कांग्रेस अध्यक्ष के लिए खड़गे और थरूर में सीधा मुकाबला:मल्लिकार्जुन रेस में आगे, पर चुनाव जीतने में शशि का रिकॉर्ड बेहतर

कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए सोमवार को 24 साल बाद वोटिंग हो रही है। इस चुनाव में सीनियर लीडर मल्लिकार्जुन खड़गे फ्रंट रनर माने जा रहे हैं। उनका मुकाबला 2008 में कांग्रेस में शामिल हुए शशि थरूर से है। नामांकन के प्रस्तावक और चुनाव प्रचार में शामिल हुए नेताओं की संख्या पर नजर डालें, तो उसमें थरूर कमजोर नजर आ रहे हैं, लेकिन उनका दावा है कि इस बार गेम पलटेगा। थरूर इस बार परिवर्तन की बात कहते हैं।

शशि थरूर कांग्रेस डेलिगेट्स से अंतरआत्मा की आवाज पर वोट डालने के लिए कह रहे हैं और चुनाव में जीत के अपने पुराने रिकॉर्ड्स को याद कर रहे हैं। आखिर किन रिकॉर्ड्स के जरिए थरूर को कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में उलटफेर का भरोसा है, इसे विस्तार से जानने से पहले कांग्रेस में थरूर के पॉलिटिकल करियर पर नजर डाल लेते हैं। शशि थरूर महज 14 साल पहले कांग्रेस में शामिल हुए थे। तब से लेकर अब तक वे तीन बार सांसद रहे हैं। वहीं, दो बार केंद्रीय राज्यमंत्री बनाए जा चुके हैं।

इसे देखें, तो कांग्रेस में निजी तौर पर शशि थरूर के पॉलिटिकल करियर का ग्राफ नीचे जाता दिखाई नहीं दिया है। अब जान लेते हैं कि चुनावी राजनीति से थरूर का कितना वास्ता रहा है…

देश-विदेश में कुल पांच चुनाव लड़े, केवल एक हारे
कॉलेज से लेकर अब तक के पॉलिटिकल करियर में शशि थरूर कुल पांच चुनाव लड़ चुके हैं। इनमें स्टूडेंट्स यूनियन से लेकर UN महासचिव का चुनाव शामिल है। इन पांचों का ब्योरा और शशि थरूर की हारजीत का लेखाजोखा इस तरह है…

1. ­­1973 – स्टीफन कॉलेज छात्र संघ का चुनाव: थरूर ने ग्रेजुएशन की पढ़ाई दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से की है। 1973 में कॉलेज के छात्र संघ चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की थी। उस वक्त थरूर की उम्र केवल 17 साल थी। चुनाव जीतने के बाद थरूर का सबसे पहला फैसला था- सेंट स्टीफन के संविधान में संशोधन। इसके तहत स्टूडेंट्स सोसाइटी का नाम बदलकर स्टूडेंट्स यूनियन कर दिया गया था।

2. 2006 – UN महासचिव का चुनाव: 2006 में कोफी अन्नान के रिटायर होने के बाद संयुक्त राष्ट्र महासचिव पद के लिए चुनाव हुआ। भारत सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद बान की मून के मुकाबले थरूर इस चुनाव में उतरे। UN के संविधान के मुताबिक सुरक्षा परिषद के 15 सदस्य इसमें वोट डालते है।

अमेरिका के वीटो की वजह से इस चुनाव में थरूर की हार हुई और बान की मून UN के महासचिव बने। इसके दो साल बाद थरूर भारत लौटे और कांग्रेस में शामिल हुए। भारत लौटने के बाद थरूर ने लगातार तीन लोकसभा का चुनाव में जीत हासिल की।

3. लोकसभा चुनाव 2009: कांग्रेस में शामिल होने के बाद थरूर 2009 में केरल के तिरुअनंतपुरम से पहली बार चुनावी मैदान में उतरे। उनका मुकाबला CPI के एडवोकेट पी रामचंद्रन नायर से था। इस चुनाव में शशि थरुर को 3 लाख 26 हजार वोट, तो नायर को 2 लाख 26 हजार वोट मिले। इस तरह थरूर ने करीब एक लाख वोट से जीत हासिल की, जिसके बाद उन्हें मनमोहन सरकार में मंत्री बनाया गया।

4. लोकसभा चुनाव 2014: सत्ता विरोधी लहर के बावजूद थरूर तिरुअनंतपुरम से चुनाव जीतने में सफल रहे। उन्होंने भाजपा के ओ राजगोपाल को 15 हजार से ज्यादा वोटों से हराया। थरूर को इस चुनाव में करीब 3 लाख वोट मिले थे।

5. लोकसभा चुनाव 2019: थरूर तिरुअनंतपुरम सीट से लगातार तीसरी बार चुनाव जीते। उनका मुकाबला भाजपा के कुमनम राजशेखरन से था। थरूर को इस चुनाव में पहले के मुकाबले ज्यादा वोट मिले। उन्हें कुल 4 लाख 16 हजार 131 वोट मिले, जबकि राजशेखरन को 3 लाख 16 हजार 142 वोट मिले थे। इस बार उन्होंने करीब एक लाख वोट से जीत हासिल की थी।

22 साल में PhD की डिग्री, फिर UN में नौकरी
लंदन में जन्मे शशि थरूर ने अपनी शुरुआती पढ़ाई मुंबई के कैंपेन स्कूल से की। उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद अमेरिका के फ्लेचर स्कूल ऑफ लॉ एंड डिप्लोमेसी से MA और फिर PhD की डिग्री हासिल की। थरूर ने महज 22 साल की उम्र में अपनी PhD की डिग्री कंप्लीट कर ली थी। वे फ्लेचर स्कूल के इतिहास में सबसे कम उम्र में PhD करने वाले छात्र हैं।

PhD के बाद उन्होंने UNHRC में बतौर स्टाफ मेंबर नौकरी जॉइन की। इसके बाद वे करीब 30 साल तक UN में विभिन्न पदों पर काम काम करते रहे। वे अब तक एक दर्जन से ज्यादा किताबें लिख चुके हैं।

अपनी जिंदगी में सुपर स्ट्राइकर रहे हैं थरूर
शशि थरूर अपनी पूरी जिंदगी में बोल्ड स्टेप्स उठाने से नहीं डरे। खास बात यह है कि पार्टी से लेकर देश-दुनिया के मसलों पर वे लगातार अपनी बेबाक राय रखते रहे। यहां ऐसे तीन वाकये पढ़िए, जब थरूर ने अपने बयानों से नई बहस को जन्म दिया…

  • 2012 में गुजरात के तत्कालीन CM नरेंद्र मोदी ने थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर को 50 करोड़ की गर्लफ्रेंड बताया। थरूर ने पलटवार करते हुए कहा- मोदी कभी प्रेम करते तो उन्हें इसकी कीमत पता चलती। थरूर ने कहा था- कोई वर्चुअल करेंसी (50 करोड़ रुपए) प्रेम की कीमत नहीं हो सकती है।
  • 2017 में एक ब्रिटिश चैनल को दिए इंटरव्यू में थरूर ने कहा- जब बात ब्रिटिश साम्राज्यवाद की छिड़ती है, तो ब्रिटेन को भूलने की बीमारी हो जाती है। वह भूल जाता है कि आखिर ब्रिटिश साम्राज्य खड़ा कैसे हुआ? ब्रिटेन के स्कूलों में उपनिवेशवाद से जुड़ा इतिहास नहीं पढ़ाया जाता है। यहां के बच्चों को अंदाजा ही नहीं है कि ब्रिटेन ने विश्व के अन्य इलाकों में किस तरह के अत्याचार किए हैं।
  • 2020 में कांग्रेस के बागी गुट की मीटिंग पहली बार शशि थरूर के घर पर ही हुई थी। यहीं से सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी गई थी। उस वक्त सोनिया बीमार थीं और दिल्ली के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। इस पर पार्टी के भीतर खूब हंगामा हुआ था।
  • चलते-चलते शशि थरूर से जुड़े विवादों में बारे में भी जान लीजिए…
    डिप्लोमेट से पॉलिटिशियन बने थरूर के साथ कई विवाद जुड़े। हालांकि, थरूर ने उतनी ही मजबूती से इन तमाम विवादों से खुद का बचाव किया। थरूर से जुड़े कुछ बड़े विवाद इस तरह हैं…

    • क्रिकेट टीम को फायदा पहुंचाने के आरोप में मंत्री पद गया: थरूर के साथ सबसे पहला विवाद उनके मंत्री रहते जुड़ा। 2010 में IPL में 2 नई टीम बनीं, जिसमें एक कोच्चि थी। इस टीम को गलत तरीके से फायदा पहुंचाने का आरोप लगा और थरूर का नाम इससे जुड़ा। इसी विवाद में पहली बार सुनंदा पुष्कर का नाम आया, जो थरूर की महिला मित्र और कोच्चि टीम में शेयरहोल्डर्स थी। विवाद के बाद थरूर को इस्तीफा देना पड़ा। मंत्री पद जाने के बाद थरूर ने सुनंदा से शादी कर ली।
    • मिडिल क्लास को कैटल क्लास कहा, फिर माफी मांगी: मंत्री रहते थरूर ने एक विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा- मिडिल क्लास कैटल क्लास है। उनके इस बयान पर कांग्रेस के भीतर ही घमासान मच गया। हालांकि, हाईकमान की नाराजगी के बाद थरूर ने माफी मांगी।
    • होटल में रुकने पर कहा था- सरकारी बंगले में प्राइवेसी नहीं: मंत्री रहने के दौरान थरूर सरकारी बंगले की बजाय दिल्ली के 5 स्टार होटल में रुकते थे। पत्रकारों ने जब सवाल किया तो उन्होंने कहा- वहां प्राइवेसी नहीं होती है, इसलिए मैं होटल में रुकता हूं।
    • सुनंदा की आत्महत्या के मामले में का नाम आया: जनवरी 2014 में दिल्ली की एक होटल में सुनंदा पुष्कर ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। इस केस में शशि थरूर का नाम भी जुड़ा। दिल्ली पुलिस ने कई बार उनसे पूछताछ भी की। हालांकि 2021 में वे कोर्ट से आरोप मुक्त करार दिए गए।