गंगा में लाशों पर यूपी सरकार ने नहीं दी रिपोर्ट:NGT ने 3 महीने पहले मांगा था जवाब; कोरोना काल में मिले थे 2 हजार शव

गंगा में लाशें बहाने के मामले में यूपी सरकार ने NGT यानी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को 3 महीने बाद भी जवाब नहीं दिया है। ट्रिब्यूनल कोर्ट ने कोविड काल (2018 से 2022 तक) के इस मामले में मई महीने में सरकार से रिपोर्ट मांगी थी।

NGT ने यूपी सरकार से पूछा था कि गंगा नदी में कितने मानव शव उतराते देखे गए? कितने नदी किनारे दफनाए गए? ट्रिब्यूनल कोर्ट ने 2018-2019 में कोविड की शुरुआत से पहले और 2020-2021 में महामारी शुरू होने के बाद से 31 मार्च तक की जानकारी मांगी थी।

गंगा किनारे के 27 जिलों में 1140 किलोमीटर की लंबाई में 2 हजार से ज्यादा शव गंगा में उतराते मिले थे। ग्राउंड रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि उतराते शवों की संख्या कानपुर, बलिया, उन्नाव और गाजीपुर में सबसे ज्यादा थी। इसके बाद पूरे देश में गंगा में लाशें मिलने का मुद्दा गरमाया था।

शासन ने निकाय निदेशक से मांगी रिपोर्ट
NGT ने रिपोर्ट न मिलने को लेकर नाराजगी जताई थी। इसके बाद शासन में संयुक्त सचिव कल्याण बनर्जी ने निकाय निदेशक नेहा शर्मा से रिपोर्ट तलब की थी। नेहा शर्मा ने सभी नगर आयुक्तों को तत्काल रिपोर्ट सबमिट करने के लिए कहा था। वहीं प्रदेश में 15 नगर निगम ऐसे हैं, जिन्होंने कई बार निर्देशों के बाद भी रिपोर्ट नहीं दी। इन्हें डिफाल्टर श्रेणी में रखा गया है।

गृह और हेल्थ डिपार्टमेंट से मांगी जानकारी
जस्टिस अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. अफरोज अहमद की बेंच ने यूपी सरकार के गृह और हेल्थ डिपार्टमेंट से इस विषय पर फैक्चुअल वैरिफिकेशन रिपोर्ट जमा करने को कहा था। ट्रिब्यूनल ने यह जानने की कोशिश की थी कि क्या कोई आपराधिक मामला दर्ज किया गया था? NGT ने यह भी पूछा था कि क्या पर्यावरण नियमों का कोई उल्लंघन हुआ? अगर हां, तो किए गए एहतियाती उपायों का विवरण प्रस्तुत किया जा सकता है।

डिफाल्टर श्रेणी में आए ये 15 नगर निगम
आगरा, अलीगढ़, अयोध्या, बरेली, फिरोजाबाद, गोरखपुर, झांसी, कानपुर नगर, लखनऊ, मथुरा, मेरठ, मुरादाबाद, प्रयागराज, सहारनपुर, वाराणसी डिफाल्टर श्रेणी में हैं।

इस प्रकार के शवों की मांगी रिपोर्ट

  • नदी में उतराते हुए पाए गए शव।
  • नदी के किनारे दफनाए गए शव।
  • नदी किनारे जलाए गए शवों की संख्या।
  • दफनाए गए शव, जिनमें आर्थिक मदद दी गई।