कानपुर के चर्चित बिकरू कांड की आरोपी खुशी दुबे को जमानत मिलने के बाद दैनिक भास्कर की टीम सबसे पहले उनके घर बातचीत करने पहुंची। एक छोटे से घर में खुशी की मां गायत्री देवी से मुलाकात हुई। ये परिवार आर्थिक रूप से बेहद कमजोर था। सुप्रीम कोर्ट तक उन्होंने बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए कैसे कानूनी लड़ाई लड़ी? सुप्रीम कोर्ट के इतने बड़े वकील खुशी के केस को लड़ने के लिए कैसे मिले? अब जेल से जमानत पर छूटने के बाद खुशी दुबे क्या करेंगी? इन सभी सवालों के जवाब खुशी की मां ने दिए।
कानपुर के पनकी में रहने वाली खुशी की मां गायत्रीदेवी को जहां एक तरफ बेटी की जमानत की बेहद खुशी थी, तो दूसरी तरफ वह अपने आंसू भी रोक नहीं पा रही थीं। बात करते-करते फफक कर रोने लगीं। उन्होंने बताया कि बेटी को जेल में खून की उल्टियां हो रही थी। वो गिर गई…बेहोश हो गई। उसे देखने वाला कोई नहीं था। सरकार ने जमानत नहीं होने के लिए पूरी ताकत लगा रखी थी।
मामला जब मीडिया के जरिए सुर्खियों में आया तो सबसे पहले आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने विवेक तन्खा जैसे वकील हमको दिलाए। कांग्रेस की प्रियंका गांधी, हमारी बेटी जैसी हैं। अपनी बहन खुशी का सहयोग करने के लिए आगे आईं। मैं ब्राम्हण हूं, संस्था के दुर्गेश मणि त्रिपाठी ने भी बहुत सहयोग किया, सड़कों पर उतरे। बहुत से ऐसे लोग हैं, जिन्होंने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर मदद की। एक के बाद एक लोगों के सहयोग से आज बेटी को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल सकी है। हमको अदालत पर भरोसा है और आगे भी रहेगा।
बेटी की शादी के बाद चौथी पर घर नहीं, जेल गई.. यही दुख है
खुशी की मां गायत्री देवी ने बातचीत के दौरान बताया कि समाज में मेरा बहिष्कार हो गया। हमें शर्मिंदगी होती थी कि घर से बाहर भी कैसे निकले, परेशानियां तो बहुत आईं, क्या-क्या बताएं। सबसे ज्यादा कष्ट तो यही रहा कि बेटी की शादी के बाद चौथी पर आने की बजाए सीधे जेल चली गई। 6 महीने तक हम उसे देख भी नहीं पाए। मोहल्ला और समाज के सामने मुसीबतों का सामना करना पड़ा, क्योंकि हमारे समाज में औरतों का जेल जाना अच्छा नहीं माना जाता है। हमें तो पता ही नहीं था कि बेटी की शादी गैंगस्टर के घर में कर दी है। शादी के बाद बिकरू कांड हुआ तब हमें पता चला कि बेटी को गैंगस्टर के घर में ब्याह दिया है। उससे पहले यही पता था कि पंडित जी के घर बेटी ब्याह रहे हैं।
विकास बोले थे कि हमें पंडित जी कहते हैं.. फिर हम लोगों ने कुछ नहीं पूछा
हमारे आदमी पेंटर हैं, उन्हें किसी ने बताया कि बिकरू के पंडित जी से मिल लो अच्छा रिश्ता बता देंगे। विकास दुबे के यहां पहुंचे तो उन्होंने बेटी को देखने के बाद शादी फाइनल कर दी। दोबारा हम लोग उनके यहां बात करने पहुंचे तो कहा कि अभी हमारे पास इंतजाम नहीं है, इतनी जल्दी शादी नहीं कर सकते हैं। हम लोगों ने थोड़ा पीछे पैर खींचा तो उन्होंने कहा कि शादी तो करनी पड़ेगी, हमें पंडित जी कहते हैं। इसके बाद खुद ही बेटी को हम लोगों के साथ अपने यहां बुलवा लिया और 20 से 25 दिन के भीतर अपने यहां ही शादी करवा दी। हम लोगों के अंदर इतना डर भर गया था कि विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटा सके, जिससे पूछो पंडित जी…पंडित जी तो हमने ज्यादा बोलना ठीक नहीं समझा।
खुशी के आने पर ही पता चल सकेगा क्या हुआ था
आखिर बेटी को सरकार की ओर से जमानत क्यों नहीं देने दी जा रही थी। सरकार की तरफ से कोर्ट में इतनी तगड़ी पैरवी क्यों की जा रही थी। इस सवार पर खुशी की मां एकदम ठहर गईं, कुछ बोलना चाहा, लेकिन थम सी गईं…। फिर कहा कि मुझे तो कुछ मालूम नहीं है। लेकिन बेटी के जमानत के बाद घर आने पर ही पता चलेगा कि आखिर ऐसा क्या हुआ था। जो सरकार ने खुशी की जमानत नहीं होने देने के लिए पूरी ताकत लगा रखी थी।
क्या खुशी अब राजनीति में आएंगी.?
सियासत में एंट्री के सवाल पर मां गायत्री बोलीं कि ये तो खुशी का फैसला होगा कि उसे जेल से बाहर आने के बाद क्या करना है। इस बारे में हम अभी कुछ नहीं बता सकते हैं। खुशी की अभी उम्र ही क्या है, सिर्फ हाईस्कूल पास है। मुझे लगता है कि उसे जेल से बाहर आने के बाद और पढ़ाई करनी चाहिए। इसके बाद उसे जो भी करना हो करे।