही पेपर दिसंबर के बाद कई कंपनियां अपने खाद्य पदार्थ बेचने में उपयोग करने जा रही है।

डीसी की अगुवाई जिले में प्रतिबंधित पॉलिथीन और डिस्पोजल पर रोक लगा दी गई है अब डिस्ट्रीब्यूटर को पॉलिथीन और डिस्पोजल के सैंपल बताए जाएंगे, ताकि वे आगे दुकानदारों को यही उत्पाद बेचें।