भारतीय कांवड़ की विदेशों में चर्चा:164 साल पहले आयरलैंड के राइटर्स ने लिखी किताब, द वॉल स्ट्रीट जनरल ने छापी थी फोटो स्टोरी

सावन में होने वाली कांवड़ यात्रा की चर्चा विदेशों में भी सुर्खियां बनती है। कांवड़ यात्रा का पहला जिक्र आज से 164 साल पहले यानी 1858 में 2 आयरिश लेखकों ने अपनी किताब में किया था। उसके बाद The Wall Street Journal से लेकर The Guardian जैसे बड़े अखबारों और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने कांवड़ यात्रा की खबरें छापीं।

दुनिया में कब-कब हुई कांवड़ यात्रा की चर्चा? विदेशी अखबार इसको किस तरह कवर करते हैं? आइए एक-एक कर कांवड़ पर हुई बड़ी कवरेज से गुजरते हैं…

पहले दो किताबों की बात…

कांवड़ की पहली विदेशी चर्चा 1858 में हुई, 1864 में मोंटगोमरी ने स्कैच बनाया
साल 1858 में आयरिश लेखक रॉबर्ट मोंटगोमरी मार्टिन और एम्मा रॉबर्ट्स ने ‘द इंडियन एम्पायर इलस्ट्रेटेड’ नाम की एक किताब लिखी थी। उस किताब के दूसरे पन्ने में The Ganges, Entering The Plains Near Hurdwar चैप्टर में उन्होंने कांवड़ यात्रा का जिक्र किया।

इसमें उन्होंने कांवड़ के स्ट्रक्चर और यात्रा के बारे में बताया है। लिखा है, “भारत के लोग नदी से दो घड़ों में जल भरते हैं। उन घड़ों को अलग-अलग तरीके से सजाया जाता है। बांस की लकड़ी के सहारे उन घड़ों को अपने कंधे पर टांगते हैं। फिर कई सौ मील पैदल चल कर शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं। कई बार ठगों द्वारा रास्ते में ही उन्हें लूट लिया जाता है और उनकी हत्या कर दी जाती है।”

पहली चर्चा के 160 साल बाद स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की बुक में कांवड़ का जिक्र हुआ
साल 2017 में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस ने एक बुक “Uprising of the Fools: Pilgrimage as Moral Protest in Contemporary India” पब्लिश की थी। बुक विकास सिंह ने लिखी थी। किताब के नाम में कांवड़ियों के लिए आपत्तिजनक अंग्रेजी शब्द Fool का इस्तेमाल किया गया था। बाद में सफाई दी गई, “शिव पुराण में भगवान शिव के 1000 नाम हैं। उनमें से एक नाम भोला भी है। इसी भोला शब्द को पॉजिटिव तरीके से अंग्रेजी के Fool शब्द से रिप्लेस किया गया है।

इस किताब में भी कांवड़ यात्रा और उसके स्ट्रक्चर के बारे में बताया गया है। बुक के डिस्क्रिप्शन में लिखा है, “कांवड़ भारत का सबसे बड़ा धार्मिक तीर्थ है। लाखों लोग गंगा नदी से जल भरते हैं। सैकड़ों मील पैदल चलकर शिव मंदिरों में चढ़ाते हैं। यह यात्रा एक परीक्षा की तरह होती है। लोग, खासकर युवा इस यात्रा को अपनी मनोकामना पूरा करने और चिंताओं को दूर करने के लिए करते हैं।“

The Wall Street Journal ने 7 बेहतरीन फोटोज के साथ फोटो स्टोरी बनाई
साल 2012 में कांवड़ की बात करते हुए चर्चित अमेरिकी मीडिया संस्थान ने अपनी वेबसाइट में लिखा, “गंगा नदी की हर साल होने वाली तीर्थयात्रा कांवड़ यात्रा इस सप्ताह शुरू हुई। तस्वीरों में देखिए।” खबर में उन्होंने कांवड़ यात्रा की 7 चुनिंदा तस्वीरें लगाईं और हर एक तस्वीर के साथ कांवड़ यात्रा को समझाने वाले कैप्शन लिखे।

USA Today ने मंत्रों और आरती के साथ समझाया कांवड़ यात्रा का महत्व
इसी साल कांवड़ यात्रा को कवर करते हुए USA टुडे जर्नल ने लिखा, “14 जुलाई 2022 को सावन का शुभ महीना शुरू हो गया है। दुनिया भर में भक्त इस पवित्र महीने के दौरान भगवान शिव की पूजा करते हैं। भारत में भक्त इसके लिए कांवड़ यात्रा निकालते हैं।

The Daily Guardian अखबार देता है कांवड़ पर हर बड़ी अपडेट
13 जुलाई, 2022 को The Daily Guardian ने कांवड़ यात्रा को लेकर दिल्ली पुलिस की तैयारियों को कवर किया। अखबार ने अपनी खबर में जानकारी देते हुए लिखा, “सावन के इस पवित्र महीने में होने वाली कांवड़ यात्रा को लेकर दिल्ली पुलिस काफी सतर्क है। कांवड़ यात्रियों और वाहनों की सुचारु आवाजाही के लिए ट्रैफिक पुलिस के 2000 जवानों को तैनात किया जाएगा।

कांवड़ तीर्थयात्रियों की सुविधा और ठहरने के लिए 338 कांवड़िया शिविर स्वीकृत किए गए हैं। कैंप्स में सुरक्षा के लिए CCTV भी इंस्टॉल किए जाएंगे।”

The Daily Guardian ने 15 जुलाई, 2022 को भी कांवड़ यात्रा को कवर किया। खबर में लिखा, “हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव के भक्तों के लिए यह महीना बहुत अहम है। शिव को ब्रह्मांड का निर्माता, रक्षक और संहारक माना जाता है। इस साल सावन 14 जुलाई से शुरू होकर 12 अगस्त को खत्म होगा। चार सोमवार 18 जुलाई, 25 जुलाई, 1 और 8 अगस्त को होंगे।

कांवड़िए उत्तराखंड में हरिद्वार, गौमुख और गंगोत्री और बिहार के सुल्तानगंज जैसी जगहों पर गंगा नदी का जल लाने जाते हैं। फिर उसी जल से शिव की पूजा करते हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, सावन के महीने में 5 करोड़ से अधिक तीर्थयात्री आएंगे। हमने इसके लिए तैयारी भी कर ली है।”