यूके की 100 कंपनियों में 4 डे वर्किंग:कंपनियों ने बिना सैलरी कम किए इसे लागू किया, कहा- इससे प्रोडक्टिविटी बढ़ेगी

यूनाइटेड किंगडम में 100 कंपनियों ने बिना सैलरी कम किए सभी एम्प्लॉइज के लिए स्थायी 4 डे वर्किंग शुरू की हैं। इन 100 कंपनियों में कुल मिलाकर लगभग 2,600 कर्मचारी हैं। कंपनियों को उम्मीद है वे इस कदम से देश में बड़ा बदलाव लाएंगे।

4 डे वर्किंग के सपोर्टर्स ने कहा कि इससे फर्मों की प्रोडक्टिविटी में सुधार होगा और कम घंटों में ही समान काम कर पाएंगे। इस पॉलिसी को पहले अपनाने वाली फर्म्स ने इसे कर्मचारियों को आकर्षित करने और बनाए रखने के लिए काफी उपयोगा पाया है।

यूके की दो बड़ी कंपनी शामिल
100 कंपनियों में से, यूके की दो सबसे बड़ी फर्मों एटम बैंक और ग्लोबल मार्केटिंग कंपनी एविन हैं, जिन्होंने 4 डे वर्किंग को अपनाया है। इनमें से प्रत्येक के यूके में लगभग 450 कर्मचारी हैं। द गार्जियन से बात करते हुए, एविन के चीफ एक्जीक्यूटिव एडम रॉस ने इसे इतिसाह के कुछ ट्रांसफॉर्मेटिव इनिशिएटिव में से एक बताया।

माइक्रोसॉफ्ट ने भी 2019 में शुरू की थी 4 डे वर्किंग
इससे पहले माइक्रोसॉफ्ट ने भी 2019 में अपने जापान ऑफिस में प्रयोग के तौर पर हफ्ते में चार दिन काम और तीन दिन छुट्टी देनी शुरू की थी। कंपनी ने कहा था कि इससे प्रोडक्टिविटी बढ़ी और कर्मचारियों के छुट्टी लेने में भी 25% की गिरावट आई है। बिजली के इस्तेमाल में भी 23% की कमी आई और 92% कर्मचारियों ने कहा था कि उन्हें हफ्ते में चार दिन काम करके बहुत मजा आया। वहीं फ्रांस की कुछ कंपनियों ने भी इस मॉडल को अपनाया था। न्यूजीलैंड की कंपनी परपेचुअल गार्डियन भी हफ्ते में चार दिन काम का प्रयोग किया था।

6 महीने पहले यूके में शुरू हुआ था पायलट प्रोजेक्ट
करीब 6 महीने पहले ब्रिटेन में फोर डे वर्किंग का ट्रायल भी शुरू किया गया था। काम करने के तरीके में बदलाव को लेकर ये दुनिया का सबसे बड़ा पायलट प्रोजेक्ट था। इस प्रोजेक्ट में लगभग 70 कंपनियां शामिल हुई थी। ट्रायल के दौरान, एम्प्लॉइज ने भले ही 4 दिन काम किया, लेकिन उन्हें सैलरी पूरी दी गई। इस ट्रायल का मकसद एम्प्लॉइज को ज्यादा प्रोडक्टिव बनाना था।

इस एक्सपेरिमेंट को ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के स्कॉलर के साथ ही अमेरिका में बोस्टन कॉलेज के एक्सपर्ट थिंक टैंक ऑटोनॉमी के साथ पार्टनरशिप में मैनेज किया। सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट कंपनीज से लेकर लोकल शॉप इसमें शामिल हुई। इस प्रोजेक्ट के चीफ रिसर्चर और बोस्टन कॉलेज में इकोनॉमिस्ट और सोशियोलॉजिस्ट जूलियट शोर ने इस ट्रायल को ऐतिहासिक बताया था।

पुराने तरीकों पर चिपके रहने का कोई मतलब नहीं
जूलियट ने कहा था, 5-डे वीक के साथ समस्या यह है कि उपलब्ध समय के हिसाब से काम को एक्सपेंड किया जा सकता है। सदियों पुराने इस ​​टाइम-बेस्ड सिस्टम से चिपके रहने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंन कहा था, आप कई वर्कप्लेसेज में 80% टाइम में 100% प्रोडक्टिव हो सकते हैं, और दुनिया भर में इसे अपनाने वाली कंपनियों ने यह दिखाया है। हालांकि रिसर्चर ने ये भी माना था कि यह आइडिया हेल्थ केयर जैसे पेशे को सूट नहीं करता।

4-डे वीक के बाद से प्रोडक्टिविटी में इजाफा
एक्सेटर में एक छोटी कंस्ट्रक्शन रिक्रूटमेंट फर्म गर्लिंग जोन्स ने जनवरी में 4-डे वीक की शुरुआत की थी। ये फर्म इस पायलट प्रोजेक्ट में भी शामिल हुई थी। कंपनी के फाउंडर साइमन गर्लिंग ने कहा था कि 4-डे वीक के बाद से प्रोडक्टिवीटी में इजाफा हुआ है जिससे प्रॉफिट भी बढ़ा है। उन्होंने कहा था, ‘हमारे सभी इनपुट – कॉल, मीटिंग, इंटरव्यू, ऊपर हैं … काफी सरलता से हर कोई कम समय में ज्यादा काम कर रहा है।’

4-डे वीक से एम्प्लॉइज काफी खुश
4-डे वीक से एम्प्लॉइज भी खुश हैं। कंपनी की एक एम्प्लॉई एलेन एंड्रियासन ने कहा था कि वह अपने ऑफ का इस्तेमाल आराम करने के लिए करती हैं। उन्होंने कहा था, ‘मैं निश्चित रूप से ज्यादा मोटिवेटेड हूं। इससे मेरी नींद में भी काफी ज्यादा सुधार आया है। उनके कलीग जोश कॉकरिल ने कहा था कि वह अपनी बेटी के साथ ज्यादा समय बिता पा रहे हैं। इससे उन्हें नर्सरी फीस पर पैसे बचाने में मदद मिल रही है।