सूर्या के रिश्तेदार देते थे ताने:मां का आशीर्वाद लेकर खेलते हैं मैच…बांह पर उनका टैटू

क्रिकेट का नया मिस्टर 360 डिग्री, किसी और ही प्लेनेट से आया है, इसके लिए कुछ भी इम्पॉसिबल नहीं। ये वो जुमले तब सुनाई देते हैं, जब सूर्यकुमार यादव क्रीज पर बल्लेबाजी कर रहे होते हैं।

200 का स्ट्राइक रेट सूर्या की आक्रामकता बताता है और चारों दिशाओं में खेले गए उनके शॉट्स लोगों को हैरान कर देते हैं।

ऑस्ट्रेलिया में चल रहे टी-20 वर्ल्ड कप में सूर्या ने 5 मैच में 75 के एवरेज से 225 रन बनाए हैं। 3 फिफ्टी लगा चुके हैं।

वर्ल्ड क्रिकेट में चमक रहे सूर्या के लिए माता-पिता, उनके भगवान हैं। भास्कर ने सूर्या के पिता अशोक कुमार यादव से बातचीत की तो चौंकाने वाली बात पता लगी। दुनिया के नंबर-1 टी-20 बल्लेबाज को कभी रिश्तेदार ताना मारते थे। मां-बाप से कहते थे- क्रिकेट में डालकर जिंदगी बर्बाद कर रहे हो।

IPL 2020, जब सब कहते थे सूर्या तो टीम में आएगा

साल 2020 और टूर्नामेंट IPL… टूर्नामेंट दुबई में चल रहा था। सूर्यकुमार बेहतरीन फॉर्म में थे। ताबड़तोड़ बल्लेबाजी और चौतरफा लगाए गए शॉट्स की हर जगह तारीफ हो रही थी। बातें शुरू हो गई थीं कि अब तो सूर्या टीम इंडिया में चुन लिए जाएंगे। फिर कुछ ऐसा हुआ, जिसने सूर्या का गुस्सा भड़का दिया।

आगे की कहानी पिता अशोक की जुबानी…

अशोक बताते हैं, “आज भले सूर्या टी-20 में वर्ल्ड नंबर-1 बैटर हैं, लेकिन 2 साल पहले वो निराश था। ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए टीम चुनी जा रही थी। उम्मीद थी सूर्या जगह बना लेगा। टीम अनाउंस हुई और सूर्या का नाम उसमें नहीं था। इसके बाद सूर्या निराश हो गया और फिर गुस्से में आ गया।

टीम अनाउंसमेंट के अगले दिन IPL में सूर्या की मुंबई इंडियंस का मुकाबला विराट कोहली की रॉयल चैलेंजर्स से था। 165 का टारगेट चेज कर रही मुंबई के विकेट लगातार गिर रहे थे और क्रीज पर सूर्या अकेले डटे थे। 184 के स्ट्राइक रेट से 43 बॉल पर 79 रन की पारी खेली। 10 चौके और 3 छक्के लगाए और मुंबई को जिता दिया।”

माता-पिता भगवान, टैटू बनवाया…हर मैच से पहले आशीर्वाद लेते हैं

अशोक ने कहा, “सूर्या के कदम बिल्कुल जमीन पर हैं। वो फैमिली वैल्यूज को बहुत मानते हैं। बचपन से ही सबसे ज्यादा लगाव मां से रहा। आज भी वो मैच के लिए मैदान पर जाने से पहले टीम बस में मौजूद रहते हैं और वहीं से मां को फोन करते हैं, उनसे आशीर्वाद लेते हैं। मैच के बाद भी घर लौटते वक्त फिर मां को फोन करते हैं और अपनी इनिंग के बारे में बताते हैं।”

रिश्तेदार कहते थे, क्रिकेट में क्या रखा है.. तब कोच ने समझाया

पिता ने बताया, “मैं मुंबई के भाभा रिसर्च सेंटर में इंजीनियर हूं। सोसायटी में ज्यादातर साइंटिस्ट और इंजीनियर हैं। बच्चों का पहला फोकस स्टडी है। सूर्या एवरेज स्टूडेंट था, क्योंकि फोकस खेल पर ज्यादा रहा। पहले बैडमिंटन खेलता था, फिर क्रिकेटर बन गया। सोसायटी के लोग मुझे और सूर्या की मां को ताना देते थे। कहते थे- खेल में क्या रखा है। इसमें कोई करियर नहीं है।

हम बनारस के रहने वाले हैं। वहां के रिश्तेदार कहते थे कि खेल में इसकी जिंदगी क्यों बर्बाद कर रहे हो। एक दिन सूर्या के कोच ने मुझसे कहा कि आपका बेटा बहुत टैलेंटेड है। यह जरूर कुछ कर दिखाएगा। इसके बाद मैंने बेटे को कभी नहीं रोका। जानता था कि कम से कम रणजी ट्रॉफी तो खेल ही लेगा, और अगर ऐसा हुआ तो नौकरी तो मिल ही जाएगी।”